- पीएम मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बगल में जंजीरों में जकड़े हुए बैठे दिखाने वाले कार्टून के बाद वेबसाइट को किया ब्लॉक। एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि कार्टून हमेशा से पत्रकारिता का एक साधन रहे हैं और विकटन वेबसाइट को अचानक ब्लॉक करना अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण का एक बेशर्म उदाहरण है
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नई दिल्ली। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बने एक कार्टून के प्रकाशन को लेकर तमिल पत्रिका वेब पोर्टल Vikatan.com को हाल ही में ब्लॉक किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। भारतीय जनता पार्टी के तमिलनाडुचीफ ने 10 फरवरी को एक कार्टून पर आपत्ति जताई। इसके फौरन बाद वेबसाइट बंद हो गई थी, जिसमें मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बगल में जंजीरों में जकड़े हुए बैठे दिखाया गया था।
राज्य भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने न्यूज़ पोर्टल पर मोदी के बारे में ‘आक्रामक और निराधार सामग्री प्रकाशित करने’ का आरोप लगाया था। उन्होंने विकटन को डीएमके का मुखपत्र भी बताया।वायर की रिपोर्ट के मुताबिक गिल्ड ने कहा, ‘कार्टून हमेशा से पत्रकारिता का एक वैध साधन रहे हैं और विकटन वेबसाइट को अचानक ब्लॉक करना अधिकारियों द्वारा मनमानी का एक बेशर्म उदाहरण है।
गिल्ड द्वारा जारी बयानमें कहा गय कि ‘इससे भी ज़्यादा निंदनीय बात यह है कि एक राजनीतिक दल के राज्य प्रमुख द्वारा उक्त कार्टून के खिलाफ सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) से शिकायत करने के बाद पूरे वेब पोर्टल को ब्लॉक कर दिया गया। कोई पूर्व नोटिस जारी नहीं किया गया और वेब पोर्टल के पीछे के समूह आनंद विकटन को निष्पक्ष सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया।
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि यह जानकर भी हैरानी हुई कि वेबसाइट को ब्लॉक करने के बाद प्रकाशकों को एक नोटिस भेजा गया, जिसमें उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम 2021) के तहत गठित एक अंतर-विभागीय समिति द्वारा सुनवाई के लिए बुलाया गया, ताकि ब्लॉक करने के अनुरोध पर विचार किया जा सके। गिल्ड ने कहा, ‘एक तरह से कहें तो आदेश को मनमाने ढंग से लागू करने के बाद कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई।
गिल्ड ने यह भी कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि इस कार्टूनिस्ट को सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल किया जा रहा है और साथ ही उसे जान से मारने की धमकियां भी दी जा रही हैं। इसने मंत्रालय से ब्लॉक करने के आदेश को वापस लेने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि यह ‘स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति से निपटने में कभी भी किसी मनमानी से निर्देशित न हो.’
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