मध्यप्रदेश के बीजेपी सांसद गणेश सिंह के बयान- संस्कृत सीखने और बोलने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता पर, वरिष्ठ संपादक सुनील कुमार का लेख
मध्यप्रदेश के भाजपा सांसद गणेश सिंह ने दुनिया के ज्ञान में एक नई बढ़ोत्तरी की है कि संस्कृत सीखने और बोलने से शरीर में कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ता, और डायबिटीज कंट्रोल में रहता है। अपनी ज्ञान को रिकॉर्ड में लाने के लिए उन्होंने इसे संसद में एक बहस के दौरान कहा, और यह भी कहा कि संस्कृत बोलने से नर्वस सिस्टम बेहतर रहता है। अभी अधिक वक्त नहीं हुआ है जब गोमूत्र, योग और आयुर्वेद में पूरी दुनिया की तमाम दिक्कतों का इलाज बताने वाले बाबा रामदेव के प्रमुख और अकेले सहयोगी बालकृष्ण को इलाज के लिए एक एलोपैथिक बड़े अस्पताल में भर्ती किया गया था, और इसके विरोध में रामदेव की डेयरी की गायों ने एक दिन दूध नहीं दिया था कि उनके मूत्र को इलाज का मौका नहीं दिया गया। हिन्दुस्तान आज संस्कृति, संस्कृत, योग, गोमूत्र, और गोबर को लेकर इतने तरह के दावे कर चुका है कि बाकी दुनिया के वैज्ञानिकों को एक पूरी सदी इसको जांचने-परखने में लग जाएगी। आज हिन्दुस्तान बाकी दुनिया से अपने को बेहतर और इतिहास के वक्त से ही सबसे आगे साबित करने की जिस हड़बड़ी में है, उस हड़बड़ी की राह में ऐसे दावे एक रोड़ा ही बनकर खड़े हो रहे हैं जो बेसिर-पैर के हैं, और जरूरी नहीं हैं।
जब दुनिया के बहुत से देश हिन्दुस्तान के इतिहास की बहुत सी बातों को मानते हैं, उनके महत्व का सम्मान करते हैं, तो यह भारतप्रेमी लोगों की जिम्मेदारी भी हो जाती है कि वे इस सम्मान को बरकरार रखें। दुनिया का इतिहास दर्ज होना, और पहले दर्ज इतिहास की जांच होना अब विज्ञान और तकनीक ने आसान कर दिया है। अब किसी देश के भीतर अपने अनपढ़ और कमसमझ लोगों को तो अपने नामौजूद इतिहास का हवाला देकर एक झूठे गौरवोन्माद में डाला जा सकता है, लेकिन दुनिया के इतिहास की आंखों में धूल झोंकना उतना आसान नहीं है। इसलिए जब हिन्दुस्तान में प्लास्टिक सर्जरी के इतिहास, और विमान के इतिहास के दावे किए जाते हैं, जब नए वैज्ञानिक दावे किए जाते हैं कि गाय ऑक्सीजन छोड़ती है, तो बाकी दुनिया की नजरों में हिन्दुस्तान की उस अहमियत की इज्जत भी घटती है जो कि इतिहास में सचमुच थी। आज लाख रूपए दान करने वाले कोई दानदाता करोड़ रूपए दान करने का झूठा दावा करें, तो लाख रूपए दान से मिलने वाली इज्जत भी मिट्टी में मिल जाती है, और दानदाता के बजाय वे झूठे दावेदार की शक्ल में दर्ज हो जाते हैं। इसी तरह दुनिया के विज्ञान, दुनिया की संस्कृति में आयुर्वेद से लेकर योग तक, और शास्त्रीय संगीत से लेकर लोककलाओं तक जो योगदान भारत का रहा है, उसे बचे रहने देना चाहिए। उसे लेकर बेसिर-पैर की, और बेहूदी बातें करना, उसे लेकर झूठे दावे करना दुनिया की नजरों में भारत को गिराने के अलावा और कुछ नहीं करता। बाकी दुनिया की वैज्ञानिक सोच पर तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हिन्दुस्तान के लोग, खासकर राजनेता, किस किस्म की अवैज्ञानिक बातें करते हैं, लेकिन हिन्दुस्तान के भीतर के लोगों की सोच को बुरी तरह से अवैज्ञानिक, अंधविश्वासी किया जा रहा है, और एक झूठे गौरवोन्माद से ढांक दिया जा रहा है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें यह लग सकता है कि वे भारत का एक गौरवशाली इतिहास गढ़ रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे भारत के इतिहास की असल गौरवशाली बातों को भी अपनी बकवास से खत्म कर रहे हैं, और भारत के इतिहास को अविश्वसनीय बनाने का काम कर रहे हैं। यह सिलसिला वोटों की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए एक-दो चुनाव में काम आ सकता है, लेकिन इससे दुनिया में हिन्दुस्तान की साख जितनी खराब हो रही है, हो चुकी है, वह आसानी से उबर नहीं सकेगी।