कोरोना से जूझ रहे गुजरात में बिना टेस्टिंग के वेंटिलेटर्स खरीद लिए गए, मुख्यमंत्री ने इन्हे मेक इन इंडिया की कामयाबीबताया जबकि डॉक्टर्स ने इन्हे वेंटिलेटर्स मानने से ही कर दिया इंकार, पढ़िए पूरी कहानी
इंदौर। गुजरात इस समय वेंटीलेटर पर चर्चा में है। गुजरात सरकार ने राज्य में बने वेन्टिलेटर को बड़ी कामयाबी बताया। तस्वीरें खींची गई। कंपनी के प्रमुख ने भी मुख्यमंत्री विजय रुपानी को प्रेरणापुंज बताया। सरकार ने भी कुछ सैकड़ा नहीं। सीधे-सीधे 5000 वेंटिलेटर्स का आर्डर दे दिया। बाद में मालूम हुआ कि ये वेंटिलेटर नहीं सामान्य की कोई ऑक्सीजन मशीन जैसी है। मीडिया में खूब उछला मामला। कहा गया फर्जी वेंटिलेटर को मुख्यमंत्री ने कर दिया लांच।
इन मशीनों को हॉस्पिटल ने लेने से इंकार कर दिया। इनकी कही टेस्टिंग भी नहीं हुई। फिर ये क्यों ख़रीदे गए ? क्यों लोगों की जान से हुआ खिलवाड़ ? पड़ताल में सामने आया कि इसको बनाने वाली कंपनी के एक भागीदार कि मुख्यमंत्री विजय रुपानी से निकटता है, तो एक पार्टनर उस परिवार का है जिसने प्रधानमंत्री मोदी को डेढ़ लाख कीमत वाला उनके नाम के मोनोग्राम वाला सूट भेंट किया था।
गुजरात सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि के अनुसार, 5000 वेंटिलेटर्स का यह ऑर्डर सरकार द्वारा संचालित एचएलएल लाइफकेयर के द्वारा दिया गया है। कहा जा रहा कि इसका भुगतान पीएम केयर फण्ड से किया जाएगा। अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स सप्लाई करने को लेकर ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड चर्चा में है। इसके प्रमुख और मैनेजिंग डायरेक्टर पराक्रमसिंह जडेजा को का करीबी माना जाता है।
देश में कोविड से हुई सर्वाधिक मौतों की सूची में अहमदाबाद (600से ज्यादा ) दूसरे स्थान पर है। अहमदाबाद मिरर की खबर के अनुसार गुजरात के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा ज्योति सीएनसी द्वारा भेजे गए वेंटिलेटर्स को सही न बताते हुए नए वेंटिलेटर्स की मांग की।
स्थानीय मीडिया के अनुसार मुख्यमंत्री रूपाणी ने खुद दावा किया था कि ये सस्ती मशीनें महज दस दिनों में तैयार की गई हैं। लेकिन उनके दावे का समर्थन गुजरात सरकार के डॉक्टरों द्वारा नहीं किया गया। प्रदेश के डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदेश में हाई एन्ड वेंटिलेटर्स पहले ही पर्याप्त मात्रा में है, ऐसे में ये सस्ते और अधूरे उपकरण की कोई जरुरत ही नहीं थी।
वेंटिलेटर व्यवस्था का पूरा सच
-20 मई को ही गुजरात की स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि ने इन मशीनों की पैरवी करते हुए कहा कि इन्हें गुजरात सरकार की प्रयोगशाला से प्रमाणित किया गया है और यह केंद्र की उच्चाधिकार प्राप्त प्रोक्योरमेंट (खरीद) कमेटी के सभी मानकों को पूरा करती हैं। केंद्र सरकार के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर द्वारा ज्योति सीएनसी को पांच हजार मशीनों का ऑर्डर दिया गया है। इसकी जांच सिर्फ एक व्यक्ति पर की गई और केंद्र की किसी सरकारी लैब या मेडिकल संस्थान से इसकी जांच नहीं करवाई गई।
भाजपा के करीबी कंपनी के प्रमोटर्स
इसलिए सरकार ने साधी चुप्पी ?
– अहमदाबाद मिरर के अनुसार कंपनी के प्रमुख और सीएमडी पराक्रमसिंह जडेजा ने बताया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री उन्हें रोज कॉल करके प्रोत्साहित किया करते थे।
– ज्योति सीएनसी कंपनी से जुड़े उद्योगपति परिवारों में से एक विरानी परिवार है, जिसने साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हीं का नाम छपा महंगा सूट तोहफे में दिया था।
– यह उपहार देने वाले व्यवसायी रमेशकुमार भीखाभाई विरानी सूरत के विरानी परिवार का हिस्सा हैं, जिसकी कई सालों से ज्योति सीएनसी में महत्वपूर्ण वित्तीय हिस्सेदारी है. कंपनी की 2003-04 की फाइलिंग के अनुसार भीखाभाई विरानी के दोनों बेटे- अनिल और किशोर इस कंपनी के बड़े शेयरहोल्डर थे।
– वेबसाइट द वायर की खबर के मुताबिक संपर्क किए जाने पर ज्योति सीएनसी के सीएमडी जडेजा ने पहले बताया कि उनकी फर्म में विरानी परिवार की 46.76 प्रतिशत की भागीदारी है.
– जब यह पूछा गया कि क्या यह वही विरानी परिवार है जिसने प्रधानमंत्री मोदी को उनके नाम वाला सूट उपहार में दिया था, तब उन्होंने दावा किया कि विरानी परिवार ने हिस्सेदारी वापस ले ली है और वे नवीनतम फाइलिंग भेज देंगे. फिर उन्होंने गाड़ी चलाने की बात कहकर फोन काट दिया।
– ईमेल से भेजे गए जवाब में उन्होंने कहा है कि आज की तारीख में विरानी परिवार का कंपनी में कोई शेयर नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी 2020 में ज्योति सीएनसी की शेयरहोल्डिंग संबंधी फाइलिंग में विरानी परिवार की हिस्सेदारी वित्त-वर्ष 2019 की है।