Mayawati BSP Rally

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BSP का शक्ति प्रदर्शन: 9 साल बाद पुराने तेवर में मायावती, भतीजे आकाश आनंद को बताया उत्तराधिकारी

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Mayawati BSP Rally: बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को लखनऊ में 9 साल बाद बड़ी रैली कर राजनीतिक मैदान में एक बार फिर ताकतवर वापसी का संकेत दिया।

कांशीराम स्मारक में आयोजित इस ‘शक्ति प्रदर्शन रैली’ में मायावती पुराने तेवर में नजर आईं। मंच पर उनके साथ भतीजे आकाश आनंद मौजूद रहे।

हजारों की संख्या में पहुंचे समर्थकों के बीच मायावती ने सपा और अखिलेश पर तीखा हमला बोला, वहीं योगी आदित्यनाथ सरकार की खुलकर तारीफ भी की।

योगी की तारीफ, सपा पर वार

मायावती ने अपने भाषण की शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी को निशाने पर लिया, तो वहीं सीएम योगी की तारीफ भी की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए मायावती ने कहा कि मेरे आग्रह पर पार्क की मरम्मत पर पूरा खर्च किया गया।

मौजूदा सरकार ने कांशीराम पार्क और अंबेडकर पार्क में आने वाले लोगों से मिलने वाले टिकटों के पैसे को सपा सरकार की तरह दबाया नहीं।

मायावती के इस बयान को कई राजनीतिक विश्लेषकों ने भाजपा के प्रति एक “सॉफ्ट स्टैंड” के तौर पर देखा।

वहीं, मायावती ने कहा कि सपा को जब सत्ता में रहने का मौका मिलता है तो इन्हें न तो PDA याद आता है, न बहुजन समाज की चिंता।

लेकिन जैसे ही कुर्सी जाती है, ये खुद को सामाजिक न्याय का ठेकेदार बताने लगते हैं। जनता अब इनके दोहरे रवैये को समझ चुकी है।

मायावती ने अखिलेश यादव के हालिया बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि सपा दोगली पार्टी है और उसका असली चेहरा जनता के सामने आ चुका है।

इसके अलावा मायावती ने बिना नाम लिए नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद पर हमला बोला। उन्होंने कहा, हमें कमजोर करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा है।

स्वार्थी और बिकाऊ किस्म के लोगों का इस्तेमाल करके कई संगठन बनाए गए हैं। अब तो ये अंदर ही अंदर अपने वोट ट्रांसफर करवाकर दलित वोटों को बांटने की साजिश कर रहे हैं।

उन्होंने समर्थकों को चेतावनी दी कि ऐसे लोगों से सतर्क रहें जो दलित आंदोलन को कमजोर करने में लगे हैं।

आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बताया

रैली में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को खुले तौर पर आगे बढ़ाने का ऐलान किया।

उन्होंने कहा, आकाश आनंद अब एक बार फिर मूवमेंट से जुड़ चुके हैं। वह मेरे दिशानिर्देश में काम करेंगे।

जैसे कांशीराम जी ने मुझे आगे बढ़ाया, वैसे ही मैं आकाश को आगे बढ़ा रही हूं। आप सभी से अपील है कि मेरी तरह आकाश का भी साथ दें।

उन्होंने सतीश चंद्र मिश्रा और उनके बेटे कपिल मिश्रा की भी सराहना की।

बसपा के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल और जमील अख्तर की भी प्रशंसा की।

मायावती ने कहा कि आने वाले दिनों में वह पार्टी के कार्यक्रमों में पहले से ज्यादा सक्रिय रहेंगी।

उन्होंने कहा, अब मैं आप लोगों के बीच ज्यादा समय दूंगी। 2027 में हमें पांचवीं बार बसपा की सरकार बनानी है।

इसके लिए सपा, भाजपा और कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के षड्यंत्रों से सजग रहना होगा।

बता दें, साल 2012 में सत्ता से बाहर होने के बाद बसपा का ग्राफ लगातार गिरता गया।

2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी केवल एक सीट जीत पाई, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुला।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रैली मायावती के लिए “राजनीतिक पुनर्जागरण” का मौका बन सकती है।

आकाश आनंद की सक्रियता और मायावती की बदली हुई रणनीति से बसपा अपने खोए जनाधार को वापस पाने की कोशिश कर रही है।

मंच पर नए चेहरों की मौजूदगी

मायावती ने मंच से कार्यकर्ताओं की मेहनत की सराहना करते हुए कहा, यह भीड़ दिहाड़ी देकर नहीं लाई गई है।

ये लोग खुद अपनी मेहनत की कमाई से आए हैं। यही बसपा की असली ताकत है।

उनके इस बयान पर समर्थकों ने जमकर नारे लगाए — बहनजी तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।”

इस रैली की एक खास बात यह रही कि पहली बार मायावती ने मंच पर दूसरे नेताओं को भी बैठने की जगह दी।

मंच पर मायावती के बगल में मुस्लिम समुदाय के मुनकाद अली, नौसाद अली और शमसुद्दीन बैठे थे।

दलित समाज से उनके भाई आनंद, भतीजे आकाश, गिरीश चंद्र जाटव और धनश्याम चंद्र खरवार को जगह मिली।

वहीं ओबीसी और सामान्य वर्ग से सतीश चंद्र मिश्रा, उमाशंकर सिंह और विश्वनाथ पाल को शामिल किया गया।

कांशीराम स्मारक में आयोजित इस रैली में पांच राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से लाखों कार्यकर्ता पहुंचे।

भीड़ इतनी अधिक थी कि डेढ़ लाख की क्षमता वाला मैदान पूरी तरह भर गया।

आसपास की सड़कों पर भी समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा।

सुरक्षा के लिए 5 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों और 2 हजार बसपा वॉलंटियर्स को तैनात किया गया।

बहरहाल, लखनऊ की यह रैली न केवल बसपा के लिए बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए भी अहम संकेत छोड़ गई है।

मायावती ने जहां सपा पर हमला कर विपक्षी समीकरणों को चुनौती दी, वहीं योगी सरकार की तारीफ कर भविष्य में नए राजनीतिक समीकरणों की संभावनाओं को भी हवा दी।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा की यह “नई शुरुआत” 2027 के विधानसभा चुनाव तक कितनी असरदार साबित होती है।

 

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