पीएम मोदी की घोषणा से मैं अवाक रह गई : उमा भारती

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-ये भाजपा कार्यकर्ताओं की नाकामी

नई दिल्‍ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले 19 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को खत्‍म करने की घोषणा की। पीएम मोदी ने कहा कि हालांकि सरकार तीन नए कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को समझाने में नाकाम रही। सरकार के लिए हर किसान अहम है, इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं।

इसके बाद अलग- अलग दलों के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी। इस बारे में मध्‍य प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कई ट्वीट किए हैं।

उन्‍होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘मैं पिछले चार दिनों से वाराणसी में गंगा किनारे हूं। 19 नवम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की तो मैं अवाक रह गई, इसलिए तीन दिन बाद प्रतिक्रिया दे रही हूं।

पीएम मोदी ने कानून वापसी की घोषणा करते समय जो कहा, वह मेरे जैसे लोगों को बहुत व्यथित कर गया। अगर कृषि कानूनों की महत्ता प्रधानमंत्री मोदी किसानों को नहीं समझा पाए तो उसमें हम सब भाजपा के कार्यकर्ताओं की कमी है। हम क्यों नहीं किसानों से ठीक से संपर्क और संवाद कर सके।

हम नहीं कर सके विपक्ष के निरंतर दुष्प्रचार का सामना : उमा भारती ने आगे लिखा कि पीएम नरेंद्र मोदी बहुत गहरी सोच और समस्या की जड़ को समझने वाले प्रधानमंत्री हैं। जो समस्या की जड़ समझता है, वह समाधान भी पूर्णतः करता है।

भारत की जनता और पीएम मोदी का आपस का समन्वय, विश्व के राजनीतिक, लोकतांत्रिक इतिहास में अभूतपूर्व है। कृषि कानूनों के संबंध में विपक्ष के निरंतर दुष्प्रचार का सामना हम नहीं कर सके। इसी कारण उस दिन प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से मैं व्यथित हो रही थी।

अंत में उमा भारती ने लिखा कि पीएम मोदी ने तो क़ानूनों को वापस लेते हुए भी अपनी महानता स्थापित की। हमारे देश का ऐसा अनोखा नेता सदैव सफल रहे, यही बाबा विश्वनाथ व मां गंगा से प्रार्थना करती हूं।

सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं : इसके कुछ देर बाद उमा भारती ने एक और ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि मैंने अभी कुछ देर पहले कुछ ट्वीट्स किए हैं। उसी विषय से सम्बन्धित कुछ और बातें हैं जो मैं एक अंतराल के बाद बोलना चाहती थी, इसलिए अब उस विषय पर बोल रही हूं।

उमा ने लिखा कि आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए। मैं स्वयं एक किसान परिवार से हूं। मेरे दो सगे बड़े भाई आज भी खेती पर आश्रित हैं। मेरा उनसे निरंतर संवाद होता है।

मेरी जन्मभूमि के गांव से मेरा जीवंत संपर्क है। मैंने देखा है कि गेहूं और धान की बालियां, सोयाबीन की पत्तियां, चने के पेड़ तथा रसीले गन्ने कितने भी हरे-भरे रहें और लहरायें, मेरे भाई की चिंता कम नहीं होती ।

खेती किसान की, जंगल आदिवासियों के : उमा भारत ने आगे लिखा है कि मेरे बड़े भाई अमृतसिंह लोधी मुझसे हमेशा कहते हैं कि खेत एक अचल सम्पत्ति एवं खेती एक अखंड समृद्धि की धारा हैं, किन्तु किसान कभी रईस नहीं हो पाता है।

मेरे भाई अमृतसिंह लोधी की जिंदगी को मैं अपने जन्म से देख रही हूं। पूर्व सीएम ने आगे ल‍िखा कि मुझे जो समझ में आया वह यह है। खाद , बीज और बिजली समय पर मिले तथा अनाज को अपनी मर्जी के मुताबिक बेचने का अधिकार यह खुशहाली का सूत्र हो सकता है।

खेती किसान की, तालाब मछुआरों के, मंदिर पुजारी का, जंगल आदिवासियों के और दुनिया भगवान की। बस बीच में और कोई ना आवे तो सबकुछ ठीक रहेगा इन्हीं बातों को कभी विस्तार से और कहूंगी।

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