Azam Khan Release: समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आज़म खान को अखिरकार आज़ादी मिल गई।
रामपुर से पूर्व विधायक आज़म खान 23 सिंतबर को 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए।
मंगलवार दोपहर करीब 12:30 बजे जेल प्रशासन ने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें बाहर निकाला।
रिहाई के तुरंत बाद आज़म खान अपने बेटों अब्दुल्ला आज़म और अदीब आज़म के साथ रामपुर के लिए रवाना हो गए।
इस मौके पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी और बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जेल गेट के बाहर जुटे रहे।
आज़म खान की आज़ादी: सपा नेता 23 महीने बाद UP की सीतापुर जेल से रिहा
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Azam Khan | pic.twitter.com/hquAyFtTmH— Politicswala (@politicswala1) September 23, 2025
जुर्माना बना रिहाई में अड़चन
मंगलवार सुबह उनकी रिहाई तय थी। तय समयानुसार सुबह 9 बजे जेल से बाहर आना था।
लेकिन कागजी पेंच और बकाया जुर्माना इस बीच बड़ी अड़चन बन गए
रामपुर कोर्ट में आज़म खान पर 6 हजार रुपये का जुर्माना बकाया था।
जब तक यह राशि जमा नहीं हुई, जेल प्रशासन ने उन्हें रिहा करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट खुलते ही उनके रिश्तेदार ने जुर्माना अदा किया और उसकी ईमेल सूचना सीतापुर जेल भेजी गई।
यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोपहर करीब 12:30 बजे जाकर उनकी रिहाई संभव हो पाई।
समर्थकों का हुजूम, पुलिस ने की सख्ती
आज़म खान की रिहाई की खबर जैसे ही फैली, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया।
सैकड़ों की संख्या में समर्थक सीतापुर जेल के बाहर जुट गए।
मुरादाबाद सांसद रुचि वीरा भी कार्यकर्ताओं के साथ आज़म को रिसीव करने पहुंचीं।
लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें जेल गेट तक जाने से रोक दिया।
इसके अलावा, पुलिस ने जेल गेट पर खड़ी कार्यकर्ताओं की 73 गाड़ियों का चालान भी किया।
ट्रैफिक पुलिस का कहना था कि ये गाड़ियां नो-पार्किंग जोन में खड़ी थीं, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही थी।
पुलिस ने पहले से ही जेल परिसर के बाहर धारा-144 लागू कर रखी थी, ताकि किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ या अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
बेटे बोले- आज के हीरो आज़म साहब
जेल से बाहर निकलते वक्त आज़म खान ने कार की खिड़की से हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन किया।
जहां बड़े बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म काफी भावुक नज़र आए।
वहीं, छोटे बेटे अदीब आज़म ने कहा, आज के हीरो हमारे अब्बा जान हैं। 23 महीने बाद वे हमारे बीच लौटे हैं।
शिवपाल यादव का बयान – गलत सजा दी गई थी
आज़म की रिहाई पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने कहा, आज़म खान को सरकार ने गलत तरीके से सजा दी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें राहत दी है। हम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं।
सपा खेमे में माना जा रहा है कि आज़म की वापसी पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली साबित होगी, खासकर रामपुर और आसपास के क्षेत्रों में, जहां उनकी पकड़ काफी मजबूत रही है।
क्वालिटी बार प्रकरण और विवाद
आज़म खान के खिलाफ दर्ज मुकदमों में सबसे चर्चित क्वालिटी बार प्रकरण रहा।
आरोप है कि 2013 में मंत्री रहते हुए उन्होंने रामपुर के सिविल लाइंस क्षेत्र की एक जमीन को अवैध तरीके से पत्नी तंज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आज़म के नाम करा लिया था।
2019 में इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई और 2024 में उन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया।
मई 2025 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस मामले में उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
लेकिन सितंबर 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई। इसके बाद ही उनकी जेल से रिहाई संभव हो पाई।
आज़म खान के खिलाफ 104 मुकदमे दर्ज
अक्टूबर 2023 में सरेंडर करने के बाद से आज़म खान लगातार जेल में बंद थे।
उन पर कुल 104 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 93 केवल रामपुर से जुड़े हुए हैं।
इन मामलों में जमीन कब्जाने, अवैध निर्माण, शत्रु संपत्ति हड़पने, भड़काऊ भाषण और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
कई मामलों में उन्हें सजा सुनाई गई, जबकि कुछ मामलों में वे बरी हो गए।
2022 में भड़काऊ भाषण मामले में अदालत ने उन्हें दो साल की सजा दी थी, जिसके चलते उनकी विधायकी भी चली गई थी।
इसके बाद से आज़म खान की राजनीतिक स्थिति लगातार कमजोर होती चली गई।
हालांकि, पिछले एक साल में अदालतों से उन्हें धीरे-धीरे राहत मिलनी शुरू हुई।
5 दिन पहले हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
5 दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बीयर बार पर कब्जे से जुड़े मुकदमे में जमानत दी थी।
तभी पुलिस ने शत्रु संपत्ति मामले में नई धाराएं जोड़ दीं। 20 सितंबर को रामपुर कोर्ट ने इन धाराओं को खारिज कर दिया।
इससे रिहाई का रास्ता साफ हो गया। यह आखिरी मुकदमा था, जिस पर आजम को जमानत मिलनी बाकी था।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने भी 72 मामलों में रिहाई परवाने जारी कर दिए थे। इसी के बाद 23 सितंबर 2025 को वे जेल से बाहर आ सके।
राजनीतिक भविष्य पर सवाल
आज़म खान भले ही जेल से बाहर आ गए हों, लेकिन उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल अभी भी बने हुए हैं।
कई मुकदमों में वे पहले ही सजा पा चुके हैं और कुछ मामलों में अभी ट्रायल बाकी है।
इसके अलावा, उनकी विधायकी जाने के बाद रामपुर में सपा की पकड़ कमजोर हुई है।
हालांकि, उनकी रिहाई से समर्थकों में नया उत्साह जरूर देखने को मिला है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे सपा की राजनीति में कितनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं?
साथ ही क्या वह एक बार फिर रामपुर से अपने राजनीतिक करियर को मजबूती दे पाते हैं?
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