भोपाल में राजभवन के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक

भोपाल में राजभवन के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक

मंत्री विजय शाह केस- धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक गिरफ्तार: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

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Minister Vijay Shah case-मंत्री विजय शाह केस मामले पर राजभवन के बाहर धरना दे रहे कांग्रेस विधायकों को पुलिस ने जबरन उठा दिया। धरने पर बैठे कोंग्रेसियों को गिरफ्तार कर लिया गया। कर्नल सोफिया पर मंत्री विजय शाह के आपत्तिजनक बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई है। इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए भेजा गया था। मंत्री विजय शाह केस- धरने पर बैठे कांग्रेस विधायक गिरफ्तार: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने महिला अधिकारी के बारे में शाह की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, “आप किस तरह के बयान दे रहे हैं… सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री, वह भी तब जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है

कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की याचिका पर सुनवाई होगी। शाह ने गुरुवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच के सामने तत्काल सुनवाई की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने इनकार कर दिया था।

साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा था कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। आप किस तरह के बयान दे रहे हैं? ⁠देखना चाहिए कि कैसे हालात हैं? ⁠आप जिम्मेदार पद पर हैं, जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

दरअसल 11 मई को मध्य प्रदेश के महू में विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन बताया था। फिर उसके बाद माफी मांगी।

इधर, भोपाल में राजभवन के बाहर धरने पर बैठे कांग्रेस विधायकों को पुलिस ने जबरन उठा दिया और गिरफ्तार कर वैन में बैठा लिया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार का यही चेहरा है। कांग्रेस की मांग को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मामला कोर्ट में है। हम फैसले का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट का अपमान करना कांग्रेस की आदत रही है।

धरने पर बैठे कांग्रेसी विधायक

मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों का प्रतिनिधिमंडल आज राज्यपाल से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मंत्री विजय शाह को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद कांग्रेसी विधायक काले कपड़ों में राजभवन के बाहर धरने पर बैठ गए। बाद में उन्हें पुलिस ने जबरन उठाया और गिरफ्तार करके ले गई।

हाईकोर्ट ने निर्णय लिया, सरकार चुप क्यों?

विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार कांग्रेस विधायकों के साथ राजभवन के बाहर धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, ”उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि यह देश की सेना के अधिकारी और एक महिला का अपमान है और सरकार इस मामले में अब तक निर्णय नहीं ले पाई है। जबकि हाईकोर्ट इस मामले में निर्णय ले चुकी है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी सरकार निर्णय नहीं ले पा रही। मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने कहा कि मैं इस संबंध में बात करता हूं। इसलिए जब तक राज्यपाल का जवाब नहीं आता हम सभी धरने पर बैठे रहेंगे।

 

आप किस तरह के बयान दे रहे हैं…”

इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति जॉर्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मंत्री शाह की जिम्मेदारी की भावना पर सवाल उठाया, जिन्होंने कथित तौर पर कर्नल कुरैशी के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने महिला अधिकारी के बारे में शाह की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, “आप किस तरह के बयान दे रहे हैं… सरकार के एक जिम्मेदार मंत्री, वह भी तब जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा है… संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से संयम बरतने की अपेक्षा की जाती है. मंत्री के बोले हर वाक्य में जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए। ”

मीडिया ने दुर्भाग्य से बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया

वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा के जरिए शाह ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने 16 मई, 2025 को उनके मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई। मखीजा ने शीघ्र सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख में कहा कि मीडिया ने टिप्पणियों को “दुर्भाग्य से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश किया।

उच्च न्यायालय में ही अपना मामला क्यों नहीं लड़ना चाहिए

पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश पारित करने से पहले उच्च न्यायालय ने मंत्री को सुनवाई का अवसर नहीं दिया। उस समय, मुख्य न्यायाधीश गवई ने पूछा कि मंत्री को सीधे सर्वोच्च न्यायालय क्यों जाना चाहिए और उच्च न्यायालय में ही अपना मामला क्यों नहीं लड़ना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश गवई ने मखीजा से पूछा, “कोई व्यक्ति मंत्री है, इसलिए इस पर यहां विचार किया जाना चाहिए?” वरिष्ठ वकील ने कहा कि शाह ने सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया है और उनके पास इसकी रिकॉर्डिंग है।

 

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