MLA शुक्ला के बेटे की करतूत
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भोपाल । देश के उप प्रधानमंत्री रहे और भाजपा को गढ़ने में जिनकी प्रमुख भूमिका रही है ऐसे श्री लालकृष्ण आडवाणी के बेटे और बेटी इस समय कहाँ हैं? या जब स्वयं श्री आडवाणी पद पर थे तब वह क्या कर रहे थे? पार्टी के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे और प्यारेलाल खंडेलवाल के कुटम्बजन कहां हैं?
ऐसे एक दो नहीं, सूची और भी लंबी हो सकती है। यही भाजपा की पहचान रही है। भाजपा नेतृत्व ने अपने परिजनों को सत्ता के नशे से न सिर्फ़ दूर रखा बल्कि उनको कोई अतिरिक्त सुविधा न मिल जाये इसका भी पथ्य रखा। स्वयं देश के प्रधान मंत्री तो अविवाहित हैं पर उनके अपने परिजन दिल्ली से दूर एक सामान्य जीवन जी रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी विचार आधारित पार्टी है। पार्टी जिस विचार से प्रेरणा लेती है, उस विचार का संगठन अपने ‘पंच परिवर्तन’ के संकल्प में एक ‘नागरिक कर्तव्य’ पर भी ज़ोर दे रहा है। देश का सामान्य या विशिष्ट कोई भी अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहे, नियम का पालन करे। मर्यादित व्यवहार करे और एक आदर्श नागरिक बने। प्रधान मंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान से कुछ सालों पहले इसकी शुरुआत भी की।
पर इस बीच उन्हीं की पार्टी के नेता परिजनों ने परिदृश्य भयावह और निराशाजनक बना दिया है।
एक विधायक पुत्र सरेआम गुण्डागर्दी करता है। मंदिर दर्शन के नाम पर राक्षसी उपद्रव करता है और विधायक स्वयं को ‘सनातनी’ कहने का ढोंग भी करता है। क्या यह आचरण सनातनी हो सकता है?
एक विधायक का बेटा इंदौर में ही एक सरकारी कर्मचारी पर बल्ला चला देता है। एक और मंत्री पुत्र राजधानी में पुलिस को ही पीट कर क़ानून को ठेंगे पर रखता है तो दूसरा नशे के कारोबार की बात करता है। पात्रता न होने के बावजूद सरकारी आवास में बिना किसी झिझक के रहने वाले नेता पुत्र भी प्रदेश में ही हैं।
यहीं नहीं अपनी झूठी लोकप्रियता का प्रदर्शन कर पूरे प्रदेश के नगर और महानगरों को बदरंग कर होर्डिंग बैनर लगाने की बेशर्मी भी ठसक के साथ जारी है। व्यापारी का नुक़सान हो तो हो, नगर निगम के ख़ज़ाने को चोट पहुँचे तो पहुँचे, आख़िर सरकार हमारी है। यह नशा, भाजपा के कतिपय नेताओ के परिजनों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। कभी वे टोल पर हल्ला बोल कर रहे हैं तो कभी कहीं और, क़ायदे क़ानून को पूरी बेशर्मी से कुचल रहे हैं। सिर्फ़ टोल ही क्यों, जन्म दिन पर तमाशे और हुल्लड़ नेता पुत्रों का शग़ल बन गया है। यह समझ से परे होता है कि जिसने राजनीति का छोड़िये, समाज जीवन का एक पाठ न पढ़ा हो, वह युवा हृदय सम्राट किस प्रकार हो जाता है। यही नहीं लाखों क्या, अब तो करोड़ों की महँगी महँगी गाड़ियों का क़ाफ़िला, हूटर और सायरन लगी गाड़ियाँ लेकर ये नेता पुत्र अपने आपको विशिष्टतम स्थापित करने का असफल प्रयास करते हैं। प्रदेश सरकार को भी चाहिए कि पात्रता न होने के बावजूद किन-किन नेताओ को उनके परिजनों को सरकारी सुविधा मिली हुई है इस विषय की गंभीरता से जाँच कराये। क्या कारण है कि एक आम आदमी के लिए कठोर दिखाई देने वाला पुलिस प्रशासन नेता पुत्रों की लगभग चाकरी करते हुए दिखाई देता है। यह सब ऐसी परंपरा बनती जा रही है, जो पार्टी की छवि में दाग लगा रही है।
संभव है क़ानून की किसी धारा से ये सब पतली गली से बच निकलें। और बचते भी रहे ही हैं। पर जनता की निगाह से ये सब उतर रहे हैं। आवश्यकता और समय की माँग है कि भाजपा नेतृत्व समय रहते नैतिकता का चाबुक चलाये और कठोर अनुशासन का पाठ पढ़ाए। कारण, उनकी अब तक की चुप्पी उन्हें भी कठघरे में खड़ा कर रही है।
-दैनिक स्वदेश में प्रकाशित
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