आंबेडकर के नाम पर कावड़ यात्रा बर्दाश्त नहीं
हिस्ट्रीशीटर और प्रशासन को अम्बेडकरवादियों की चेतावनी

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यहां धर्म,कर्म से ज्यादा राजनीतिक मर्म की पड़ी होती है और ऐसे में समाज में
अशांति कब फ़ैल जाएँ पता ही नहीं चलता। बाबा भोलेनाथ को चाहने वाले
लोगों की संख्या करोड़ों में है। सावन के महीने में देशभर में कावड़ यात्रा यात्राएँ
भी निकलती है। लेकिन इंदौर के एक हिस्ट्रीशीटर ने आम्बेडकर कावड़ यात्रा
यात्रा का नाम देकर विवाद को बड़ा दिया है।

डॉ.आम्बेडकर के नाम पर कावड़ यात्रा यात्रा निकालकर अपने राजनीतिक
भविष्य को चमकाने की इंदौर के एक हिस्ट्रीशीटर की कोशिशों के खिलाफ
आंबेडकरवादी लामबंद हो गए है। दरअसल उज्जैन एसपी कार्यालय में रेणुका
मालवीय नाम की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एक आवेदन देकर प्रशासन को
चेतावनी दी है की बलाई महासंघ के नेता महू से लेकर उज्जैन तक डॉ.आम्बेडकर
के नाम पर कावड़ यात्रा यात्रा निकालने जा रहे है। यह हर हाल में रोकी जानी
चाहिए,यह आम्बेडकर की मान्यताओं और प्रतिज्ञाओं के खिलाफ है और इससे
आम्बेडकर को मानने वाले लोगो की भावनाये आहत हुई है। यदि यह यात्रा
निकाली गई तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते है और इसकी जिम्मेदारी
प्रशासन की होगी।
क्या कहती है डॉ.आम्बेडकर की प्रतिज्ञाएं…
नागपुर में दीक्षा भूमि में 15 अक्टूबर 1956 को डॉ आंबेडकर ने साढ़े 3 लाख से
ज्यादा लोगों के साथ हिंदू धर्म त्याग दिया। उन्होंने इस मौके पर 22 प्रतिज्ञाएं
कीं। इन प्रतिज्ञाओं में उन्होंने प्रमुख रूप से यह कहा था की
मैं ब्रह्मा,विष्णु और महेश में आस्था नहीं रखूंगा और उनकी पूजा नहीं करूंगा। मैं
राम और कृष्ण में आस्था नहीं रखूंगा, जिन्हें भगवान का अवतार माना जाता है।
मैं इनकी पूजा नहीं करूंगा। गौरी,गणपति और हिंदू धर्म के दूसरे देवी-देवताओं
में न तो आस्था रखूंगा और न ही इनकी पूजा करूंगा।

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कौन है मनोज परमार
इंदौर का हिस्ट्रीशीटर माने जाने वाला यह शख्स पिछले कुछ सालों से दलित
सवर्णों के बीच हुए विवादों के निपटारें में मध्यस्थता की भूमिका निभाता है। इस
दौरान अपने सामाजिक संपर्कों का इस्तेमाल करके वह अब राजनीति में अपना
किस्मत चमकाना चाहता है।
उज्जैन में भारी विरोध..
उज्जैन पुलिस को इस कावड़ यात्रा यात्रा रोकने और मनोज परमार पर केस दर्ज
करने का जो आवेदन दिया गया है उसमें कई वकीलों ने भी हस्ताक्षर किये है।
उज्जैन जिला अनुसूचित जाति बाहुल्य है और यहां दलितों की नाराजगी सरकार
को भारी पड़ सकती है।
यात्रा रोकने के लिए महू में जुट सकते है हजारों आम्बेडकरवादी
डॉ.आम्बेडकर के नाम पर कावड़ यात्रा का विरोध महू में भी हो सकता है और
यात्रा रोकने के लिए यहां पर हजारों आम्बेडकरवादी इकट्ठा हो सकते है।

आम्बेडकरवादियों की नाराजगी,पड़ सकती है भारी
डॉ.आम्बेडकर के करोडो अनुयायी देश भर में रहते है। मध्यप्रदेश में इनकी अच्छी
खासी संख्या है। इस कावड़ यात्रा यात्रा के विरोध में जिस प्रकार दलित
बुद्धिजीवी सामने आयें है,उससे यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
मनोज परमार के समर्थक धमकी पर उतारू
उज्जैन से जब इस कावड़ यात्रा यात्रा के विरोध की आवाजें सुनाई पड़ी तो
सोशल मीडिया पर मनोज परमार के समर्थक बताएं जा रहे कुछ लोगों ने विरोध
करने वालो की हड्डियां तोड़ने तक की धमकी दे डाली।