मीडिया आचार संहिता और क़ानून बनाने वाली शिवराज
सरकार पहले अपनी आचार संहिता क्यों नहीं बनाती
भोपाल. भारतीय जनता पार्टी इन दिनों नेतागीरी नहीं दादागीरी करती दिखाई दे रही है. कठुआ, उन्नाव, सूरत, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान जैसे राज्यों में बीजेपी के नेता और सांसद,विधायक अपनी धमक दिखाने में पीछे नहीं है. देश की सबसे अनुशासित पार्टी आज सबसे ज्यादा अराजक दिखाई दे रही है. राम मंदिर का मुद्दा हो, गौ मांस का विवाद या बलात्कार सबमे पार्टी अपनी मनमानी से निर्णय चाहती है. दबाब, धमकी, चालाकी, चुप्पी ये शीर्ष से निचले स्तर तक दिखाई दे रहा है. मध्यप्रदेश में बीजेपी सांसद मनोहर ऊंटवाल ने दाऊद के गुर्गे की तरह धमकी दी है की जोभी प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी विधायकों के बारे में कुछ भी बोलेगा उसे हमें दुनिया से गायब करवा देंगे।
बीजेपी सांसद ने ये मध्यप्रदेश से शाजापुर में एक सभा में खुलेआम ये धमकी दी है. ऊंटवाल ने कहा कि जो भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के बारे में गलत कहेगा उसे हमें दुनिया से गायब करने की ताकत रखते हैं. ऊंटवाल के इस बयान पर बीजेपी अध्यक्ष, मुख्यमंत्री या संघ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इस मौन को बीजेपी की सहमति माना जाए की मजबूरी, ऊंटवाल अकेले नहीं हैं, पिछले उपचुनाव में मंत्री यशोधरा राजे ने मतदाताओं को कुछ इसी अंदाज़ में धमकाया था कि- वोट हमें दो, वरना गंदगी में जीना पड़ेगा. यशोधरा ने मतदाताओं को कहा था कि यदि बीजेपी को वोट नहीं दिया तो प्रदेश सरकार इस इलाके में कोई काम नहीं करवाएगी. विकास रोक देंगे. चुनाव आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था.
दो दिन पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने आरक्षण पर कुछ इसी तरह का बेतुका बयान दिया था. भार्गव ने कहा था ९० फीसदी लाने वाले सामान्य वर्ग के ऊपर चालीस फीसदी अंक वाले को चढ़ा दोगे तो नतीजा क्या होगा सोच लीजिये. प्रदेश सरकार एक तरफ अफसरों और मीडियाकी जवाबदेही तय करने में लगी है, दूसरी तरफ अपने निरंकुश नेताओं पर मौन है.सरकार ने घोषणा की है कि गलत रिपोर्टिंग पर मीडिया कोघेरा जायेगा. इसका एक ड्राफ्ट भी तैयार हुआ है. क्यों न बीजेपी अपने धमकीबाज और बेहूदा बयान वाले नेताओं पर नकेल कसती है. नेता और राजनीति सही रहेगी तो मीडिया अपने आप ही साफ़ दिखाई देगा.