-टीएमसी-कांग्रेस में लगी किसानों की जीत का श्रेय लेने की होड़
नई दिल्ली। एक तरफ जहां पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव नजदीक आ गए हैं वहीं दूसरी तरफ विपक्षी एकजुटता में दरार पड़ती दिखाई दे रही है। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा बेहद खास हैं।
विपक्षी ताकत की बात करें तो किसानों के मुद्दे पर भी सभी विपक्षी पार्टियां एक दूसरे के साथ आने में हिचकती रहीं। ऐसे में अब कांग्रेस और टीएमसी में पड़ी दरार से इस ताकत के और बिखरने की आशंका बढ़ गई है। कांग्रेस और टीएमसी में आई कड़वाहट की सबसे बड़ी वजह कृषि कानूनों के खिलाफ चलने वाले आंदोलन का श्रेय है।
दरअसल, कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने किसानों का आंदोलन चलाया और अंत में जीत हासिल की, लेकिन अब इसका श्रेय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ले रही है।
उन्होंने कहा कि उसका ये दावा पूरी तरह से निराधार है। चौधरी का यहां तक कहना है कि उनके कार्यकर्ताओं ने देशभर में कानूनों के हक की आवाज उठाई और उनके समर्थन में खड़े रहे।
वहीं टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी किसानों के समर्थन में कभी जंतर-मंतर तक नहीं गईं। फिर भी वो इसकी जीत का श्रेय लेना चाह रह हैं।
आपको बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के प्रधानमंत्री द्वारा वापस लिए जाने के एलान के बाद अब राजनीतिक पार्टियों में इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है।
ऐसा करने वालों में केवल टीएमसी और कांग्रेस ही नहीं है बल्कि दूसरी पार्टियां भी हैं। वहीं कृषि कानूनों के विरोध की आवाज बने संयुक्त किसान मोर्चा इस लड़ाई में किसी भी राजनीतिक दल की भूमिका को नकार रहा है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए ये काफी खास हो गया है कि किसानों की असल जीत के हकदार कौन हैं। सभी पार्टियां इस मुद्दे पर अपनी जीत बताते हुए ही आगामी चुनाव में उतरने वाली हैं।
चौधरी का ये बयान ऐसे समय पर सामने आया है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दिल्ली आई हुई हैं।