RSS 100 Years: यह साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का शताब्दी वर्ष है।
RSS के 100 साल पूरे होने पर दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भव्य समारोह आयोजित किया गया।
संघ के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेसंघ की सेवा, समर्पण और भारतीय संस्कृति में योगदान को सराहा।
इस ऐतिहासिक मौके पर पीएम ने विशेष रूप से तैयार किया गया स्मृति डाक टिकट और 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया।
यह सिक्का कई मायनों में खास है क्योंकि इसमें पहली बार भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर अंकित की गई है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि संघ ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और समाज सेवा जैसे हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आज संघ केवल संगठन नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की एक विराट साधना है।
उन्होंने कहा, संघ ने हमेशा समाज की सेवा की है, चाहे विभाजन का दर्द हो, आपदाएं हों या युद्ध का समय।
संघ के शताब्दी समारोह में विशेष डाक टिकट और स्मृति सिक्के जारी कर बहुत गौरवान्वित हूं। @RSSorg pic.twitter.com/Bsewae2iec
— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2025
100 रुपये के सिक्के की विशेषता
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जारी किया गया यह स्मारक सिक्का अपनी डिजाइन और प्रतीकों की वजह से बेहद खास माना जा रहा है।
- सिक्के के एक तरफ राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ अंकित है।
- दूसरी तरफ सिंह के साथ वरद मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि उकेरी गई है।
- भारत माता के सामने झुके हुए संघ के स्वयंसेवक नमन करते हुए दिखते हैं।
- सिक्के पर संघ का बोधवाक्य अंकित है – राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम।
- यह पहला अवसर है जब किसी भारतीय मुद्रा पर भारत माता की तस्वीर अंकित की गई।
इसके साथ ही एक डाक टिकट भी जारी किया गया, जिसमें 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए स्वयंसेवकों की झलक दी गई है।
डाक टिकट योगदानों का प्रतीक
RSS की स्थापना 1925 में नागपुर में केशव बलीराम हेडगवेर द्वारा की गई थी। उसे स्वयंसेवक-आधारित सामाजिक और सेवा कार्यों के लिए जाना जाता है।
संगठन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा राहत और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रकाशित डाक टिकट और स्मारक सिक्का इन योगदानों का प्रतीक हैं और संगठन की सेवाओं को सम्मानित करते हैं
पीएम ने याद दिलाया कि 1963 में RSS के स्वयंसेवक 26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे और राष्ट्रभक्ति की धुन पर कदमताल किया था।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि यह डाक टिकट उसी ऐतिहासिक क्षण की स्मृति को संजोता है।
साथ ही, इसमें संघ के उन स्वयंसेवकों की भी झलक है, जो लगातार देश की सेवा में लगे हुए हैं और समाज को सशक्त बना रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा त्याग, निःस्वार्थ सेवा, राष्ट्र निर्माण और अनुशासन की अद्भुत मिसाल है। RSS के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनकर अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूं।
https://t.co/S4gxc0X3IE— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2025
दत्तात्रेय होसबाले का संबोधन
RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इस अवसर पर कहा कि संघ का काम हमेशा व्यक्ति को समाज और राष्ट्र के साथ जोड़ना रहा है।
उन्होंने कहा, हमें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। संघ का हर स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से काम करता है और राष्ट्र ही उसका अंतिम लक्ष्य है।
होसबाले ने कहा कि 100 साल की यात्रा में संघ ने विरोध और संघर्ष का सामना किया, लेकिन आज वह विश्वसनीयता के शिखर पर खड़ा है।
उन्होंने स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी होने को संघ के लिए गर्व का क्षण बताया।
कल की विजयादशमी संघ की जीवन यात्रा में एक विशेष विजयादशमी है। आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष पूर्ण करते हुए अपने राष्ट्र सेवा के इस यज्ञ को यहां तक पहुंचाते हुए, कल 101वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। संघ ने 100 विजयादशमी देखी हैं।
