Ahemdabad Congress Adhiveshan- अहमदाबाद। कांग्रेस का 84वां अधिवेशन 8 अप्रैल को शुरू हो गया है। यह 9 अप्रैल तक चलेगा। अहमदाबाद में चल रहे इस अधिवेशन के लिए ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि पार्टी गुजरात में अधिवेशन कर रही है। मेरा मानना है कि कांग्रेस के अधिवेशन में आइडियोलॉजी पर अच्छी चर्चा होती है, लेकिन एग्जीक्यूशन नहीं हो पाता। कांग्रेस नेता अपने अंदर गांधीजी के विचार ला पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।’
पित्रोदा ने कहा, ‘इससे पहले रायपुर और जयपुर में सम्मेलन आयोजित किए गए थे। पार्टी को जिम्मेदारों से पूछना चाहिए कि उस समय जो सुझाव आए उनका कितना एग्जीक्यूशन हो पाया। इस बार मैं कांग्रेस नेताओं से हाथ मिलाकर कहूंगा कि आप जो भी निर्णय लें, उसके साथ एक क्रियान्वयन समिति भी बनाएं। उन्हें एक कार्यक्रम दीजिए। संसाधन उपलब्ध कराएं। समय तय करें।’
गांधी का मतलब है सत्य, प्रेम- विश्वास
मुझे गर्व है कि कांग्रेस पार्टी ने अपना अगला अधिवेशन गुजरात में आयोजित किया है। गुजरात में 64 साल बाद कोई सम्मेलन होने जा रहा है। इस अधिवेशन में कांग्रेस गुजरात में गांधीजी को पुनर्जीवित करने जा रही है, ताकि गांधीजी की विचारधारा हर गुजराती के दिल में प्रकट हो। गांधीजी सिर्फ कांग्रेस पार्टी और भारत की विचारधारा नहीं हैं, बल्कि विश्व की मानवतावादी विचारधारा हैं। गांधी का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग है। गांधी का मतलब है सत्य, प्रेम, विश्वास, स्थिरता, स्वतंत्रता, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, विविधता। ये बहुत बड़े विचार हैं।
मुझे उम्मीद है कि यह सत्र गांधीजी की जीवनशैली और गांधीजी के विचारों पर केंद्रित होगा और मैं सभी कांग्रेसजनों से आग्रह करता हूं कि वे अपने दिल में झांकें और सोचें कि वे किस तरह के गांधी का अनुसरण करना चाहते हैं। यदि कांग्रेस के सदस्य अपने भीतर, अपने मित्रों और अपने परिवार के सदस्यों के भीतर गांधीजी को वापस ला सकें तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
क्रियान्वयन नहीं हो पाता
मैंने खुद देखा है कि सत्र में चर्चा अच्छी चल रही है। विचारधारा पर बहुत काम किया जाता है, लेकिन क्रियान्वयन नहीं हो पाता। देश में हर जगह क्रियान्वयन की समस्या है। लोगों को सलाह देना एक महत्वपूर्ण काम है, लेकिन सुधार करने की जिम्मेदारी किसी की नहीं है। जब तक इन विचारों को क्रियान्वित नहीं किया जाएगा, तब तक कुछ नहीं होगा।
इससे पहले रायपुर और जयपुर में सम्मेलन आयोजित किए गए थे। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि उस समय सत्र में क्या निर्णय लिया गया था और आज क्या लागू किया गया है। इसे लागू करने की जिम्मेदारी किसकी थी? यदि जिम्मेदार लोगों ने अपना काम नहीं किया है तो उन्हें बुलाएं और उनसे बात करें।
इस बार मैं कांग्रेस नेताओं से हाथ मिलाकर कहूंगा कि आप जो भी निर्णय लें, उसके साथ ही एक क्रियान्वयन समिति भी बनाएं। उन्हें एक कार्यक्रम दीजिए। संसाधन उपलब्ध कराएं। यह काम दो, तीन, छह महीने या एक वर्ष में पूरा किया जाना चाहिए।
समता और समानता में विश्वास रखते हैं राहुल
मेरी राहुल गांधी से कई बार बातचीत हुई है, वह लोकतंत्र, विकेंद्रीकरण, मानवता, सत्य, भाईचारे और प्रेम में विश्वास रखते हैं। वे जानते हैं कि समता, समानता और समावेशन ही देश के लिए आगे का रास्ता है। हमें सबको साथ लेकर चलना होगा। राहुल गांधी अल्पसंख्यकों, दलितों, ओबीसी को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी बहुत साधारण और प्रतिबद्ध व्यक्ति हैं। मैं उनके प्रति बहुत सम्मान रखता हूं। ये लोग हिप्पोक्रेट नहीं हैं। दूसरे लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। गांधीवादी होना इतना आसान नहीं है। हर बार सच से लड़ना संभव नहीं है।
विशेषकर ऐसे समय में जब सरकार सच्चाई के खिलाफ है, जब सरकार हर संस्था को नियंत्रित करती है। आप देखिए कि राहुल गांधी के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ मामले तो 10-11 साल से चल रहे हैं। यह एक प्रकार का उत्पीड़न है।
सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी ने गलत जानकारी और गलत छवियां बनाकर गांधीजी की विचारधारा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। फिर चाहे बात गांधीजी की जीवनशैली की हो या उनकी निजी जीवन की। गांधीजी बहुत सरल व्यक्ति थे। उन्होंने अपने जीवन में प्रयोग किए हैं। उन्होंने कुछ सीखा है। वे बहुत पारदर्शी थे।
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