चलते उपचुनाव में एक और उपचुनाव की पहल- एक तरफ खंडवा उपचुनाव की वोटिंग की तैयारी चल रही है, इसी बीच कांग्रेस के बड़वाहविधायक सचिन बिरला भाजपा में शामिल हो गए हैं। यानी एक और उपचुनाव और जनता के पैसों की बर्बादी।
बड़वाह। खंडवा लोकसभा उपचुनाव में मतदान को एक सप्ताह भी शेष नहीं रह गया है और कांग्रेस की नाव में बड़े बड़े छेद करके बीच मँझधार में पार्टी की नाव डुबोने की क़वायद जारी है। भाजपा की सक्षम सत्ता और मज़बूत संगठन इस मामले में गहनता से जुटकर राजनीति के तमाम दाँवपेंच आज़माने में लगा है ।
राजनीति के चारों आयामों साम,दाम ,दंड ,भेद के प्रयोगों से परहेज़ किये बिना बस परिणाम को अपने पक्ष में करने का लक्ष्य भाजपा के शिरोधार्य है तो कांग्रेस में जहाज़ से उतर भागने के नये अवसर तलाशे जा रहे है।
रविवार सुबह से खबरो का बाज़ार गर्म हो गया था और बड़वाह के कांग्रेस विधायक सचिन बिरला की भाजपा में शामिल होने की सूचना जंगल में आग की तरह फैल रही थी। दोपहर साढ़े तीन बजे बेड़ियाँ की चुनावी सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में कांग्रेसी विधायक सचिन बिरला ने हाथ का साथ छोड़कर अपने उन्ही हाथो में कमल थाम लिया।
एन चुनाव के वक्त एक विपक्षी विधायक का सत्ता पक्ष में शामिल हो जाने की घटना राजनीति ख़बरों के लिहाज़ से ब्रेकिंग न्यूज़ कही जा सकती है किन्तु यह कोई चौंकाने वाली खबर नही है क्योंकि सचिन बिरला के भाजपा में आने की क़वायद लम्बे समय से जारी थी बस सही मौक़े की तलाश ही शेष थी।
बीते डेढ़ वर्षों में कई बार तारीख तय हो जाने के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से अंतिम हरी झंडी नहीं दिखाये जाने से यह दलबदल अटका हुआ था ।खंडवा लोकसभा उपचुनाव की आपाधापी और सम्भावनाओं की लहरी आशंकाओं को सही मौक़ा मानकर भोपाल रायसीना हिल्स नेडेढ़ साल से रूकी हुई हरी झंडी को हिला दिया ।
रविवार को बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बेडिया को इस घोषणा के लिये अनुकूल मानकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक और विधायक के गले में भगवा दुपट्टा डालकर इस लम्बी क़वायद को अंतिम रूप दे दिया।
ये तो होना ही था
सचिन बिरला की भाजपा में शामिल होने की सच्ची मनोहर कहानी इतनी लम्बी हो चुकी थी कि यह बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के बाहर और प्रदेश की राजनीति में भले ही चौंकाने वाली खबर मानी जाये किन्तु बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के लिये यह “ये तो होना ही था “ जैसी घटना है।
कमलनाथ सरकार गिरने और मांधाता विधायक नारायण पटेल के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से ही सचिन बिरला राजनीति गलियारे में नये क़ालीन की तलाश में बेताब नज़र आ रहे थे।
अपने पुराने कॉलोनाईजर पार्टनर की मदद से संघ में उपर तक अपनी इस मंशा को पहुँचाने के बाद सचिन बिरला ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी थी ।
एक वक्त तो दिन और मूहूर्त भी तय कर लिया गया था और विश्वसनीय स्थानीय नेताओं के सामने स्वीकारोक्ति के बाद भी यह दलबदल साकार रूप धारण नहीं कर पाया था । सूत्रों की माने तो यह अड़ंगा भाजपा के नये नवेले महाराजा की टांग अड़ाने से पड़ा था जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे तब ही साकार करना चाहते थे।
अब जब उपचुनाव की बेला आ गई तो मुख्यमंत्री को भी अवसर मिल गया और नये चुनावी समीकरणों के चलते इस गणित की इबारत लिखनी भी आसान हो गया । आठ महीने पहले तक खंडवा लोकसभा क्षेत्र में राजपूत राजनीति को सिर माथे पर लिये फिरने वाले दल के हाथ से कांग्रेस ने राजपूत उम्मीदवारी को ही छिन लिया तो भाजपा के लिये गुर्जर राजनीति को सिर पर बैठाने का सुअवसर प्राप्त हो गया।
अभी तक गुर्जर राजनीति को संगठन और अपने नेताओं के सिर पर लादने की परम्परा निमाड में कांग्रेस के कंधों पर ही थी । इस उपचुनाव में दो मिथकों को तोड़कर एक दूसरी पार्टियों के गले का हार बना दिया गया है ।इससे जातीवाद की राजनीति को बल मिलना तय है और विकास की अवधारणा को नुक़सान होना भी निश्चित है । जबकि वर्तमान उपचुनाव में सत्तारूढ दल को वोटों का लाभ मिलने की कोई उम्मीद नहीं है ।
24 घंटे में ही बदला झंडा
कल तक तमाम जन सभाओं में कांग्रेस के लिये वोट माँगने के लिये भाषण देने में मशगूल सचिन बिरला ने एक दिन के लिये भी चुनावी मैदान से दूर रहकर
विश्राम नहीं किया । शनिवार सुबह तक वो कांग्रेस के मंच पर कमलनाथ के गुणगान करते फिर रहे थे जबकि रविवार को शिवराज सिंह चौहान के मंच से कमलनाथ को कोस रहे थे।
कांग्रेस ने गद्दार तो भाजपा ने वीर बताया
सचिन बिरला के भाजपा में शामिल होने से दोनों दलो के नेता आहत है , कांग्रेस की पीड़ा समझ में आने जैसी है किन्तु भाजपा का दर्द का इलाज किसी के पास नही है । कांग्रेस में बिरला के समर्थकों ने अपना आक्रोश सनावद में उनका पुतला दहन कर व्यक्त कर दिया
किन्तु भाजपा के पूर्व विधायक ने करोड़ों रूपये देकर बिरला के भाजपा में शामिल होने की बात कहकर अपना दर्द सार्वजनिक कर दिया । विधानसभा चुनाव में सचिन बिरला से बुरी तरह हार चुके पूर्व विधायक का यह आरोप सचिन बिरला से अधिक भाजपा की छबी धूमिल करने वाला है किन्तु जिगर का दर्द तो एैसे ही बाहर आता है, सो आ गया ।
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