Street Dog Attack Case

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स्ट्रीट डॉग केस में SC सख्त: कहा- देश की छवि खराब हो रही, बंगाल-तेलंगाना को छोड़ सभी राज्यों के मुख्य सचिव तलब

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Street Dog Attack Case: आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज से हो रही मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर राज्यों की लापरवाही पर सख्त नाराजगी जताई है।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तलब किया है।

अदालत ने कहा कि दो महीने बीत जाने के बावजूद अधिकांश राज्यों ने यह नहीं बताया है कि उन्होंने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के तहत क्या कदम उठाए हैं।

इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच कर रही है।

बेंच ने कहा कि सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने अब तक अपनी अनुपालन रिपोर्ट (हलफनामा) दाखिल किया है।

बाकी राज्यों ने स्थिति बताने में गंभीरता नहीं दिखाई। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

विश्व स्तर पर देश की छवि खराब हो रही

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगस्त से अक्टूबर तक देशभर में कुत्तों के हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं, जिनमें बच्चे भी घायल हुए और मौतें भी हुईं।

अदालत ने कहा— इतने मामले सामने आ रहे हैं, बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं, लोग डर में जी रहे हैं। मीडिया में यह खबरें जाती हैं।

इससे देश की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हो रही है। लेकिन राज्य सरकारें अभी तक यह तक नहीं बता पाईं कि उन्होंने क्या कदम उठाए।

कोर्ट ने राज्यों के रवैये को लापरवाही और सार्वजनिक सुरक्षा की अनदेखी बताया।

दिल्ली-NCR से बढ़ाकर पूरे देश में लागू हुआ आदेश

बता दें 22 अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़े मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे भारत तक कर दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया जाए, फिर उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाए।

आक्रामक या रेबीज संक्रमित कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सभी राज्यों को एक समान राष्ट्रीय नीति लागू करनी होगी।

इसके विपरीत, एक 11 अगस्त के आदेश में 2 जजों की बेंच ने दिल्ली-NCR से 8 हफ्तों में सभी स्ट्रीट डॉग हटाने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान बेंच ने उस आदेश को “बेहद कठोर और असंतुलित” कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में हाल ही की घटनाओं का भी जिक्र किया।

पुणे में एक 7 साल के बच्चे पर कुत्तों का हमला, महाराष्ट्र में एक बच्ची पर हमला, भंडारा जिले में 20 कुत्तों के झुंड द्वारा हमला।

इन घटनाओं को अदालत ने नीतिगत विफलता का संकेत बताया।

कानून पहले से है, लागू करने में लापरवाही- कोर्ट 

एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम पहले से मौजूद हैं।

जिनमें नसबंदी, टीकाकरण और कुत्तों को पकड़कर वापस उसी स्थान पर छोड़ने का प्रावधान है।

लेकिन कई राज्य अभी तक इस प्रक्रिया के लिए पर्याप्त धन, मानव संसाधन और शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना पाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा— समस्या कुत्तों की नहीं, प्रशासनिक ढांचे की है। जो शहर बढ़े, वह कानून लागू नहीं हो पाया।

कोर्ट ने साफ कहा है कि 3 नवंबर को सभी मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।

जो राज्य अनुपालन रिपोर्ट नहीं देंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

यह संदेश राज्यों को गंभीरता और जवाबदेही के साथ इस मुद्दे को लेने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

 

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