नई दिल्ली। कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने केंद्र के उस कानून को गैर कानूनी बताया है जिसमें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाने को हरी झंडी दे दी गई है। तिवारी का कहना है कि ये न सिर्फ विरोधाभासी है बल्कि गैर कानूनी भी है।
उनका कहना है कि ये सुप्रीम कोर्ट के 1998 के जैन हवाला मामले के फैसले का खंडन करता है जिसमें अदालत ने सीबीआई, ईडी निदेशक के कार्यकाल को 2 साल के रूप में घोषित किया, जिससे केंद्र सरकार दोनों एजेंसियों को किसी भी गलत काम में मजबूर न कर सके।
उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये अध्यादेश दरअसल, इन दोनों एजेंसियों के अधिकारियों के लिए एक सीधा निर्देश है कि केंद्र ने आपको नियुक्त किया है। इसलिए जब तक आप हमारे लिए और हमारे अनुसार काम करते रहेंगे और विपक्ष पर शिकंजा कसते रहेंगे तब तक आपका कार्यकाल बढ़ता रहेगा। उन्होंने सभी दलों से अपील की है कि इस अधअध्यादेश का सभी विरोध करें।
बता दें कि सरकार सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुखों के कार्यकाल की अवधि दो वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष करने के लिए अध्यादेश लाई है। वर्तमान में दोनों ही एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल दो वर्ष का ही होता है। सरकार के आर्डिनेंस पर राष्ट्रपति की भी मुहर लग गई है। इस अध्यादेश में इस बात का प्रावधान है कि दोनों ही एजेंसियों के प्रमुखों का दो वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसको तीन वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
बता दें कि जस्टिस एलएन राव के नेतृत्व वाली एक पीठ ने हाल में एक निर्णय सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि प्रमुख के कार्यकाल को किसी विशेष परिस्थिति में ही बढ़ाया जा सकता है। ये आदेश कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल विस्तार से जुड़े मामले में निर्णय दिया था।
गौरतलब है कि ईडी के डायरेक्टर के रूप में उनका कार्यकाल 17 नवंबर को खत्म हो रहा है। अध्यादेश में ये भी कहा गया है कि इन एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल जनहित में बढ़ाया जा सकता है, लेकिन पांच वर्ष से अधिक का विस्तार इसमें नहीं दिया जा सकता है।
सरकार ये अध्यादेश ऐसे समय में लाई है जब विपक्ष पहले से ही सरकार पर एजेंसियों के गलत इस्तेमाल को लेकर हमलावर हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के माध्यम से सरकार उन्हें गलत तरीके से निशाना बना रही है।
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