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Jamiat supports caste based census-जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने जाति आधारित जनगणना को न्यायपूर्ण शासन और संसाधनों के उचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। जाति आधारित जनगणना को जमीयत का समर्थन, मौलाना मदनी बोले- ‘ये सामाजिक और राजनीतिक जरूरत’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी करते हुए देश में होने वाली जाति आधारित जनगणना का जोरदार समर्थन किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि यह प्रक्रिया न्यायपूर्ण शासन, सही नीति निर्माण और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करेगी।
मौलाना मदनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना अब केवल एक सरकारी औपचारिकता नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। इससे मिलने वाले आंकड़े आरक्षण नीति, सामाजिक विकास योजनाओं और कल्याणकारी लाभों के निष्पक्ष वितरण पर सीधा प्रभाव डालेंगे। जाति आधारित जनगणना को जमीयत का समर्थन, मौलाना मदनी बोले- ‘ये सामाजिक और राजनीतिक जरूरत’
मौलाना मदनी ने मुसलमानों से की ये अपील
इस संदर्भ में मौलाना मदनी ने देश के सभी मुसलमानों से अपील की है कि वे इस जनगणना प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें। हर मुस्लिम परिवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्रचलित जाति की पहचान सही तरीके से दर्ज हो। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थानीय इकाइयों, सभी मुस्लिम संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और समुदाय के नेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे आम लोगों का मार्गदर्शन करें और उन्हें इस प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों से अवगत कराएं।
‘कमजोर मुसलमानों को न्याय दिलाने का प्रयास हो’
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक व्यावहारिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यद्यपि इस्लाम एक समानता-आधारित समाज का समर्थन करता है, लेकिन भारत में मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रह गया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम इसे एक नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य समझकर, सबसे अधिक वंचित तबकों, विशेषकर पिछड़े और कमजोर मुसलमानों को न्याय दिलाने का प्रयास करें। हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि जाति आधारित जनगणना में पारदर्शिता, निष्पक्षता और गंभीरता से कार्य किया जाए और किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव न किया जाए।
कब होगी जनगणना?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि जनगणना 2027 में जाति जनगणना शामिल होगी। भारत में जनगणना दो चरणों में की जाएगी और इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। जनगणना का पहला चरण एक अक्टूबर 2026 तक पूरा होगा जबकि दूसरा चरण एक मार्च 2027 तक पूरा होगा। एक मार्च 2027 को रेफरेंस डेट माना जाएगा और इसके बाद आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा।
जाति जनगणना 2 चरणों में कराई जाएगी। पहले 4 राज्यों में जाति जनगणना शुरू होगी।
पहले चरण में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जाति जनगणना होगी।
इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर, 2026 से होगी।
वहीं दूसरे चरण में अन्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में जाति जनगणना शुरू होगी।
इसकी शुरुआत 1 मार्च, 2027 से होगी। यानी मैदानी राज्यों में मार्च 2027 से जाति जनगणना
शुरू होगी और पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से जाति जनगणना शुरू होगी।
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