Khandwa Durga Visarjan

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खंडवा दुर्गा विसर्जन त्रासदी: 11 लोगों की मौत के बाद गांव में पसरा मातम, PM-CM ने जताया दुख

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Khandwa Durga Visarjan: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना थाना क्षेत्र के जामली गांव में विजयादशमी के दिन दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा हो गया।

प्रतिमा लेकर जा रही ट्रैक्टर-ट्रॉली अचानक तालाब में पलट गई, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें ज्यादातर बच्चे और किशोरियां थीं।

तीन लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। यह घटना पूरे जिले ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश को गहरे शोक में डाल गई।

जानें कैसे हुआ हादसा?

2 अक्टूबर की शाम को पाडला फाटा गांव से ग्रामीण देवी दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के लिए निकले थे।

करीब 35 से 40 लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार थे।

जामली गांव के पास अर्दला तालाब पर ट्रैक्टर का संतुलन बिगड़ गया।

पहले ट्रॉली पलटी और उसके ऊपर ट्रैक्टर भी पलट गया।

ट्रॉली में बैठे लोग पानी में दब गए और कई बाहर नहीं निकल पाए।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तालाब करीब 50 फीट गहरा था।

ग्रामीणों ने तुरंत पानी में छलांग लगाई और कुछ लोगों को बाहर निकाल लिया, लेकिन कई लोग प्रतिमा और ट्रॉली के नीचे दब गए।

प्रशासन और SDRF की टीम मौके पर देर से पहुंची, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग पांच घंटे चला।

रात 8:30 बजे तक सभी शवों को बाहर निकाला गया।

मृतकों की उम्र 7 से 25 साल

इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले 11 लोगों की पहचान हो चुकी है।

इनमें चार पुरुष और सात महिलाएं शामिल हैं, जिनमें 5 नाबालिग लड़कियां और एक नाबालिग लड़का भी था।

  1. शर्मिला (16 वर्ष)
  2. आरती (18 वर्ष)
  3. दिनेश (16 वर्ष)
  4. उर्मिला (16 वर्ष)
  5. गणेश (16 वर्ष)
  6. किरण (14 वर्ष)
  7. पातलीबाई (22 वर्ष)
  8. रेव सिंह (12 वर्ष)
  9. आयुष (10 वर्ष)
  10. संगीता (16 वर्ष)
  11. चंदा (8 वर्ष)

इन सभी का अंतिम संस्कार शुक्रवार को पाडला फाटा गांव में किया गया। पूरे गांव में मातम छाया हुआ है।

ड्राइवर पर गंभीर आरोप

हादसे के बाद खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता और पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की।

बड़ी क्रेन और जेसीबी की मदद से ट्रैक्टर-ट्रॉली को तालाब से बाहर निकाला गया।

गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि संवेदनशील माहौल को नियंत्रित रखा जा सके।

एडिशनल एसपी महेंद्र तारणेकर और डीएसपी अनिल सिंह चौहान मौके पर मौजूद रहे।

गांववालों के अनुसार, ट्रैक्टर ड्राइवर दीपक किराड़े को कोटवार ने तालाब में जाने से रोका था, लेकिन उसने बात नहीं मानी।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि ड्राइवर नशे में था और लोगों के दबाव में तालाब के अंदर ट्रॉली ले गया।

फिलहाल ड्राइवर फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव का ऐलान

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस हादसे पर गहरा शोक जताया।

उन्होंने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया और घायलों के निःशुल्क इलाज के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री शुक्रवार शाम 5 बजे खुद गांव जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने वाले हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, खंडवा और उज्जैन में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुए हादसे अत्यंत दुखद हैं।

मृतकों के निकटतम परिजनों को 4-4 लाख रुपये की सहायता राशि और घायलों को समुचित उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

देवी मां दुर्गा से प्रार्थना है कि सभी घायलों का स्वास्थ्य शीघ्र सुधरे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जताई।

उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपये मृतकों के परिजनों को और 50 हजार रुपये घायलों को देने की घोषणा की।

पीएम मोदी ने लिखा, मध्य प्रदेश के खंडवा में हुई दुर्घटना में लोगों की मौत से गहरा दुख हुआ है।

इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएं प्रभावित लोगों और उनके परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी इस हादसे पर दुख जताया।

उन्होंने लिखा कि, मध्य प्रदेश में प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई दुर्घटनाओं में कई लोगों की मृत्यु, जिनमें अधिकतर बच्चे हैं, अत्यंत हृदयविदारक है।

इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों और बच्चों के अभिभावकों के साथ हैं।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी और स्थानीय नेताओं ने भी गांव पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने की योजना बनाई है।

गांव का माहौल: मातम और आंसू

इस हादसे ने पूरे पाडला फाटा गांव को शोक में डुबो दिया है।

यहां रहने वाले करीब 40 आदिवासी परिवारों के घरों में मातम छाया हुआ है।

किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। लोग एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे हैं लेकिन पूरा गांव गमगीन है।

गांव के लोग बताते हैं कि नौ दिन तक पूरे उत्साह से नवरात्र मनाया गया था, लेकिन विसर्जन का दिन मातम का दिन बन गया।

उत्सव के बीच हुई यह घटना सुरक्षा और जिम्मेदारी की बड़ी चूक साबित हुई। SDRF टीम के देर से पहुंचने की शिकायतें भी ग्रामीणों ने की हैं।

इसके अलावा यह हादसा कई गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या तालाब में विसर्जन के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम थे?

क्या प्रशासन की निगरानी कमजोर रही? ड्राइवर को क्यों रोका नहीं गया, जबकि कोटवार ने चेतावनी दी थी?

 

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