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UNION CARBIDE TOXIC WASTE BURNT-दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के अवशेष के रूप में मौजूद यूनियन कार्बाइड
के कचरा का अध्याय आखिरकार समाप्त हो चुका है।
यह कचरा पीथमपुर के रामकी संयंत्र में नष्ट कर दिया गया है।
337 मीट्रिक टन कचरे को कई चरणों में लगातार जला दिया गया है।
कचरा जलाए जाने की पूरी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पेश की जाएगी।
बता दें प्रदूषण नियंत्रण मंडल की निगरानी में पूरा कचरा जलाया गया है।
55 दिन में खाक हुआ भोपाल यूका का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा
हाई कोर्ट की फटकार लगी थी सरकार को
दिसंबर 2024 में जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कचरा जलाने के आदेश दिए थे।
हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार ने कचरा जलने के लिए न्यूनतम अवधि 185 और अधिकतम अवधि 377 दिनों की मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी यह कचरा क्यों नहीं जलाया गया।
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए 4 हफ्तों में कचरा हटाने के निर्देश दिए थे।
कंटेनर में भरकर लाये थे जहरीला कचरा
मध्य प्रदेश सरकार ने यूनियन कार्बाइड का कचरा 1 जनवरी को भोपाल से में 12 कंटेनर में भरकर धार के पीथमपुर पहुंचाया था।
पीथमपुर में रामकी सयंत्र में कचरे को ट्रायल के तौर पर 10-10 मीट्रिक टन जलाया जा रहा था।
इसकी रिपोर्ट लगातार हाईकोर्ट में प्रस्तुत की जा रही थी।
हालांकि कचरा जलाने की पूरी प्रक्रिया पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निगरानी रखी जा रही थी।
स्थानीय लोगों ने किया था विरोध
कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने को लेकर स्थानीय लोगों और इंदौर बीजेपी नेता सहित कांग्रेस ने विरोध जताया था।
बाद में मुख्यमंत्री मोहन यादव के कहने पर बीजेपी नेता मान गए थे, लेकिन कांग्रेस ने लगातार जताया था।
27 मार्च से यूका कचरे को प्रति घंटे 270 किलो ग्राम की दर से जलाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
जिसमें इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय से इसे अधिकतम 77 दिनों में जलाए जाने का समय निर्धारित किया गया था।
अवशिष्ट रखेंगे बोरी में भरकर
पीथमपुर के रामकी संयंत्र में इसे जलाने की सतत प्रक्रिया के बाद 29 जून को कचरा जला दिया गया।
29 जून की देर रात को ही बचा हुआ 270 किलोग्राम कचरा भी जलाकर भस्म कर दिया गया।
इस कचरे से जो अवशिष्ट और राख प्राप्त हुई है उस राख या अवशेषों को बोरों में सुरक्षित तरीके से भरकर रखा जायेगा।
बाद में पर्यावरण आधारित उपाय के साथ उसका निष्पादन किया जाएगा।
हाई कोर्ट में प्रस्तुत होगी रिपोर्ट
इंदौर संभाग आयुक्त दीपक सिंह के मुताबिक “उच्च न्यायालय जबलपुर में दाखिल पिटीशन क्रमांक
2802/ 2004 के संदर्भ में कचरा जलाए जाने की पूरी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की जाएगी।
उन्होंने कहा कि 77 दिन की तय समय सीमा की जगह 55 दिनों में ही 337 मीट्रिक टन कचरा जला दिया गया।
कचरे के अलावा प्लांट की चिमनी से होने वाले धुएं की भी मॉनिटरिंग की गई थी।
इसमें वायु गुणवत्ता भी मानकों के अनुरूप ही पाई गई थी।
अवशेषों को जमीन में दफनाने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत लैंडफिल का निर्माण कराया जा रहा है।
नवंबर तक पूरा हो जाएगा। दिसंबर तक बचा हुआ अवेशष यानि राख का निपटारा भी कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि भोपाल में 2 और 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने
से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था. इस त्रासदी में करीब 5 हजार
लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग दिव्यांग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी
औद्योगिक त्रासदी में से एक माना जाता है। इस त्रासदी का बचा हुआ कचरा सालों से
भोपाल के कारखाने में पड़ा था, जिसे हटाने का आदेश कोर्ट ने दिया था।
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