इस संदर्भ में भारत सरकार ने विशेष रूप से… pic.twitter.com/cW4Yp8yaLb— RSS (@RSSorg) October 1, 2025
1984 सिख दंगों पर बोले पीएम
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय संघ के स्वयंसेवकों ने सिख परिवारों की मदद की थी।
कई परिवारों ने आरएसएस कार्यकर्ताओं के घरों में शरण ली। मोदी ने कहा कि यही संघ की असली पहचान है—दूसरों के दुख को दूर करने के लिए खुद कष्ट उठाना।
पीएम मोदी ने संघ के आदिवासी समाज के लिए किए गए योगदान का विशेष उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक दशकों से आदिवासी भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं के संरक्षण में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि संघ के लाखों स्वयंसेवक आदिवासी समाज का जीवन बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने संघ के योगदान को “विराट वटवृक्ष” की उपमा दी। उन्होंने कहा कि संघ ने हमेशा “अहं से वयम” की यात्रा कराई है।
शाखाओं में अनुशासन, सेवा और राष्ट्र भावना का जो संस्कार मिलता है, वही समाज को सशक्त करता है।
उन्होंने कहा, संघ ने अनेक थपेड़े सहते हुए भी राष्ट्र निर्माण की यात्रा को कभी नहीं रोका। चाहे कैसी भी परिस्थितियां रही हों, संघ का मूल भाव हमेशा राष्ट्र प्रथम रहा है।
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
RSS की स्थापना संयोग नहीं, परंपरा का पुनरुत्थान
पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना संयोग नहीं थी, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की हजारों साल पुरानी परंपरा का पुनरुत्थान था।
उन्होंने कहा कि संघ अनादि काल से चली आ रही राष्ट्र चेतना का पुनर्जन्म है, जो समय-समय पर चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रकट होती रही है।
‘राष्ट्र प्रथम ही संघ का भाव’
मोदी ने कहा कि संघ और उसकी शाखाओं का उद्देश्य हमेशा एक रहा है—राष्ट्र प्रथम।
उन्होंने कहा, संघ ने व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की राह चुनी। शाखा ही वह वेदी है, जहां त्याग और सेवा की भावना का निर्माण होता है।
घुसपैठ और जनसंख्या बदलाव पर चेतावनी
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारत को घुसपैठियों और जनसंख्या संतुलन में बदलाव की साजिशों से बड़ी चुनौती मिल रही है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इन चुनौतियों से तेजी से निपट रही है और संघ ने भी इसके लिए एक ठोस रोडमैप तैयार किया है।
दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता,डेमोग्राफी में बदलाव के षड्यंत्र जैसी चुनौतियों से हमारी सरकार तेजी से निपट रही है।
स्वयंसेवक होने के नाते मुझे खुशी है कि संघ ने इसके लिए ठोस रोडमैप भी बनाया है।
डटकर मुकाबला करना है। घुसपैठियों से बड़ी चुनौती मिल रही है। हमें इससे सतर्क रहना है।
आजादी के बाद संघ के खिलाफ साजिश हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। लक्ष्य एक ही रहा एक भारत–श्रेष्ठ भारत।
राष्ट्र साधना की यात्रा में ऐसा नहीं कि संघ पर हमले नहीं हुए। आजादी के बाद भी संघ को मुख्य धारा में आने से रोकने के लिए षड्यंत्र हुए।
बाद में संघ को कई बार रोकने की कोशिश की गई, यहां तक कि गुरुजी (गोलवलकर) को जेल भी भेजा गया।
लेकिन संघ ने कभी कटुता नहीं अपनाई और लोकतंत्र व संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास बनाए रखा।
जब गुरुजी बाहर आए तो उन्होंने कहा था- कभी कभी जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, कुचल जाती है।
लेकिन हम दांत नहीं तोड़ देते, क्योंकि दांत भी हमारे हैं, जीभ भी हमारी है।
जब भी आपदा आई,स्वयं सेवक सबसे आगे खड़े थे
PM ने कहा, विभाजन की पीड़ा ने लाखों परिवारों को बेघर किया। स्वयं सेवक सबसे आगे खड़े थे।
यह केवल राहत नहीं राष्ट्र की आत्मा को संबल देने का काम था। 1956 में अंजार के भूकंप में भी स्वयं सेवक राहत बचाव में जुटे थे।
गुरुजी ने लिखा था, किसी दूसरे के दुख केा दूर करने खुद कष्ट उठाना निस्वार्थ हृदय का परिचायक है।
उन्होंने कहा, 1962 के युद्ध के समय स्वयं सेवकों ने सीमा पर जवानों की मदद की।
1971 के युद्ध के बाद में देश में आए लोगों को सहायता दी। 1984 के दौरान सिख दंगों के पीड़ितों की मदद की।
