Justice Verma पर नहीं होगी FIR, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका

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Justice Verma Cash Discovery Case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज के घर से मार्च में नकदी के जले हुए बंडल कथित तौर पर मिले थे, जब उनके घर के बाहर आग लग गई थी।

Justice Yashwant Verma Cash Discovery Row: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (21 मई) को राष्ट्रीय राजधानी में हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कैश बरामद होने के मामले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। Justice Verma पर नहीं होगी FIR, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि 8 मई को शीर्ष अदालत द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में अंकित है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट और जज के जवाब को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष कार्रवाई की मांग करते हुए कोई आवेदन दायर नहीं किया, इसलिए इस पर आदेश की मांग करने वाली रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने उन दोनों के समक्ष कोई प्रतिनिधित्व दायर नहीं किया था, इसलिए अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती। Justice Verma पर नहीं होगी FIR, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका

जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई जस्टिस ओका ने व्यक्तिगत रूप से पेश वकील मैथ्यूज नेदुम्परा से कहा, “आंतरिक जांच रिपोर्ट है। इसे भारत के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को भेज दिया गया। इसलिए मूल नियम का पालन करें। यदि आप परमादेश रिट की मांग कर रहे हैं तो आपको सबसे पहले उन अधिकारियों के समक्ष आवेदन करना होगा, जिनके समक्ष यह मुद्दा लंबित है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा कार्रवाई की जानी है।”

जस्टिस ओका ने आगे कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप दाखिल नहीं कर सकते। आप रिपोर्ट की विषय-वस्तु नहीं जानते। हम भी उस रिपोर्ट की विषय-वस्तु नहीं जानते। आप उनसे कार्रवाई करने का आह्वान करते हुए अपील करें। यदि वे कार्रवाई नहीं करते हैं तो आप यहां आ सकते हैं।”

आंतरिक जांच समिति द्वारा वर्मा को दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व CJI संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने का संकेत दिया था। जब जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया तो खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। विवाद के बीच वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया।

सीनियर वकील मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका में आपराधिक कार्यवाही तत्काल शुरू करने का अनुरोध किया गया। इसमें कहा गया है कि आंतरिक समिति ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है।

याचिका में कहा गया है कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है। मार्च में इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए और औपचारिक पुलिस जांच की मांग करते हुए शीर्ष न्यायालय का रुख किया था।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने आंतरिक कार्यवाही लंबित रहने का हवाला देते हुए याचिका को समय से पहले दायर मानकर खारिज कर दिया। होली की रात 14 मार्च 2025 को मध्य दिल्ली में जस्टिस वर्मा के बंगले पर फायर ब्रिगेड को बुलाया गया था। जब वे आग बुझा रहे थे तो कथित तौर पर एक आउटहाउस में नकदी के जले हुए बंडल पाए गए थे।

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