कांग्रेस का आत्ममंथन -1- चिदंबरम बोले, कोई भी चुनाव लड़कर कांग्रेस अध्यक्ष बन सकता है, मध्यप्रदेश और कर्नाटक की हार ने चिंता बढ़ाई

 

कांग्रेस इस वक्त बेहद कमजोर दौर में है। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इस पर खुलकर बोल भी रहे हैं। कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है, या कमजोर पड़ चुका है। बिहार चुनाव में 70 में से सिर्फ 18 सीटें और मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के उपचुनावों में हार के बाद कांग्रेस के अस्तित्व पर फिर सवाल उठ रहे हैं। देश के प्रमुख हिंदी अखबार से बातचीत में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने खुलकर अपना पक्ष रखा।

 

बिहार चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को क्या संदेश दिया?

संदेश मिला कि गैर-भाजपाई गठबंधन, भाजपा के गठबंधन के बराबर वोट पा सकता है, पर भाजपा के गठबंधन से सीटों के मामले में आगे निकलने के लिए हमें जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन चाहिए। जमीनी स्तर पर पकड़ हो तो छोटी पार्टियां भी जीत सकती हैं, यह भाकपा-माले और ओवैसी की पार्टी ने साबित किया।

कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी मानी गई, आप इससे सहमत हैं?

मुझे लगता है कांग्रेस ने बिहार में अपने संगठन की ताकत से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा। कांग्रेस को मिली करीब 25 सीट ऐसी थीं, जिन पर 20 साल से भाजपा या उसके सहयोगी जीत रहे थे। कांग्रेस को इन सीटों पर चुनाव लड़ने से इनकार करना चाहिए था। पार्टी को सिर्फ 45 उम्मीदवार उतारने चाहिए थे। अब केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल और असम सामने हैं। हमें देखना है वहां क्या नतीजे सामने आते हैं।

कोरोना और आर्थिक मंदी के मुद्दों के बावजूद बिहार और उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन क्यों नहीं हुआ?

मैं गुजरात, मप्र, यूपी और कर्नाटक के उपचुनावों के नतीजों से ज्यादा चिंतित हूं। ये नतीजे बताते हैं जमीनी स्तर पर या तो पार्टी का संगठन कहीं नहीं है, या कमजोर पड़ चुका है। बिहार में राजद-कांग्रेस के लिए जमीन उपजाऊ थी। हम जीत के इतने करीब होकर क्यों हारे, इसकी समीक्षा होनी चाहिए। याद रखिए, ज्यादा समय नहीं हुआ जब कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड में जीत हासिल की थी।

बिहार में वोटों की गिनती में धांधली होने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं?

मुझे ब्योरा नहीं पता। दुनियाभर में यह प्रथा है कि जीत का अंतर कम हो तो दोबारा गिनती होती है। चुनाव आयोग 1000 या 2000 से कम अंतर वाली सीटों पर दोबारा गिनती करा लेता तो क्या बिगड़ जाता।

राहुल गांधी जोर दे रहे हैं कि कोई गैर-गांधी पार्टी की अगुवाई करे, क्या इससे सुधार होगा?

मैं नहीं कह सकता कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में अध्यक्ष कौन चुना जाएगा। कोई भी चुनाव लड़ सकता है। राहुल किसी गैर-गांधी के प्रति अपनी प्राथमिकता जाहिर कर चुके हैं।

23 नेताओं ने हाईकमान को चिट्ठी लिखी, आत्म विश्लेषण होना चाहिए?

आत्म विश्लेषण पंचायत से लेकर ब्लॉक स्तर पर हो। कांग्रेस कार्यसमिति ने 24 अगस्त की बैठक में आत्ममंथन की बात स्वीकारी थी। जहां तक चिट्‌ठी की बात है, पार्टी में बहस चलती रहती है। कभी-कभी यह सार्वजनिक हो जाती है। इसमें असामान्य कुछ नहीं।

 

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