मणिपुर में भारत-पाक सीमा जैसे तनावपूर्ण हालात, सामान्य स्थिति बहाल करना अब सबसे बड़ी चुनौती

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इंफाल । मई की शुरुआत में भारत के पूर्वोत्तर स्थित राज्य मणिपुर में दो समुदायों- मैतेई और कूकी के बीच मतभेद इतना बढ़ गया है कि राज्य के मौजूदा हालात भारत-पाकिस्तान बॉर्डर जैसे हो चुके हैं। मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि इतने बुरे हालात देश के किसी भी हिस्से में नहीं हैं, जैसे कि मणिपुर के हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की हिंसा का रूप आपने देश में कभी नहीं देखा होगा। एनडीएमए के एक कार्यक्रम में आपदा मित्रों के संबोधित करते हुए मणिपुर की राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा समय में मणिपुर को जल्द से जल्द शांति स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तीन माह पहले शुरू हुए संघर्ष के बाद दोनों समुदायों के बीच में अविश्वास की गहरी खाई बन गई है, जिसे खत्म करना बेहद जरूरी है।

केंद्र सरकार की हो रही है पहल
अनुसुइया उइके ने कहा है कि मणिपुर में भारत और पाकिस्तान बॉर्डर जैसी स्थिति बन गई है। उन्होंने बताया वहां 5 हजार लोगों के घर जला दिए गए हैं। माहौल खराब होने के बाद से लगातार केंद्र सरकार की ओर से शांति की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में पहले से हालात बेहतर हुए हैं। हाल के दिनों में हिंसक घटनाएं कम हुई हैं। एक समय वह भी था जब वहां पांच हजार बंदूकें और पांच लाख कारतूस थाने से लूट लिए गए थे। राज्य में हिंसा भड़के 100 दिनों से ज्यादा समय बीत गया है, इसके बाद भी राज्यपाल उइके का कहना है कि उन्हें अभी भी ये पता नहीं है कि सूबे में शांति कब तक आएगी। उन्होंने बताया मैतेई हो या कूकी, दोनों ही समुदायों की हालत काफी खराब है।

अलग-अलग वैली में सिमटा समाज
देश के पूर्वोत्तर राज्य के हालात बयां करते हुए राज्यपाल उइके ने बताया कि मौजूदा दौर में कूकी और मैतेई दोनों अलग-अलग हो चुके हैं। दोनों के इलाके बंट गए हैं। कोई एक दूसरे के इलाकों में जाने की स्थिति में नहीं है। राज्यपाल ने बताया कि हमारे 60 हजार सैनिक मणिपुर के हालात पर निगरानी रह रख रहें हैं। लेकिन हाल के दिनों में लोगों के बीच की खाई गहरी हो गई है। उनके बीच अविश्वास गहरा गया है। अब शासन-प्रशासन और स्थानीय समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अविश्वास की इस खाई को कैसे भरा जाए।