भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल के अंत मे चुनाव होने हैं. बीजेपी का चेहरा अब भी शिवराज ही है. तमाम वादों और काम के बावजूद इस चेहरे की चमक पहले जैसी नही रही. पर चेहरा यही है क्योंकि विकल्प कोई नही. शिवराज से किसान, नौकरीपेशा, व्यापारी, युवा, सभी नाराज़ हैं. महिलायें महंगाई से परेशान हैं. इसके अलावा व्यापमं, रेत माफ़िया, हावी होती नौकरशाही और मंत्रियों , विधायकों के कमज़ोर होने का खामियाजा शिवराज को भुगतना पड सकता है. बीजेपी का बड़ा वर्ग भी दबी जुबान चूक चौहान कहने लगे हैं.
13 साल से राज्य की सत्ता पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में एंटी इन्कम्बेंसी का सामना तो करना पड़ेगा ही. राज्य में कई लोगों ने कसम खाई है कि वह इस बार भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं करेंगे. इसके साथ ही वे 5 अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश में किसान, विद्यार्थी और शिक्षक समाज के कई लोगों ने इस बात का आह्वान किया है. एमपी के दामोह में कई शिक्षकों ने इस बात को लेकर प्रचार भी शुरू किया है. उनका कहना है कि वह इस बार बीजेपी को वोट नहीं करेंगे और 5 अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए ही कहेंगे. वहीं होशंगाबाद में भी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में कई शिक्षकों ने इस बात का जिक्र किया. शिक्षकों ने अपने स्टूडेंट को भी ऐसा ही करने को कहा. हालांकि शिवराज ने शिक्षकों की कई बातें मान भी ली है.
घट रहा है शिवराज का जादू!
आपको बता दें कि पिछले कुछ चुनावों और आंदोलनों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ग्राफ लगातार गिरता हुआ दिखा है. राज्य के उपचुनाव में बीजेपी की हार शिवराज सरकार के लिए बड़ा झटका था. इसके अलावा किसानों के आंदोलन के बाद जो जून 2017 में आठ किसानों की मौत हुई. उससे राज्य के किसान नाराज हैं.
इसके अलावा शिवराज के कुछ मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी को राज्य में कमजोर किया है. बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 के आखिर में होने वाले मध्य प्रदेश के चुनाव में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है.
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