महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर सियासी उबाल, ठाकरे बंधुओं ने किया जन आंदोलनों का आह्वान

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Three language issue in Maharashtra-महाराष्ट्र में भाषाई जंग छिड़ी हुई है, मामला है स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करना।

दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा एक से लेकर पांचवी तक हिंदी को अनिवार्य कर दिया है।

इसी मुद्दे पर राजनैतिक अवसर तलाशते हुए विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

राज ठाकरे ने मुंबई में 6 जुलाई को मार्च का आह्वान किया तो वही उद्धव ठाकरे ने 7 जुलाई को मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन की घोषणा कर दी है।

शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ‘त्रिभाषा नीति’ के तहत कक्षा 5 तक

हिंदी को अनिवार्य बनाने के राज्य सरकार के कथित कदम के खिलाफ 5 जुलाई को

संयुक्त रूप से विरोध मार्च का आयोजन करेंगे। शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की।

राउत ने कहा, “हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं। हमने हमेशा हिंदी का सम्मान किया है। हम जैसे लोगों ने हमेशा इसका महत्व समझा है।

हमारी पार्टी कई तरह से हिंदी का इस्तेमाल करती है। लेकिन हाल ही में ‘त्रिभाषा नीति’ के तहत कक्षा 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में

अनिवार्य करने का फैसला बच्चों पर अनावश्यक बोझ डालता है। यह एक शैक्षणिक और भाषाई मुद्दा है।”

उन्होंने कहा, “यह अच्छा नहीं था कि दो अलग-अलग रैलियां निकाली जाएं।

मैंने उद्धव और राज ठाकरे से चर्चा की। शिवसेना (यूबीटी) और मनसे दोनों

मिलकर 5 जुलाई को इस आंदोलन की शुरुआत करेंगे।”

राउत ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा प्रहार करते हुए उन पर महाराष्ट्र को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

इस पूरे मामले को लेकर महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भूसे ने राज ठाकरे से मुलाकात कर विस्तार से चर्चा भी की लेकिन एमएनएस प्रमुख संतुष्ट नहीं हुए।

शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर हिंदी भाषा को जबरदस्ती थोपने का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध जताया है

तो वही राज ठाकरे ने इसे हिंदी लादने की कोशिश करार दिया।

उद्धव ठाकरे की पार्टी की व्यंग्य पत्रिका मार्मिक में कुछ दिन पहले इसी मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्य्मंत्री देवेंद्र फडणवीस का कॉर्टून कवर पेज पर छपा था।

इसमें इसी मुद्दे को उठाया गया था। अब ठाकरे ने चेतावनी दे दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीजेपी की ओर से भाषाई आपातकाल लगाया जा रहा है।

हिंदी की आड़ में निरंकुशता थोपने की बीजेपी की कोशिश को मराठी भाषी चुनौती दिए बिना नहीं रहेंगे।

उन्होंने सभी मराठी भाषियों से धरने में शामिल होने की अपील की साथ ही उन्होंने कहा

साहित्यकारों, कलाकारों, वकीलों, और बीजेपी में सच्चे मराठी प्रेमियों आदि को भी इस

आंदोलन में भाग लेना चाहिए। इस मुद्दे पर राज ठाकरे भी पहले से सरकार पर हमलावर हैं।

तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने जोर देते हुए कहा महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के सम्मान होना चाहिए ।

उन्होंने कहा भारत में कई भाषाएं हैं, जैसे मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया और बंगाली।

संविधान सभा और बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुना।

उन्होंने कहा कि मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि दोनों भाषाओं का सम्मान हो।

आठवले ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया इस मुद्दे पर रैली निकालेगी।

24 जून को, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि तीन-भाषा फॉर्मूले के बारे में

अंतिम निर्णय साहित्यकारों, भाषा विशेषज्ञों, राजनीतिक नेताओं और अन्य सभी

संबंधित पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही लिया जाएगा।

 

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