नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिस्र के दौरे पर पहुंचे। चार दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र यात्रा को कूटनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मिस्र यात्रा में पीएम मोदी वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिले और दोनों देशों में रक्षा और सुरक्षा समेत कई मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। दोनों राष्ट्रप्रमुखों ने प्रतिरक्षा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई। पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत सैन्य संबंधों के साथ-साथ रक्षा उद्योगों की स्थापना में भी सहयोग देगा। दोनों देशों के नेताओं ने आतंकवाद और साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की।
पीएम मोदी की यात्रा से तुर्किए और चीन की बढ़ी बेचैनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रीस यात्रा को लेकर पाकिस्तान और तुर्किए बैचेन हैं। भूमध्य सागर में बसा ग्रीस या मिस्र भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है। भारतीय नौसेना के युद्धपोत भूमध्य सागर में रणनीतिक तैनाती के दौरान ग्रीस का दौरा करते रहे हैं। पीएम ने कहा कि हमारे बीच जियोपॉलिटिकल, इंटरनेशनल और रीजनल विषयों पर बेहतरीन तालमेल है। चाहे वह इंडो पेसिफिक में हो या मेडिटेरियन में हो। दो पुराने मित्रों की तरह हम एक दूसरे की भावनओं को समझते हैं और उनका आदर करते हैं। असल में यही तुर्किए की दुखती रग है क्योंकि भूमध्य सागर में मिस्र से उसकी दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। मिस्र की तुर्किए के साथ दुश्मनी भारत के साथ संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उभरी है।
मिस्र के कई द्वीपों पर अपना दावा करता है तुर्किए
तुर्किए कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का खुला समर्थन करता है। वह संयुक्त राष्ट्र में कई बार कश्मीर मुद्दे को उठा चुका है। हालांकि हर बार भारत ने बेहद कड़ा जवाब देकर उसकी बोलती बंद कर दी है। यही वजह है कि पीएम मोदी अब तक तुर्किए के दौरे पर नहीं गए हैं। इसके अलावा तुर्किए सैन्य मोर्चे पर भी पाकिस्तान का समर्थन करता है। मिस्र और तुर्किये दुश्मनी बहुत पुरानी है, क्योंकि मिस्र के कई द्वीपों पर तुर्किये दावा करता रहा है, जबकि मिस्र इसे खारिज करता रहा है। यह दोनों देशों के बीच विवाद का एक अहम बिंदु है।
मिस्र और भारत के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग से तुर्किए चिंतित
ऐसे में पीएम मोदी की मिस्र यात्रा से तुर्किये ही नहीं उसका जिगरी पाकिस्तान भी तनाव में आ गया है। भारत की इस कूटनीतिक यात्रा से चीन को भी सबक मिला है। विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि भारत के ग्रीस से बढ़ते रिश्ते केवल तुर्किए, पाकिस्तान को ही संदेश नहीं है, बल्कि चीन को भी साफ संदेश है। मिस्र काफी समय से भारत की ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है। ऐसे में पीएम मोदी के दौरे पर ग्रीस को भारत का ब्रह्मास्त्र कही जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल मिलने पर भी डील हो सकती है। इस वजह से तुर्किए के होश उड़ गए हैं।
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