कांग्रेस आत्ममंथन-2 – कपिल सिब्बल ने इशारों में शीर्ष नेतृत्व को थका हुआ और कार्यसमिति के मनोनीत सदस्यों को कसीदे पढ़ने वाला बताया

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INDORE-बिहार चुनावों में बड़ी हार और मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक के उपचुनावों के हार ने कांग्रेस के भीतर धधक रहे ज्वालामुखी को फिर हवा दे दी है। पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल जैसी वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस की पूरी कार्यप्रणाली और आलाकमान यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना साधा है। हमेशा की तरह आत्मचिंतन की बात की जा रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है। इस पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया-राहुल का बचाव करते हुए सिब्बल पर पलटवार किया है। गहलोत ने कहा- पार्टी के अंदर का मामला बाहर लाना गलत है। पर सवाल यही है कि लगातार हार रही कांग्रेस का कोई भी मामला अब अंदरूनी कैसे रह सकता है।

गहलोत ने ट्वीट किया- कपिल सिब्बल को मीडिया के सामने हमारे आंतरिक मुद्दे का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी। इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

एक अन्‍य ट्वीट में गहलोत ने लिखा, ”कांग्रेस ने 1969,1977,1989 और बाद में वर्ष 1996 में कई तरह के संकटों का सामना किया। इसके बावजूद हर बार हम अपनी विचारधारा, कार्यक्रम, नीतियों और पार्टी नेतृत्व में विश्वास के चलते मजबूत बनकर उभरे हैं।’

 

सिब्बल ने कहा था-शीर्ष नेतृत्व को सब ठीक लग रहा
सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा-बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर अब तक टॉप लीडरशिप की राय तक सामने नहीं आई है। शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है। मेरे पास सिर्फ लीडरशिप के आस-पास के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।

जनता कांग्रेस को असरदार नहीं मान रही
सिब्बल का कहना है कि बिहार और उप-चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2% से भी कम वोट मिले। गुजरात में हमारे 3 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई।

‘पार्टी नेतृत्व कमजोरियों को कबूलना नहीं चाहता

सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने 6 सालों में आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें कमजोरियां पता हैं, यह भी जानते हैं संगठन के स्तर पर क्या समस्या है। शायद समाधान भी सबको पता है, लेकिन इसे अपनाना नहीं चाहते। अगर यही हाल रहा तो पार्टी को नुकसान होता रहेगा। कांग्रेस की दुर्दशा से सबको चिंता है।

‘कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सुधार की जरूरत’
सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर नॉमिनेटेड हैं। इसे पार्टी के संविधान के मुताबिक डेमोक्रेटिक बनाना होगा। आप नॉमिनेटेड सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर पार्टी हर चुनाव में कमजोर क्यों हो रही है?

24 नेताओं की चिठ्टी में भी सिब्बल का साथ

सिब्बल समेत कांग्रेस के 24 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की जरूरत बताई थी। अगस्त में हुई मीटिंग में इस चिट्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था। राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को भाजपा के मददगार बता दिया था।

 

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