Ministers Shrawan Kumar Attack

Ministers Shrawan Kumar Attack

नीतीश के मंत्री-विधायक पर नालंदा में हमला: मुआवजे की मांग पर भड़के ग्रामीणों ने 1 किमी तक खदेड़ा

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Ministers Shrawan Kumar Attack: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में बुधवार 27 अगस्त को एक बड़ा राजनीतिक हंगामा देखने को मिला।

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और हिलसा विधायक कृष्ण मुरारी उर्फ प्रेम मुखिया पर गांव के लोगों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया।

भीड़ ने दोनों नेताओं को करीब एक किलोमीटर तक खदेड़ा और उनकी गाड़ियों पर पथराव किया।

हालात इतने बिगड़े कि मंत्री-विधायक को जान बचाने के लिए लगातार तीन गाड़ियां बदलनी पड़ीं।

पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे थे मंत्री-विधायक

पूरी घटना नालंदा के मलामा गांव की है।

23 अगस्त को पटना के दनियावां-हिलसा स्टेट हाईवे पर हुए एक भीषण सड़क हादसे में मलामा गांव के 9 लोगों की मौत हो गई थी।

इस हादसे में 8 महिलाएं और ऑटो ड्राइवर शामिल थे, जबकि 4 लोग घायल हुए।

सभी गंगा स्नान के लिए निकले थे, तभी सीमेंट फैक्ट्री के पास ट्रक-ऑटो की आमने-सामने टक्कर हो गई।

हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम किया और मुआवजे की मांग की थी।

इसी हादसे के पीड़ित परिवारों से मिलने और सांत्वना देने के लिए मंत्री-विधायक गए थे।

बुधवार सुबह करीब 10 बजे मंत्री श्रवण कुमार और विधायक प्रेम मुखिया गांव पहुंचे, उनके साथ पुलिस और सुरक्षा कर्मी भी थे।

भीड़ ने समस्याएं गिनाईं, कार्रवाई की उम्मीद

गांव में प्रवेश करते ही बड़ी संख्या में लोग मंत्री और विधायक के साथ हो लिए।

भीड़ ने नेताओं को अपनी-अपनी समस्याएं बताईं।

दोनों नेताओं को उन घरों में ले जाया गया, जहां हादसे में मृतकों के परिवार रहते थे।

मंत्री-विधायक ने एक-एक कर सभी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और जल्द मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया।

गांव वालों की उम्मीद थी कि नेता मौके पर ही कोई ठोस कदम उठाएंगे या मुआवजे की औपचारिक घोषणा करेंगे।

लेकिन मुलाकात के बाद मंत्री ने कहा कि उन्हें आगे अन्य कार्यक्रमों में जाना है। जैसे ही यह बात कही गई, भीड़ भड़क गई।

नाराजगी के बाद शुरू हुआ हंगामा

ग्रामीणों का आरोप था कि हादसे के दिन हिलसा विधायक ने आश्वासन दिया था कि मुआवजा दिलवाने के लिए तुरंत कार्रवाई करेंगे।

उसी भरोसे पर ग्रामीणों ने 23 अगस्त को सड़क जाम हटाया था।

लेकिन 4 दिन बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

मंत्री और विधायक के जाने की बात सुनकर भीड़ ने रास्ता रोक दिया।

कुछ ग्रामीणों ने एक स्थानीय पत्रकार और विधायक कृष्ण मुरारी को घेर लिया।

देखते ही देखते सैकड़ों लोग मौके पर जुट गए और घरों से लाठी-डंडे निकाल लाए।

सुरक्षा कर्मियों ने निकाला, 3 गाड़ियां बदली

स्थिति बिगड़ते देख मंत्री-विधायक के बॉडीगार्ड्स ने उन्हें वहां से निकालने की कोशिश की।

करीब 700 मीटर तक सुरक्षा बलों ने नेताओं को भीड़ से बचाते हुए गांव से बाहर लाने की कोशिश की।

इस दौरान लगातार नारेबाजी, धक्का-मुक्की और लाठी-डंडों से गाड़ियों पर हमला होता रहा।

पहली गाड़ी तक पहुंचे तो 10-12 लोग सामने और 20-25 लोग पीछे से घेर कर खड़े हो गए।

गाड़ी पर लाठी से हमला कर दिया गया।

पुलिस ने तत्काल मंत्री को बाहर निकाला और दौड़ते हुए दूसरी गाड़ी तक ले गए।

लेकिन वहां भी भीड़ पहुंच गई और पथराव शुरू हो गया।

आखिरकार तीसरी गाड़ी तक ले जाकर मंत्री और विधायक को सुरक्षित बाहर निकाला गया।

इस दौरान उनके बॉडीगार्ड्स भी घायल हुए।

भीड़ पीछा करते हुए बाहर तक आई और लगातार पथराव करती रही।

पटना में ट्रक-ऑटो में टक्कर, 9 की मौत

दरअसल, 23 अगस्त की सुबह दनियावां के सिगरियावा स्टेशन के पास यह सड़क हादसा हुआ था।

मृतकों में मां-बेटी समेत एक ही परिवार के कई लोग शामिल थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रक ने तेज रफ्तार में आकर ऑटो को टक्कर मारी।

हादसे के बाद ट्रक सीमेंट फैक्ट्री के अंदर भाग गया।

गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क जाम किया और फैक्ट्री संचालक को मौके पर बुलाने की मांग की थी।

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

उनका आरोप है कि नेताओं ने सिर्फ आश्वासन दिया लेकिन कोई ठोस पहल नहीं की।

3 दिन में दूसरे मंत्री पर हमला

फिलहाल, घटना के बाद मलामा गांव में तनाव का माहौल है।

प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है। हमलावरों की पहचान की जा रही है।

कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें भीड़ का आक्रोश और पथराव साफ दिखाई दे रहा है।

बता दें यह घटना बिहार में 3 दिनों में दूसरी बार किसी मंत्री पर हमले की है।

25 अगस्त को पटना के अटल पथ पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की गाड़ी पर भी पथराव हुआ था।

लगातार हो रही इन घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने नीतीश सरकार के मंत्रियों की सुरक्षा और जनसंपर्क के तौर-तरीकों पर बहस छेड़ दी है।

सवाल उठ रहा है कि जब मुख्यमंत्री का गृह जिला ही सुरक्षित नहीं, तो बाकी जगहों की स्थिति कैसी होगी?

फिलहाल प्रशासन गांव में हालात काबू में करने और हमलावरों की पहचान में जुटा है।

 

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