RJD-JDU Poster War: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के साथ ही राज्य की सियासत में पोस्टर वॉर तेज होता जा रहा है।
पटना की दीवारों पर इन दिनों राजनीतिक दलों के पोस्टर चर्चा का बड़ा विषय बन गए हैं।
आरजेडी (RJD) की ओर से तेजस्वी यादव को ‘बिहार का नायक’ और ‘जननायक’ बताने वाले पोस्टर जारी किए।
इसके जवाब में जेडीयू (JDU) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘जनसेवक’ बताते हुए नया पोस्टर लॉन्च कर दिया।
यह पोस्टर वॉर न केवल दोनों दलों के बीच टकराव को दिखा रहा है, बल्कि RJD के अंदर भी इस उपाधि को लेकर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं।
तेजस्वी ‘नायक’ पोस्टर से RJD में घमासान
आरजेडी द्वारा जारी किए गए पोस्टर में तेजस्वी यादव को बड़े अक्षरों में “बिहार का नायक” लिखा गया।
चुनावी संदेश साफ था—तेजस्वी को युवा नेतृत्व के रूप में जनता के सामने प्रोजेक्ट किया जाए।
हालांकि, पार्टी के अंदर ही इस उपाधि पर सवाल उठ गए।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि तेजस्वी को ‘जननायक’ बनने में अभी वक्त लगेगा।
उनके मुताबिक, जननायक वह होता है जिसका सामाजिक योगदान व्यापक और लंबे समय तक जनता को प्रभावित करने वाला हो।
सिद्दीकी का यह बयान यह संकेत देता है कि पार्टी के भीतर भी तेजस्वी की छवि पर चर्चा और मतभेद मौजूद हैं।
बीजेपी ने तेजस्वी को बताया ‘खलनायक’
इस पोस्टर युद्ध में बीजेपी भी कूद पड़ी है। बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तेजस्वी को ‘नायक’ कहने पर सवाल उठाते हुए कहा — तेजस्वी नायक नहीं, खलनायक हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष मुद्दों से खाली है, इसलिए पोस्टरों की राजनीति कर रहा है।
बीजेपी का आरोप है कि आरजेडी के शासन में जंगलराज था और अपराध चरम पर था, इसलिए आरजेडी चाहे जितना भी प्रचार करे, लोग दोबारा उस दौर में लौटना नहीं चाहेंगे।
तेजस्वी के बड़े भाई और जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेज प्रताप यादव ने भी पहले ही इसी तरह का विरोध जताया था। उन्होंने साफ कहा कि तेजस्वी जननायक नहीं हैं।
उन्होंने कहा था कि जननायक की उपाधि जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया या लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं के लिए है, जिन्होंने समाज और राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव लाए।
जेडीयू का पलटवार, ‘जनसेवक’ नीतीश कुमार
आरजेडी के पोस्टरों के जवाब में जेडीयू ने नीतीश कुमार की तस्वीर वाला पोस्टर जारी किया, जिसमें बड़ा और प्रमुख शब्द है — ‘जनसेवक’। पोस्टर में नीतीश कुमार हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं।
JDU का कहना है कि नीतीश ने बीते दो दशकों में बिना शोर-शराबा और बिना बड़े प्रचार के जनता की सेवा की है। इसलिए उन्हें नायक नहीं, ‘जनसेवक’ कहना ही सही है।
जेडीयू नेताओं का दावा है कि बिहार में सामाजिक न्याय से लेकर सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था तक, अधिकांश परिवर्तन नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए।
इसलिए ‘जनसेवक’ की छवि ही उनकी असली पहचान है। पोस्टर के माध्यम से पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नीतीश की राजनीति प्रचार नहीं, काम पर आधारित है।
बिहार में बड़ी रैलियों का दौर शुरू
राजनीतिक पोस्टरों के साथ अब बड़े नेताओं की रैलियों का सिलसिला भी तेज हो गया है।
गृहमंत्री अमित शाह दरभंगा, समस्तीपुर और बेगूसराय में एनडीए प्रत्याशियों के समर्थन में सभाएं करेंगे।
राहुल गांधी तेजस्वी यादव के साथ मुजफ्फरपुर और दरभंगा में जनसभाएं करेंगे।
राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार के कई जिलों में रैलियां करेंगे।
यूपी के सीएम योगी ने सीवान की एक रैली में RJD प्रत्याशी ओसामा शहाब पर कमेंट करते हुए कहा — नाम जैसा, काम वैसा। ये अपराध के लिए जाने जाते हैं।
इससे स्पष्ट है कि एनडीए आरजेडी पर ‘जंगलराज’ के पुराने आरोपों को फिर से चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
मोदी, शाह और राहुल का व्यस्त शेड्यूल
30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार में दो जनसभाएं करेंगे। उसी दिन अमित शाह पार्टी का घोषणा पत्र जारी करेंगे।
दूसरी ओर, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी लगातार बिहार दौरे पर रहेंगे। यानी चुनावी संघर्ष अब चरम पर पहुंच चुका है।
ADR की रिपोर्ट ने बढ़ाई दलों की चिंता
इसी बीच एडीआर (एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की रिपोर्ट ने भी राजनीतिक चर्चा को गर्म कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में चुनाव लड़ रहे कुल 1314 उम्मीदवारों में से 27% पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
आरजेडी उम्मीदवारों में से 60%, बीजेपी के 56%, CPI, CPM और भाकपा माले के भी उच्च प्रतिशत उम्मीदवारों पर केस दर्ज हैं।
यह रिपोर्ट चुनाव में अपराध और राजनीति के रिश्ते की फिर चर्चा को सामने ला देती है।
