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ऑपरेशन सिंदूर .. शशि थरूर और मनीष तिवारी नाराज, सदन में रहेंगे मौनव्रत !

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नई दिल्ली। संसद में चल रही ऑपरेशन सिंदूर चर्चा में [ पार्टी की ओर से न बोलने दिए जाने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर के बाद मनीष तिवारी ने भी नाराजगी जाहिर की है। मालूम हो कि थरूर और तिवारी दोनों सरकार के उस दल में शामिल थे जो विदेश जाकर ऑपेरशन सिंदूर के बारे में जानकारी दे रहा था। विदेश से लौटकर दोनों नेता प्रधानमंत्री से भी मिले थे।

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तिवारी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट में पूरब और पश्चिम फिल्म के देशभक्ति गीत की पंक्तियां लिखीं, ‘भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। जय हिंद!’। वहीं, अपने ट्विट के बारे में पूछे जाने पर तिवारी ने मीडिया से कहा कि

अंग्रेजी में एक कहावत है, If you don’t understand my silences, you will never understand my words. यानी अगर तुम मेरी चुप्पी नहीं समझ सकते, तो मेरी बातों को कभी नहीं समझ पाओगे।

इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में शामिल होने के सवाल को टाल गए थे। उन्होंने मीडिया से कहा, ‘मौनव्रत… मौनव्रत।’ दरअसल, पहले खबर आ रही थी कि वे संसद की बहस में शामिल हो सकते हैं।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और शशि थरूर ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश की यात्रा पर गए थे। थरूर ने दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजे गए सात डेलिगेशन में से एक का नेतृत्व किया था। वहीं, तिवारी सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले डेलिगेशन में शामिल थे।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के एक सांसद ने कहा कि पार्टी ने जानबूझकर नए सांसदों को मौका दिया, क्योंकि थरूर और तिवारी जैसे नेता विदेश में सरकार के समर्थन में बोल चुके हैं। पार्टी अब चाहती है कि संसद में सरकार की आलोचना हो और विपक्ष की आवाज सामने आए। इसलिए ऐसे नेताओं को चुना गया जो पूरी तरह पार्टी लाइन पर हों।

शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे नेता अक्सर अपनी अलग राय रखते हैं। हाल में जब वे विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, तब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर सरकार की तारीफ की थी।

कांग्रेस को डर था कि ये नेता संसद में भी सरकार का पक्ष मजबूती से रख सकते हैं, जिससे कांग्रेस की रणनीति कमजोर पड़ सकती है। इस वजह से कांग्रेस ने उन्हें बहस से बाहर रखा और उनकी जगह ऐसे नेताओं को चुना, जो पूरी तरह पार्टी के सुर में बोलें।

कांग्रेस की तरफ से दोनों का नाम नहीं भेजा गया था

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा था, ‘शुक्रवार (16 मई) सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार​​ के नाम दिए थे।’

खड़गे ने कहा था- मोदी पहले हैं और देश बाद में

भारत लौटने के बाद भी थरूर और कांग्रेस के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हुए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने थरूर का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ लोगों के लिए मोदी पहले हैं और देश बाद में। खड़गे का यह बयान थरूर के सरकार की ओर झुकाव को लेकर था।

थरूर ने कहा था- सम्मानित महसूस कर रहा हूं

दूसरी तरफ, शशि थरूर ने डेलिगेशन का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलने पर केंद्र का आभार जताया था। उन्होंने X पर लिखा, ‘मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण रखने के लिए पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में एक सर्वदलीय डेलिगेशन का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा।’

 

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