पवार की बारामती .. पीने को दारु मिलेगी भरपूर, पानी के लिए जाना होगा बहुत दूर

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बारामती तीन चीज़ों के लिए प्रसिद्द है शरद, शुगर, शराब। पर जनता पिछले तीन दशक से पीने के पानी को तरस रही है, आप इस इलाके में जाएंगे तो शहरी चकाचौंध के बाद आपका सामना होगा नीले सफ़ेद पानी के ड्रमों से। इस इलाके के गाँवों में प्रति परिवार सप्ताह में एक बार 200 लीटर पानी मिलता है। मुकाबला ननद-भाभी के बीच है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और उनके भतीजे अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आमने-सामने है।

पंकज मुकाती (Editor, politicswala )

महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट। शरद पवार का गढ़। या कहिये पवार परिवार का पॉवर हाउस। 1967 में पहली बार खुद शरद पवार यहां से विधायक चुने गए। उसके बाद से लगातार इस लोकसभा सीट पर पवार परिवार का कब्ज़ा है। पूरे 53 साल। बारामती तीन चीज़ों के लिए प्रसिद्द है शरद, शुगर, शराब। यहाँ तीसरे चरण में सात मई को वोट पड़ेंगे। मुकाबला ननद-भाभी के बीच है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और उनके भतीजे अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आमने-सामने है

शरद यानी पवार पॉवर। शुगर यानी इलाके में शुगर मिल। शराब यानी इस लोकसभा में अंगूर की शराब बनाने के कई कारखाने है। बारामती के बाहर से जब आप पवार की ताकत को आंकेंगे तो आपको लगेगा इलाके में शुगर मिल, शराब कारखाने और बेहद संपन्नता है। पर हकीकत में जब हम बारामती में प्रवेश करते हैं तो सामना होता हो सूखे से। पानी को तरसती जनता के खाली ड्रम, बर्तनों से। हाईवे पर कतार से आपको प्लास्टिक और स्टील की कोठियां रखी हुई। दिख जायेगी।

बारामती में पीने को पानी से ज्यादा आसान है दारु हासिल करना। शहरी बारामती में शानदार कार के शोरूम, चकाचौंध देखकर आप कुछ ही किलोमीटर आगे बढ़ेंगे आपका स्वागत पीले-सफ़ेद पाने के इंतज़ार में सड़क किनारे रखे प्लास्टिक के ड्रम से होगा। पिछले कई दशक से ये इलाका सूखे का सामना कर रहा है।

पवार केंद्र से लेकर राज्य की राजनीति तक शक्तिशाली रहे पर वे भी पानी का कोई स्थायी इंतज़ाम नहीं कर सके।पवार का गढ़ भी वैसा ही है जैसेदूसरे नेताओं के परेशानी से भरे हुए।

कोलकाता से प्रकाशित टेलीग्राफ की रिपोर्ट में भी लिखा है – शराब, हमेशा की तरह, बारामती में बहती रही है, कम से कम इसकी वाइनरी में बोतलों में। यहाँ की ज्यादातर शराब विदेशों में निर्यात होती है। पुणे जिले के बारामती उपखंड के गांवों में, सूखे से लड़ रहे परिवारों को पानी ऐसे पीना पड़ता है जैसे कि शराब का जाम हो। बेहद नापतौल के। कपडे धोने नहाने के लिए पानी तो बेहद मुश्किल है।

बारामती अपने अंगूर के बागानों और 12 से अधिक शराब कारखानों के लिए जाना जाता है। दो दशक से इस धंधे में इस इलाके ने पहचान बनाई है। देश के सबसे अमीर राजनीतिक परिवारों में से एक, पवार परिवार के इस गढ़ में जल संकट भी दशकों से है। गर्मियों में हालत बदतर रहते हैं। शराब के धंधे, शुगरकारखानों की हिस्सेदारी, कॉलेजों के मालिकाना हक़ पर पवार परिवार सक्रिय है। पर जनता को पानी की व्यवस्था उसने भी आसमान के हवाले छोड़ रखी है।

परिवारों को “मुफ़्त पानी” की आपूर्ति राशन की तरह होती है। स्थानीय पंचायत समिति द्वारा छोटे परिवार को केवल 200 लीटर पानी दिया जाता है, वो भी सप्ताह में एक बार यानी। प्रतिदिन 25 लीटर पानी में इन परिवारों को गुजारा करना होता है। इलाके में राजनेताओं के संरक्षण में पानी माफिया भी सक्रिय है। ये माफिया 200 लीटर पानी के बदले सौ रुपये वसूलता है। ये धंधा खुलेआम चल रहा है।

1967 में शरद पवार के यहां से विधायक चुने जाने के बाद से बारामती पर पवार परिवार का नियंत्रण है। वर्तमान बारामती विधायक, जो 1991 से यहां से हर चुनाव जीतते रहे हैं, शरद के भतीजे अजीत पवार हैं। शरद की बेटी सुप्रिया सुले बारामती से सांसद हैं और अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रही हैं। अजित उपमुख्यमंत्री हैं। तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले का कहना है राज्य सरकार ने ठीक से काम नहीं किया।

मोदी की ‘हर घर जल’ योजना भी सिर्फ कागज़ी

भारतीय जनता पार्टी खासकर नरेंद्र मोदी सरकार का नारा “हर घर जल’ भी इस इलाके में कहीं दिखाई नहीं देती। कुछ इलाकों में नल तो दिखते हैं, पर उनमे जल नहीं आता। इन नलों में भी पानी सप्ताह में एक दिन ही आता है।

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