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India reprimanded China- अरुणाचल देश का अविभाज्य अंग है और रहेगा। इलाकों के नामकरण के दुस्साहस पर चीन को भारत की फटकार।
India Slams China: भारत ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने के चीन के मनमाने प्रयासों को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह के बेतुके प्रयासों से इस अस्वीकार्य वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि यह राज्य भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नाम बदल रहा चीन, भारत ने लगाई फटकार
चीन पडोसी देश होने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘जंगनान’ कहता है और दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में इस राज्य पर अपना दावा करता है। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम उसने पोस्ट किए हैं। चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश पड़ोसी देश तिब्बत का दक्षिणी भाग है।
अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नामकरण के चीनी दुस्साहस पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। उसने चीन को फटकार लगाते हुए दो टूक शब्दों में कहा है कि उसे ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिए। ऐसी करतूतों से सच्चाई नहीं बदलने वाली। अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नाम बदल रहा चीन, भारत ने लगाई फटकार
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमने देखा है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नामकरण के अपने फर्जी और बेतुके प्रयासों में लगा हुआ है। अपने सैद्धांतिक रुख को ध्यान में रखते हुए हम इस तरह के प्रयासों को साफ तौर पर खारिज करते हैं। जबरन नाम बदलने से इस निर्विवाद वास्तविकता को नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा।’
भारत की यह प्रतिक्रिया चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के लिए चीनी नामों की घोषणा करने के जवाब में आई है, जिसे पड़ोसी देश तिब्बत का दक्षिणी भाग होने का दावा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल इस मुद्दे पर मीडिया के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चीन के इस हथकंडे से सच्चाई नहीं बदल जाएगी कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अंग है और रहेगा।
अब तक इनके बदले हैं नाम
चीन ने जिन 30 जगहों के नाम बदले हैं, उनमें 12 पहाड़, 4 नदियां, 1 झील, 1 पहाड़ी दर्रा, 11 रिहायशी इलाके और जमीन का एक टुकड़ा शामिल है।
अरुणाचल को अपना बताता है चीन
चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘जंगनान’ कहता है और दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में इस राज्य पर अपना दावा करता है। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए गए। यह सूची एक मई से प्रभावी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुच्छेद 13 के अनुसार, इस घोषणा के क्रियान्वयन में कहा गया है कि ‘‘चीन के क्षेत्रीय दावों और संप्रभुता अधिकारों को नुकसान पहुंचा सकने वाले विदेशी भाषाओं में रखे गए, स्थानों के नामों को बिना प्राधिकार के सीधे उद्धृत या अनुवादित नहीं किया जाएगा।’’ चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ‘‘जंगनान’’ में छह स्थानों के ‘‘मानकीकृत नामों’’ की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी।
सीमा पर चीन ने बसा लिया गांव
सितंबर 2021 में अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने अरुणाचल से सटी सीमा के पास पूरा का पूरा गांव बसा दिया है। इतना ही नहीं, चीन ने यहां मिलिट्री पोस्ट भी बना रखी है। चीन ने ये गांव उस जगह बसाया था, जहां उसने 1959 में अवैध कब्जा कर लिया था।
नवंबर 2021 की सैटेलाइट तस्वीरों में भी सामने आया था कि चीन ने उन इलाकों में 60 से ज्यादा इमारतें बनाई हैं, जिन्हें भारत अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा बताता है।
पूर्व में भी पीएम मोदी के दौरे के बाद तिलमिलाया था चीन
अरुणाचल प्रदेश पर दावों को लेकर चीन की बयानबाजी उस समय शुरू हुई जब उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के दौरे को लेकर भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराया था। इस दौरे में मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फुट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था। चीनी विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने क्षेत्र पर चीन का दावा पेश करते हुए कई बयान जारी किए थे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन द्वारा बार-बार किये जा रहे दावे को 23 मार्च को ‘‘बेतुका’’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था और कहा था कि यह सीमांत राज्य ‘‘भारत का स्वाभाविक हिस्सा’’ है। उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) के ‘साउथ एशियन स्टडीज इंस्टीट्यूट’ में एक व्याख्यान देने के बाद अरुणाचल मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘यह कोई नया मुद्दा नहीं है। मेरा मतलब है कि चीन ने दावा किया है, इसने अपने दावे को दोहराया है। ये दावे शुरू से बेतुके हैं और आज भी बेतुके ही हैं।’’
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