ज्योतिरादित्य के समर्थकों को पूरी तव्वजों के बाद भाजपा में विरोध के स्वर उठने लगे हैं, ‘समरथ को नहीं दोष’ जैसी चौपाईके जरिये बड़े नेताओं को निशाने पर लिया जा रहा है
अरुण पटेल (प्रबंध संपादक, सुबह सवेरे )
शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में न केवल तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की वापसी हुई बल्कि उन्हें फिर से मनचाहे विभाग मिल गए। तुलसी सिलावट को जल संसाधन के साथ कुछ और विभाग मिले हैं जबकि गोविंद राजपूत को उनका मनचाहा राजस्व और परिवहन विभाग मिल गया है।
प्रदेश में दलबदल के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद कुछ समय के अंतराल को छोड़ दिया जाए तो यह दोनों विभाग राजपूत के पास कांग्रेस और भाजपा दोनों की ही सरकार में रहे हैं। इस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के अथक प्रयासों के बाद दोनों मंत्रियों को एक-एक ऐसा विभाग मिल गया है जिन्हें कमाऊ विभाग माना जाता है। इससे यह भी साफ हो गया है कि मध्य प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक दौर में भाजपा के अंदर कोई चाहे भी तो भी सिंधिया की उपेक्षा या उन्हें दरकिनार कर हाशिए पर नहीं ला सकता है।
’जो वादा किया वह निभाना पड़ेगा, चाहे रोके जमाना, चाहे रोके खुदाई, तुमको आना पड़ेगा’।अपने जमाने की ताजमहल फिल्म का यह मशहूर गाना था और उसकी ही तर्ज पर देखा जाए तो चाहे प्रदेश भाजपा नेतृत्व हंसी-खुशी निभाए या फिर केंद्रीय नेतृत्व के इशारे के बाद, लेकिन दलबदल के पूर्व जो भी वायदे ज्योतिरादित्य सिंधिया से किए गए थे वह निभाए जायेंगे चाहे कोई कितना ही फड़फड़ाए या खुशामद करे या कहता रहे कि समरथ को नहिं दोषु गुसाईं।
सिंधिया से किए गए वायदे निभाना भाजपा के लिए इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है ।क्योंकि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व पश्चिम बंगाल फतह की जो स्क्रिप्ट लिख रहा है उसमें तृणमूल कांग्रेस, वामपंथियों और कांग्रेस में सेंध लगाकर ही ममता बनर्जी के अभेद्य किले को ध्वस्त करने की रणनीति मुख्य है। उन सब लोगों को जो पश्चिमी बंगाल में भाजपा में आना चाहते हैं सिंधिया से वायदा निभाकर यह संदेश दिया गया है कि भाजपा जो वायदा करती है उसे हर हाल में पूरा करती है चाहे पार्टी के स्थापित नेता कितने ही अनमने क्यों ना हों।
डैमेज कंट्रोल करेगा भाजपा नेतृत्व
शिवराज मंत्रिमंडल में अपने पुराने रसूख और दबदबे के साथ तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत की वापसी से भाजपा के भीतर असंतोष के स्वर उठने लगे हैं। इसका आगाज एक ट्वीट के माध्यम से भाजपा के वरिष्ठ विधायक पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने रविवार 3 जनवरी को किए गए ट्वीट में किया। इसमें विश्नोई ने शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के माइक्रो विस्तार में महाकौशल और विंध्य के विधायकों के मनोभावों का प्रकटीकरण किया है।
बिश्नोई ने लगातार 2 ट्वीट करते हुए पीड़ा का इजहार किया । पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि मध्यप्रदेश में सरकार का पूर्ण विस्तार हो गया है। ग्वालियर- चंबल, भोपाल और मालवा क्षेत्र का हर दूसरा भाजपा विधायक मंत्री बन गया है। सागर और शहडोल संभाग का हर तीसरा भाजपा विधायक मंत्री है। दूसरे ट्वीट में विश्नोई ने लिखा है कि महाकौशल के 13 भाजपा विधायकों और रीवा संभाग के 18 भाजपा विधायकों में से 1-1 विधायक को राज्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला है।
महाकौशल और विन्ध फड़फड़ा सकते हैं उड़ नहीं सकते। महाकौशल और विन्ध को खुश रहना होगा। खुशामद करते रहना होगा। यह बात काफी गहरी है और जब निकली है तो दूर तक ना जाए इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत अब अजय विश्नोई सहित जो कुछ और मंत्री ना बनने से विधायक असंतुष्ट हैं उनसे चर्चा करेंगे।
असंतुष्ट विधायकों को सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों में एडजस्ट करने का आश्वासन देंगे। फिलहाल सरकार में चार मंत्री पद अब रिक्त है तथा दो पद विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के भरे जाना है। निगम और मंडलों में मंत्री का दर्जा देकर संतुष्ट किया जा सकता है। संगठन में अभी काफी पद खाली हैं ।
महाकौशल और विंध्य अंचल के वरिष्ठ विधायकों में जो असंतोष चल रहा है वह बिश्नोई के ट्वीट के बाद आगे चलकर लामबंद होने की आशंका ने पार्टी नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है इसलिए सबसे पहले बिश्नोई से बात की जाएगी और उसके बाद अन्य विधायकों से चर्चा कर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास होगा।
बिश्नोई के ट्वीट करने के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया में निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ताओं के प्रति सहानुभूति दिखाई। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बिश्नोई के बयान को लेकर सोशल मीडिया में तंज करते हुए लिखा कि पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द ना जाने कोए। संस्कार की धानी मिट गई अब काहे को रोए।
और अंत में…………..
उड़ान भरने और फड़फड़ाने जैसे शब्दों को किसी पर कटाक्ष ना मानते हुए बिश्नोई कहते हैं कि बात विकास की है। ताकत मिलती है तो काम होते हैं। मैं शुरू से ही अपनी बात बेबाकी से कहता हूं। डरता नहीं हूं। प्रतिनिधित्व मिलता तो रुके हुए काम आगे बढ़ते हैं।
विन्ध के वरिष्ठ भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल ने रामायण की चौपाई के माध्यम से अपने मनोभावों की अभिव्यक्ति की है, वह चौपाई इस प्रकार है ’समरथ को नहिं दोष गोसाईं, रवि पावक सुरसरि की नाईं। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष तथा इंदौर की एक बड़ी भाजपा नेत्री सुमित्रा ताई महाजन सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि उनकी कोई नहीं सुनता है।
दावेदार बड़ी संख्या में होने के कारण थोड़ा बहुत असंतोष तो हर क्षेत्र में है खासकर खाटी भाजपा विधायकों में जो मंत्री पद की आस लगाए हुए हैं। देखने वाली बात यही होगी इन लोगों को उपदेश की घुट्टी पिलाकर या भविष्य में एडजस्ट करने के आश्वासन पर पार्टी संतुष्ट कर पाती है या नहीं। पार्टी का सबसे मजबूत तर्क यही है कि जिनके कारण (सिंधिया-समर्थकों) भाजपा की सरकार बनी है उन्हें समुचित सम्मान और पद देना होगा और आपके लिए क्या यह किसी बात से कम है कि आपकी अपनी पार्टी की सरकार बन गई। असंतुष्ट अपने गले इस तर्क को जितना उतार सकेंगे उतनी ही पार्टी की समस्याएं कम होंगी।