Manoj Kumar

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Manoj Kumar इमरजेंसी के खिलाफ खड़े हुए, तो शास्त्री के कहने पर बनाई उपकार

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Manoj Kumar Death- मुम्बई। कुछ विरली ही शख्सियत होती हैं जो परदे और असल ज़िन्दगी में एक जैसी होती हैं। ऐसे ही एक किरदार थे मनोज कुमार। भारत कुमार केर नाम से जाने जाने वाले अभीनेता असल ज़िन्दगी में भी गलत काम बर्दाश्त नहीं करते थे।  कम ही अभिनेता ऐसे होते हैं जो अपनी एक अमिट छाप छोड़कर जाते हैं। इनमें से एक थे ‘भारत कुमार’ मनोज कुमार। जो एक्टर, फिल्म निर्देशक, गीतकार तो थे ही, लेकिन इन सबसे बढ़कर एक सच्चे देशभक्त थे।
कुमार का जन्म 1937 में ब्रिटिश भारत (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के एक छोटे से शहर एबटाबाद में हुआ था और उनका नाम हरिकृष्णन गोस्वामी था । 1992 में उन्हें पद्म श्री मिला था। आज (4 अप्रैल) को 87 साल की उम्र में कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस लीं।

मनोज कुमार ने दशकों पर सिनेमा पर राज किया। वो खासतौर पर देशभक्ति से जुड़ी फिल्मों के लिए जाने जाते थे। उनसे जुड़े कई किस्से हैं। इनमें से ही एक किस्सा मनोज कुमार और पूर्व PM इंदिरा गांधी के बीच हुए विवाद से जुड़ा है।

इमरजेंसी के विरोध में उतरे

वो दौर था इमजेंसी का। इससे पहले मनोज कुमार के इंदिरा गांधी समेत तमाम नेताओं के साथ संबंध अच्छे हुआ करते थे। साल 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा की गई, तो मनोज कुमार खुलकर इसके विरोध में उतर आए। बताया जाता है कि उस दौर में जो कोई भी सितारा इमरजेंसी का विरोध करता तो उसकी फिल्मों को बैन कर दिया जाता था। ऐसा ही कुछ हुआ मनोज कुमार के साथ भी।

 फिल्म पर लगाया बैन तो कोर्ट पहुंचे

साल 1972 में आई मनोज कुमार की ‘शोर’ सुपरहिट हुई थी। वह फिल्म के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर होने के साथ ही राइटर भी थे। फिल्म के गाने भी बड़े हिट हुए। फिल्म की सफलता को देखते हुए मनोज कुमार ने इसे दोबारा रिलीज करने का सोचा। तारीख का भी ऐलान हो गया, लेकिन इमरजेंसी का विरोध करने पर सरकार उनसे नाराज हो गई थी। शोर के दोबारा थिएटर्स में रिलीज होने से पहले ही इसे दूरदर्शन पर रिलीज कर दिया। जिसका नतीजा ये निकला कि इसके बाद सिनेमाघरों में फिल्म को देखने कोई नहीं आया।

ऐसा ही कुछ हुआ उनकी फिल्म ‘दस नंबरी’ के साथ भी। फिल्म इमरजेंसी के दौरान ही साल 1976 में रिलीज हुई। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म को बैन कर दिया। फिल्म की रिलीज के लिए मनोज कुमार कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने सरकार के खिलाफ केस लड़ा और जीत उनकी ही हुई।

सरकार के ऑफर को ठुकरा दिया

एक किस्सा वो भी है जब मनोज कुमार ने ‘इमरजेंसी’ के समर्थन में फिल्म बनाने के ऑफर को ठुकरा दिया था। बताया जाता है कि एक दिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी की ओर से मनोज कुमार को फोन गया। उन्होंने मनोज कुमार से ऐसी डॉक्यूमेंट्री बनाने को कहा जो इमरजेंसी के समर्थन में थी। उन्हें बताया गया कि इसकी कहानी अमृता प्रीतम ने लिखी है। मनोज को स्क्रिप्ट भी दी गई थी, लेकिन उन्होंने फोन पर ही ऐसा करने के साफ इनकार कर दिया।

