बांग्लादेश फिर सत्ता परिवर्तन की ओर- इस्तीफा दे सकते हैं मोहम्मद यूनुस

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Bangladesh Govt vs Army: भारत पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में एक बार फिर से तख्तापटल होने की संभावना बढ़ गई है। बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के लिए प्रभावी ढंग से काम करना लगातार मुश्किल हो रहा है…

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान द्वारा

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस को दिए गए

अल्टीमेटम के बाद, 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता

अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।

भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में एक बार फिर से गतिरोध बढता दिखाई दे रहा है।  लग रहा है एक बार फिर से बांग्लादेश की सत्ता में परिवर्तन होने जा रहा है।
अभी पुरी तरह से खबरों की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। बांग्लादेश फिर सत्ता परिवर्तन की ओर- इस्तीफा दे सकते हैं मोहम्मद यूनुस

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान द्वारा अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस को दिए गए अल्टीमेटम के बाद, 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।

अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस के संभावित इस्तीफे को लेकर ढाका में अटकलों का बाजार गर्म है। अफवाहों के बीच, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने गुरुवार शाम (22 मई) को यूनुस से उनके आधिकारिक आवास जमुना में मुलाकात की।

रिपोर्ट बताती है कि गुरुवार दोपहर से ही सोशल मीडिया पर यूनुस के इस्तीफे की अटकलें व्यापक रूप से फैल रही हैं, जिस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं और टिप्पणियां सामने आ रही हैं। बढ़ती अनिश्चितता के मद्देनजर, नाहिद इस्लाम ने मुख्य सलाहकार से सीधे बात करने के लिए जमुना का दौरा किया। यह खुलासा नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के नेता निद इस्लाम ने दिन में पहले यूनुस से मुलाकात के बाद किया।

इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला से कहा, “हम आज सुबह से सर के इस्तीफे के बारे में सुन रहे हैं, इसलिए मैं उनसे इस पर चर्चा करने के लिए मिलने गया था। उन्होंने मुझे बताया कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि मौजूदा स्थिति ऐसी है कि वे काम करना जारी नहीं रख सकते।” बांग्लादेश फिर सत्ता परिवर्तन की ओर- इस्तीफा दे सकते हैं मोहम्मद यूनुस

एनसीपी ने यूनुस से मजबूत बने रहने का आग्रह किया। इस्लाम ने बताया, “उन्होंने कहा कि जब तक राजनीतिक दल एक आम जमीन पर नहीं पहुंच जाते, वे काम नहीं कर पाएंगे।”

यूनुस की आशंकाओं के बावजूद, एनसीपी संयोजक ने उनसे दृढ़ रहने का आग्रह किया।

इस्लाम ने कहा, “मैंने उनसे देश की सुरक्षा, इसके भविष्य और जन-विद्रोह द्वारा जगाई गई उम्मीदों का सम्मान करने के लिए मजबूत बने रहने के लिए कहा।” मुझे उम्मीद है कि राजनीतिक दल अंततः एकजुट होंगे और यूनुस को अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। इस्लाम का मानना है कि सभी लोग साथ आएंगे और उनका समर्थन करेंगे।” हालांकि, एनसीपी नेता ने कहा कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके पद पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, सेना प्रमुख ने अंतरिम सरकार पर महत्वपूर्ण निर्णयों में सेना को दरकिनार करने का आरोप लगाया है, उन्होंने कहा कि कई कार्य उचित परामर्श के बिना किए जा रहे हैं। उन्होंने एक समावेशी चुनाव की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया है, उन्होंने सवाल उठाया है कि एक अनिर्वाचित अंतरिम सरकार शक्तिशाली बाहरी अभिनेताओं के साथ कैसे जुड़ सकती है और बिना सार्वजनिक जनादेश के बड़े फैसले कैसे ले सकती है।

आइए जानते हैं, उन 3 कारणों के बारे में जिसकी वजह से बांग्लादेश के

अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस इस्तीफा दे सकते हैं।

1. राजनीतिक असहमति और पार्टी संघर्ष

यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार को राजनीतिक दलों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है। पार्टी संघर्ष और आपसी असहमति के कारण सरकार के निर्णय प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पा रहे हैं। इससे प्रशासनिक कामकाज में रुकावटें आ रही हैं,और यूनुस के लिए शासन चलाना कठिन हो गया है।

2. अल्पसंख्यकों पर हमले और हिंसा

अंतरिम सरकार के गठन के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं, पर हमले बढ़ गए हैं। यूनुस ने बार-बार चेतावनी दी है कि अगर यह हिंसा नहीं रुकी,तो वह इस्तीफा दे देंगे। उनका कहना है कि एक शांतिपूर्ण और समावेशी समाज की स्थापना के बिना शासन करना संभव नहीं है।

3. सेना और सरकार के बीच तनाव

बांग्लादेश की सेना और अंतरिम सरकार के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मां ने दिसंबर में चुनाव कराने की मांग की है, जबकि सरकार चुनाव की तारीख तय करने में असमर्थ है। इसके अलावा, सेना ने म्यांमार से जुड़ी ‘रखाइन कॉरिडोर’ योजना का विरोध किया है, जिससे सरकार और सेना के बीच तनाव बढ़ा है।

 

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