पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर के भड़काऊ भाषण से लाल हुई घाटी

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Pakistan Army chief Asim Munir statement seen as trigger for pahalgam terror attack: कश्मीर को कहा गले की नस, हिंदुओं के खिलाफ  उकसाया

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया भड़काऊ बयानों को भारत में एक बड़े आतंकी हमले का संभावित ट्रिगर माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक मुनीर द्वारा कश्मीर को पाकिस्तान की “जुगुलर वेन” (गले की नस) कहने वाले बयान ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला करने के लिए उकसाया।  पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर वह शख्स है जिसके इशारे पर लाल हुई घाटी

कई खुफिया अधिकारियों का मानना है कि जनरल मुनीर के उत्तेजक भाषण ने लश्कर के संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को इस “हमले” को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

मुनीर का भड़काऊ बयान और उसका संदर्भ

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आयोजित विदेशी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन में जनरल मुनीर ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान का पुराना रुख दोहराया और ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ का बचाव किया। उन्होंने कहा था, “कश्मीर हमारी जुगुलर वेन था, है और रहेगा। हम अपने कश्मीरी भाइयों को भारत के कब्जे के खिलाफ उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे।” इसके साथ ही, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच “असंगत मतभेद” पर जोर देते हुए पाकिस्तानियों से अपनी अगली पीढ़ी को इस विचारधारा को सौंपने का आह्वान किया।
हम आपको बता दें कि पिछले सप्ताह ही इस तरह की रिपोर्टें सामने आई थीं कि भारतीय खुफिया प्रतिष्ठान ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख की हिंदू विरोधी बयानबाजी को पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को फिर से संगठित करने के प्रयास के रूप में देखा है।

यहाँ यह जानना गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर ने कहा था, ‘‘हमारे धर्म अलग हैं, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी महत्वाकांक्षाएं अलग हैं। यहीं से द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की नींव रखी गई। हम दो राष्ट्र हैं, हम एक राष्ट्र नहीं हैं।” इस बयान पर गौर करते हुए आप आतंकवादियों द्वारा किये गये कृत्य को देखेंगे तो पाएंगे कि मुनीर का इशारा आतंकवादी समझ गये थे और उन्होंने वही किया जो मुनीर चाहते थे।

एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस बयान को एक “डॉग व्हिसल” के रूप में देखा, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में कट्टरपंथी तत्वों को उकसाना और भारत में अशांति फैलाना था। यह बयान भारत में वक्फ अधिनियम में बदलाव के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ भी मेल खाता है।

कश्मीर में जारी रहेगा जिहाद

सुरक्षा एजेंसियों ने अभी तक कोई निश्चित आकलन नहीं किया है, लेकिन कई खुफिया अधिकारियों ने कहा कि ऐसे संकेत हैं कि मुनीर के भड़काऊ भाषण, जिसमें उन्होंने मुसलमानों और हिंदुओं के साथ अलग-अलग व्यवहार की बात कही थी, उसने लश्कर के एक गुट द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को इस हमले की योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। लश्कर के शीर्ष कमांडर सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद , रावलकोट स्थित लश्कर के दो कमांडरों की भूमिका भी जांच के दायरे में है, जिनमें से एक अबू मूसा बताया जा रहा है।

रिपोर्टों के मुताबिक 18 अप्रैल को मूसा ने रावलकोट में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें उसने कहा था कि कश्मीर में जिहाद जारी रहेगा। बंदूकें चलेंगी और सिर कलम करना जारी रहेगा। उसने कहा था कि भारत गैर स्थानीय लोगों को निवास प्रमाण पत्र देकर कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलना चाहता है। पहलगाम में जिस तरह पर्यटकों को ‘कलमा’ पढ़ने के लिए कहा गया और जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई उससे यही साबित होता है कि आतंकवादियों ने हिंदुओं को ही मारने के स्पष्ट निर्देश दिये थे।

पहले ही कर ली थी रेकी

खुफिया एजेंसियों का प्रारंभिक आकलन है कि स्थानीय सहायकों द्वारा समर्थित लगभग छह आतंकवादियों ने हमला किया। “ऐसा लगता है कि हमलावर हमले से कुछ दिन पहले पहुंचे, रेकी की और फिर मौका देखकर हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि अप्रैल की शुरुआत में, ऐसी सूचनाएँ मिली थीं कि आतंकवादियों ने कुछ होटलों की टोह ली है।इस तरह की भी रिपोर्टें थीं कि पाकिस्तान भारत में वक्फ अधिनियम में बदलावों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन का फायदा उठाना चाहता है।

आतंकी संगठन ने एक पत्र भी किया जारी

सूत्रों के मुताबिक, ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है।आतंकी संगठन ने इस शर्मनाक हरकत के बाद एक पत्र भी जारी किया है। अपनी कायराना हरकत को छुपाने के लिए टीआरएफ ने पत्र में दावा किया कि जम्मू कश्मीर में 85 हजार से अधिक डोमिसाइल जारी किए गए हैं। आतंकी संगठन का दावा है कि ये डोमिसाइल स्थानीय लोगों को नहीं, बल्कि बाहरी लोगों को प्रदान किए गए हैं। इससे जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस तरह का आतंकी हमला, लोगों को गैर कानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर में बसाने के प्रयासों का नतीजा है। हमले की योजना और तैयारी प्रारंभिक जांच के अनुसार, लगभग छह आतंकवादियों ने, कुछ स्थानीय सहायकों की मदद से, इस हमले को अंजाम दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, ये आतंकी हमले से कुछ दिन पहले इलाके में आ चुके थे, रेकी की थी, और मौके की तलाश में थे। अप्रैल की शुरुआत (1-7 तारीख के बीच) में कुछ होटलों की रेकी किए जाने की खुफिया सूचना पहले से ही मौजूद थी।

“यह कहना गलत होगा कि खुफिया एजेंसियों से चूक हुई। इनपुट्स थे, लेकिन हमलावर मौके की तलाश में थे और उन्होंने सही समय देखकर वार किया।” यह हमला जहां एक ओर भारत में तीव्र आक्रोश का कारण बना है, वहीं यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तानी भूमिका और नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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