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मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा सत्र के दौरान दो प्रमुख विपक्षी दलों, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा), के बीच असहमति के संकेत मिल रहे हैं। दोनों पार्टियों ने भाजपा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है, लेकिन दोनों दल अलग-अलग तारीखों पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने 16 दिसंबर को विधानसभा घेराव का निर्णय लिया है, वहीं सपा ने 17 दिसंबर को अपनी तिथि तय की है। यह राजनीतिक कदम गठबंधन में दरार की ओर इशारा कर रहे हैं, क्योंकि एक ही मुद्दे पर दोनों दल अलग-अलग समय पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी का विधानसभा घेराव
समाजवादी पार्टी ने 17 दिसंबर को भोपाल में विधानसभा का घेराव करने का ऐलान किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव के नेतृत्व में यह प्रदर्शन होगा। सपा का आरोप है कि भाजपा सरकार की नीतियाँ जनविरोधी हैं और प्रदेश में बढ़ते अपराध, महिला उत्पीड़न, किसानों की समस्याएँ, बेरोजगारी, और सरकारी भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
सपा ने भाजपा सरकार के खिलाफ 12 प्रमुख मुद्दों को उठाया है, जिनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी, किसानों को खाद की कमी, कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिलना, बेरोजगारी, और सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी शामिल हैं। सपा ने अपने समर्थकों से इस घेराव में हिस्सा लेने की अपील की है और प्रदेश सरकार से इन मुद्दों पर तत्काल कदम उठाने की मांग की है।
कांग्रेस का 16 दिसंबर को घेराव
इसके पहले कांग्रेस ने 16 दिसंबर को प्रदेश सरकार का घेराव करने का ऐलान किया था। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया कि वह प्रदेश के मुद्दों पर चुप हैं और उन्होंने उन्हें “मौन यादव” कहकर तंज कसा। सिंघार ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों, महिलाओं और युवाओं के मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी।
कांग्रेस और सपा दोनों ही बीजेपी सरकार की नीतियों और उसकी कार्यप्रणाली को लेकर असंतुष्ट हैं, लेकिन दोनों दल अलग-अलग तारीखों पर प्रदर्शन करने जा रहे हैं, जिससे गठबंधन में दरार के संकेत मिल रहे हैं। यह राजनीतिक घटनाक्रम मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि अगर दोनों दलों के बीच फूट बढ़ती है, तो आगामी चुनावों पर इसका असर पड़ सकता है।
राजनीतिक माहौल में बदलाव
कांग्रेस और सपा के अलग-अलग समय पर विरोध प्रदर्शन करने के फैसले ने गठबंधन में दरार की संभावना को जन्म दिया है। दोनों दलों ने सरकार के खिलाफ व्यापक मुद्दों को उठाया है, लेकिन उनका अलग-अलग प्रदर्शन से यह प्रतीत होता है कि उनका गठबंधन अब मजबूत स्थिति में नहीं है। मध्य प्रदेश के आगामी चुनावों के लिए यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।
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