सीज़फायर पर आतिशी का सरकार पर हमला कहा… अमेरिकी हस्तक्षेप के आगे घुटने टेके

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Atishi attacks the government on ceasefire-दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले का बदला लेने से पहले पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम स्वीकार करने के मोदी सरकार के फैसले पर तीखे सवाल उठाए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे निशाना साधते हुए आतिशी ने कहा कि सरकार ने अमेरिकी हस्तक्षेप के आगे घुटने टेक दिए, ठीक उस समय जब भारतीय सेना आतंकवादियों और उनके समर्थकों पर निर्णायक प्रहार कर रही थी।

आतिशी ने पूछा, “क्या हमने देश की बहनों और बेटियों के ‘सिंदूर’ का बदला लिया-

या अमेरिका के साथ व्यापार उनके बलिदान से ज़्यादा मूल्यवान समझा गया?”

उन्होंने पूछा कि युद्ध विराम की घोषणा वाशिंगटन ने क्यों की,

न कि नई दिल्ली ने और पाकिस्तान ने ?

अभी तक पहलगाम हमले के अपराधियों को क्यों नहीं सौंपा है।

डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप की वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने कहा, “22 अप्रैल को पहलगाम में कायराना आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों पर हमला किया। पूरे देश ने हमारी बहनों और बेटियों के आंसू देखे। पूरा देश उनके लिए न्याय चाहता था।”

पीएम मोदी की आलोचना

आतिशी ने कहा, “7 मई को जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया, तो पूरा देश हमारी सेना के साथ एकजुट हो गया। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी शिविरों पर हमला करके अपनी ताकत साबित की।” आतिशी ने इन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सवालों का जवाब देने में विफल रहने के लिए पीएम मोदी की तीखी आलोचना की और कहा, “कल प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के साथ एकतरफा बातचीत की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हाथ जोड़ लिए और उन्हें उन पर दया आ गई, इसलिए उन्होंने युद्धविराम पर सहमति जताई। लेकिन उनके बयान ने जवाब देने से ज़्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं और पूरा देश जानना चाहता है।

दिल्ली सीएम ने कहा कहना आसान है

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता और आप नेता आतिशी के भारत-पाकिस्तान समझौते पर दिए गए बयान पर दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “बंद एयर कंडीशन वाले कमरे में टीवी देखते हुए कुछ भी कहना बहुत आसान है… 140 करोड़ लोगों की देखभाल करना और सही निर्णय लेना वही व्यक्ति कर सकता है जिसका काम ऐसा करना है। किसी को भी सेना पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है…।”

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