लाल बहादुर शास्त्री की सलाह पर बनाई ‘उपकार’

मनोज कुमार की ‘उपकार’ फिल्म से जुड़ा भी एक किस्सा है। यह फिल्म उन्होंने पूर्व PM लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर बनाई थीं। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965 में हुए युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। युद्ध में भारत की जीत हुई। इसके बाद एक दिन लाल बहादुर शास्त्री और मनोज कुमार की दिल्ली में मुलाकात हुई। तब लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें जवान और किसान पर फिल्म बनाने की सलाह दी।

1965 को दौर था जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे। युद्ध जैसे ही खत्म हुआ तब लाल बहादुर शास्त्री ने मनोज कुमार से मुलाकात की और इस युद्ध के दौरान हुई परेशानियों पर एक फिल्म बनाने की बात कही। ये बात मनोज के मन में घर कर गई। फिर उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के नारा “जय जवान, जय किसान” से प्रेरित होकर फिल्म “उपकार” लिखी। बताया जाता है कि मनोज कुमार ने तब दिल्ली से मुंबई के लिए रवाना हुए और इस 24 घंटे के सफर में ही उन्होंने फिल्म की कहानी लिख दी थी और इसका नाम ‘उपकार’ रखा।

पद्मावती पर खुलकर बोले थे मनोज कुमार

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“मैं दोनों पक्षों को दोषी ठहराऊंगा। यह बकवास है। अगर राजपूतों को लगता है कि कुछ गलत है, तो उन्हें निर्माताओं को लिखना चाहिए था कि फिल्म रिलीज करने से पहले कृपया हमें दिखाएं। निर्माताओं को उनकी आपत्ति के बाद उन्हें लिखना चाहिए था कि वे आएं और फिल्म देखें और एक घंटे में मामला खत्म करें। यह सार्वजनिक रूप से गंदी बातें करना है। कुछ हद तक मीडिया भी दोषी है।” ऐतिहासिक फिल्म शहीद के लेखक और अभिनेता कुमार का मानना ​​है कि इतिहास पर आधारित फिल्म बनाते समय स्वतंत्रता तभी ली जा सकती है जब उसमें तथ्यों के साथ छेड़छाड़ न की जाए।
-मनोज कुमार, अभिनेता

इस फिल्म के लिए बेचा अपना घर

साल 1981 में आई फिल्म ‘क्रांति’ को हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्मों में गिना जाता है. यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई और रिलीज के बाद कई कमाई के रिकॉर्ड तोड़े। इस फिल्म को बनाने के लिए मनोज कुमार ने जुहू स्थित अपनी जमीन तक बेच दी थी। उन्होंने दिल्ली वाला अपना घर भी फिल्म के लिए कुर्बान कर दिया। तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बावजूद मनोज कुमार ने ‘क्रांति’ को पूरा किया और करीब 3 करोड़ रुपये में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 16 करोड़ रुपये की जबरदस्त कमाई की।

DU के इस काॅलेज से किया ग्रेजुएशन

मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज कुमार ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की थी। हालांकि उन्हें बचपन से ही एक्टिंग में रुचि थी और वे दिलीप कुमार, अशोक कुमार से काफी प्रेरित थे। बचपन में उनके माता-पिता द्वारा उनका नाम हरिकृष्णन गोस्वामी रखा गया था लेकिन बाद में उन्होंने दिलीप कुमार की फिल्म शबनम देखी थी जिसमें दिलीप कुमार के किरदार का नाम मनोज कुमार था, उन्हें से प्रेरित होकर उन्होंने अपना नाम बदलकर मनोज कुमार रख लिया था।

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