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अक्सर कहा जाता है- देश में कानून सबके लिए बराबर है. कानून की नजर में कोई बड़ा-छोटा, अमीर-गरीब, ऊंचा-नाटा, सगा-सौतेला या स्त्री-पुरुष नहीं होता. लेकिन, भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी से जुड़े दो बयानों पर राजसत्ता की प्रतिक्रिया एक जैसी नहीं रही है. एक व्यक्ति – पेशे से प्रोफेसर – को इसलिए गिरफ्तार कर लिया जाता है, क्योंकि वह कहता है कि दो महिला सैनिकों द्वारा अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने की छवि महत्वपूर्ण है, लेकिन छवि को जमीन पर वास्तविकता में बदलना होगा, अन्यथा यह सिर्फ पाखंड है.” वहीं मध्यप्रदेश के विजय शाह सबकुछ कह देने के बावजूद मंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं.
बीजेपी, जिसकी केंद्र और राज्य, दोनों जगह सरकारें हैं, ने शाह के खिलाफ अब तक कोई कदम नहीं उठाया है. जबकि, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः उनके बयान का संज्ञान लिया था और मुकदमा भी उसके आदेश पर दर्ज हुआ. हाईकोर्ट ने शाह के बयान की भाषा को गटर की संज्ञा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके खिलाफ तीखी टिप्पणियां की थीं. लेकिन, आज उसने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का आदेश दिया, हालांकि माफी देने से इनकार कर दिया.
दूसरी ओर, अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तार करने में गजब की फुर्ती दिखाई गई. एक फ़ेसबुक पोस्ट पर आनन-फानन में हरियाणा के महिला आयोग ने उन्हें समन जारी कर दिया और भाजपा के एक कार्यकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. मुकदमा दर्ज हो गया और लगे हाथ गिरफ्तारी भी हो गई. हालांकि अब प्रोफेसर महमूदाबाद का मामला भी सबसे बड़ी अदालत के पास पहुंच गया है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ के समक्ष कहा, “प्रोफेसर के खिलाफ पूरी तरह देशभक्ति से भरे बयान के लिए कार्रवाई की गई है.” सिब्बल ने अदालत से आग्रह किया कि यदि संभव हो तो 21 मई को इस मामले को सुना जाए.
दोनों के बयान पढ़िए और खुद सोचिये, दिमाग से धर्म सुराख़ किनारे रख दीजिये
प्रोफेसर महमूदाबाद : मैं बहुत खुश हूं कि इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं, लेकिन शायद वे उतनी ही जोर से यह भी मांग कर सकते हैं कि मॉब लिंचिंग, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और भाजपा की नफरत फैलाने वाली राजनीति के शिकार अन्य लोगों को भारतीय नागरिकों के रूप में संरक्षित किया जाए. दो महिला सैनिकों द्वारा अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने की छवि महत्वपूर्ण है, लेकिन छवि को जमीन पर वास्तविकता में बदलना होगा, अन्यथा यह सिर्फ पाखंड है.”
विजय शाह : उन्होंने (आतंकियों ने) कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा. अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते. इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी. देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर ले सकते हैं. मोदी जी ने कहा था कि घर में घुसकर मारूंगा. जमीन के अंदर कर दूंगा. आतंकवादी तीन मंजिला घर में बैठे थे. बड़े बम से छत उड़ाई, फिर बीच की छत उड़ाई और अंदर जाकर उनके परिवार की ऐसी की तैसी कर दी. यह 56 इंच का सीना वाला ही कर सकता है.
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