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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को भोपाल में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी में एक सभा को संबोधित करते हुए एकअहम् सवाल उठाया। उन्होंने कहा -“सीबीआई डायरेक्टर चयन या अन्य बड़े अधिकारियों के सिलेक्शन पैनल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कैसे हिस्सा ले सकते हैं। हमारे जैसे देश या किसी भी लोकतंत्र में ये कैसे सही हो सकता है। क्या इसके लिए कोई कानूनी तर्क हो सकता है? न्यायिक सक्रियता और अतिक्रमण के बीच की रेखा पतली है, लेकिन लोकतंत्र पर इसका प्रभाव मोटा है।”
यूँ चुना जाता है सीबीआई डायरेक्टर
डायरेक्टर का चयन तीन सदस्यीय कमेटी करती है। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल होते हैं। सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1946 के आर्टिकल 4ए के तहत की जाती है।
चुनाव आयुक्त भी ऐसे ही होते थे नियुक्त
पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी ऐसे ही होती थी। इसमें चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की तीन सदस्यीय कमेटी होती थी। सरकार ने नया कानून लाकर इसमें बदलाव किया।लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया विवादों में है।
ये है पूरा मामला
-2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सिलेक्शन पैनल में सीजेआई को शामिल करना जरूरी है। इससे पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी।
-21 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, सेवा, शर्तें और कार्यकाल से जुड़ा नया बिल लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा।
-इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। सीजेआई को इस पैनल से बाहर रखा गया। 2023 में शीतकालीन सत्र के दौरान बिल दोनों सदनों में पास हो गया।
नए कानून पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इस कानून पर विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। फ़िलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है। 19 फरवरी को सुनवाई होगी
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