अपूर्व भारद्वाज
एक लड़का.. जिसने अपनी दादी का गोलियां से छिन्न भिन्न शरीर देखा.. अपने पिता का तो शरीर भी नही देख पाया..जिसने अपनी माँ को राजनीति से दूर रहने को कहा और बोला देशसेवा करने के लिए राजनीति मैं जाने के लिए क्या जरूरत है मेरी दादी और पिता देश के लिए मर गए थे मैं देश के लिए जियूंगा। .
फिर वो न चाहते राजनीति मैं आता है लगातार तीन चुनाव जीतता है फिर भी उसे शहजादा कहा जाता है। यह शहजादा 2009 मैं अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाता है। फिर भी यह शहजादा देश का शंहशाह बनने से इंकार कर देता है। वो शहजादा अपनी पार्टी को बदलने की कोशिश करता है, लेकिन पुराने दरबारी उसे छोटा बाबा बोल कर उसकी सियासत को बचकाना कहते है। उसे बेवकूफ का तमगा देते है
बस इसी बात को एक शातिर गुजराती व्यापारी और उसकी गैंग पकड़ लेती है। उसका नामकरण पप्पू कर देती है। नैरेटिव सेट हो जाता है। एक पढ़े लिखे समझदार युवा को एक नियमित दसवीं पास नेता की भक्ति गैंग सार्वजनिक रूप से पप्पू बोल कर ट्रोल करती है। मीडिया से लेकर मिडिल क्लास तक इस नैरेटिव को 5 साल तक खूब जीते है। इस नैरेटिव के कारण वो 2019 का चुनाव भी हार जाता है।
वो ईमानदार नेता कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ देता है। वो परिवर्तन की सारी उम्मीद छोड़ देता है। जब हमें एक समाज के रुप मे इस हारे हुए और सिस्टम से निराश व्यक्ति के साथ खड़े रहने की आवश्यकता थी तब हम ट्विटर और फेसबुक पर “पप्पू” पर निम्नतम श्रेणी के जोक बनाये जा रहे थे। यह हमारे समाज की दशा और दिशा बताने के लिए काफी है।
फिर कोरोना काल आता है अपनी ही पार्टी और सिस्टम से हारा छात्र फिर से कोशिश करता है। समाज द्वारा पप्पू घोषित किया गया छात्र नए सिरे से राजनीति पढना और करना शुरू करता है। वो लोगो और सिस्टम को तथ्यों के साथ आने वाले खतरे औऱ उससे लड़ने के उपाय बताना शुरू कर देता है। लेकिन सिस्टम, सरकार और लोग उसे पप्पू समझकर तिरस्कृत कर देते है। लेकिन अचानक से उसकी बताई हुई है एक एक बात सच होने लगती है सारे उपाय सरकार देर से ही सही लेकिन धीरे धीरे स्वीकार करना शुरू कर देती है।
आज यह तथाकथित पप्पू मजदूरों, गरीबों औऱ मिडिल क्लास की आवाज बनकर खड़ा है और महाज्ञानी शंहशाह को भी उसकी बात माननी पड़ रही है क्योकि याद रखिये किसी डेमोक्रेटिक सिस्टम में अगर नेता फेल होते है तो वह डेमोक्रेसी भी फैल होती है आज यही सिस्टम अपने बनाये पप्पू को पास कर रहा है। मतलब सिस्टम बदलने को तैयार है ..जिस दिन आपने इस सिस्टम को बदलना तय कर लिया तो तय मानिये आपके अंदर बैठा “पप्पू” पास हो गया..
(साभार )
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