नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर कानूनी कार्रवाई का दौर जारी है। पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी चिदंबरम तिहाड़ जेल में हैं। कर्नाटक की सियासत के बड़े खिलाडी कांग्रेस के शिवकुमार भी हिरासत में हैं। ताज़ा मामला कमलनाथ का दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ 1984 के सिख दंगों का मामला एक बार फिर खुलने जा रहा है। क्या कमलनाथ भी हिरासत में होंगे ? मालूम हो कि कांग्रेसी नेताओं पर कार्रवाई केंद्रीय एजेंसियों ने ही की है। केंद्र सरकार के अधीन है ये सभी एजेंसियां। ये भी संयोग है कि पी चिदंबरम ने कभी गृह मंत्री रहते अमित शाह पर बड़ी कार्रवाई के आदेश दिए थे। कर्नाटक के शिवकुमार ने येदुयरप्पा का रास्ता रोका था। कमलनाथ से जुड़े मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय फिर खोलने जा रहा है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है. इस बारे में एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक इन मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मुकदमा बंद हो चुका है.
अधिसूचना के सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन सात मामलों में से एक के आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी। सिरसा ने बताया, कि नई दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में नाथ का नाम कभी नहीं आया. मामले (एफआईआर संख्या-601/84) में आरोपी के तौर पर नामित पांच लोगों को नाथ के आवास में ठहराया गया था। इन सभी आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
एसआईटी अब क्योंकि इस मामले की भी फिर से जांच करेगी, दो गवाह एसआईटी के समक्ष पेश होंगे जहां वे दंगों में कमलनाथ की भूमिका के बारे में बताएँगे। ये गवाह संजय सूरी और मुख्तियार सिंह हैं। सूरी अब इंग्लैंड में रहते हैं जबकि सिंह अब पटना में हैं। दोनों गवाह एसआईटी को अपने बयान दर्ज कराने के लिये तैयार हैं। यह मामला दंगाइयों की एक भीड़ के यहां गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में घुसने से संबंधित है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक एसआईटी ने समीक्षा या प्रारंभिक जांच के लिये उन मामलों को लिया है जिसमें आरोपी बरी हुए हैं। सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामले 1984 में वसंत विहार, सनलाइट कॉलोनी, कल्याणपुरी, संसद मार्ग, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा पुलिस थानों में दर्ज किये गए थे।
एसआईटी ने व्यक्तियों और संगठनों से इन सात मामलों से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिये तैयार है। यह मामला दंगाइयों की एक भीड़ के यहां गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में घुसने से संबंधित है। नाथ पूर्व में आरोपों से इनकार कर चुके हैं।
इससे पहले दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में दोषी ठहराते हुए उसे ताउम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। ठीक उसी समय कांग्रेस द्वारा कमलनाथ को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था, जिसे अकाली दल ने सिख विरोधी क़रार दिया था।