- ग्राम सभा में पारित प्रस्ताव असंवैधानिक
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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के पाथर्डी तालुका में मढ़ी गांव की एक ग्राम सभा में मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का प्रस्ताव अवैध रूप से पारित कर दिया । मढ़ी गांव वहां स्थित 700 साल पुराने कनिफनाथ मंदिर के लिए जाना जाता है। यहाँ आसपास कई धर्मों के खानाबदोश रहते है जो इस मंदिर में लगने वाले मेले में हिस्सा लेते है। ग्राम सभा द्वारा जो प्रस्ताव पारित किया गया वो असंवैधानिक इसलिए कहा जा रहा है क्यूंकि ग्राम सभा के पास ये अधिकार नहीं होते। या कह सकते हैं हमारा संविधान ग्राम सभा को ये अधिकार नहीं देता।
गांव के सरपंच संजय मरकड ने जिस तरह गांव के लोगों के हस्ताक्षर का इस्तेमाल गैरकानूनी रूप से किया इसे लेकर गांव में अशांति का माहौल है। जब गांववासियों से इसके बारे में पूछा गया तो कुछ लोगों ने कहा हमें इस बारे में जानकारी ही नहीं थी जबकि कुछ ये कह रहे है की उन्होंने सबकुछ जानते हुये भी हस्ताक्षर किये हैं।
ग्राम पंचायत के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) शिवाजी कांबले ने बताया कि बैठक वास्तव में आवास योजना पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी और किसी समुदाय का बहिष्कार कभी एजेंडे में नहीं था। उनहोनें कहा माधी में पारित प्रस्ताव असंवैधानिक है और इस पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। हालांकि, अभी तक सरपंच मरकड या प्रस्ताव पारित करने में शामिल किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।
बताया जाता है कि मंदिर की यात्रा होली से शुरू होती है और गुड़ी पड़वा पर समाप्त होती है। पारंपरिक प्रथा के अनुसार, एक महीने पहले से ही भगवान को तेल लगाया जाता है और यह ग्रामीणों के दृष्टिकोण से दुःखद घटना मानी जाती है। लेकिन इसके बावजूद, यहां आने वाले व्यापारी परंपरा का पालन नहीं करते हैं, जिससे ग्रामीणों की भावनाएं आहत होती हैं। इसलिए ग्रामीणों ने एक महीने पहले से निर्धारित तीर्थयात्रा में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।
मामला यूँ है कि 22 फरवरी को अहिल्यानगर के पाथर्डी तालुका के माधी गांव में एक स्पष्ट एजेंडा के साथ एक विशेष ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई थी। इसका एजेंडा गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए पात्र लोगों की नई जारी सूचि पर चर्चा करना था। बैठक के बाद लोगों ने उपस्थिति दर्ज करने हेतु बताये गए एजेंडा के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा है की इन हस्ताक्षर का दुरूपयोग मुस्लिम ब्यापारियों के बहिष्कार करने के लिए किया गया। ये सारे व्यापारी जल्दी ही आयोजित होने वाले कनीफनाथ मंदिर के वार्षिक मढ़ी मेले में इकठ्ठा होने वाले थे।
अहिल्या नगर जिसे पहले अहमद नगर कहते थे यह स्थान यहाँ से 5 किलोमीटर दूर स्थित है। अन्य कई सोशल मीडिया की जानकारी के मुताबिक पिछले कई दशकों में, कट्टरपंथी हिंदुत्व संगठनों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह एक “हिंदू” मंदिर के रूप में पहचान पा चुका है।
इस बीच, उत्सव के आयोजकों ने कहा है कि वे ग्राम सभा के प्रस्ताव के विरोध में हैं और दावा करते हैं कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई।
मढ़ी दरगाह का इतिहास जटिल है। मानवविज्ञानी रॉबर्ट एम. हेडन ने अपनी पुस्तक एंटागोनिस्टिक टॉलरेंस: कॉम्पिटिटिव शेयरिंग ऑफ रिलीजियस साइट्स एंड स्पेस में बताया है कि कैसे यह दरगाह हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए पूजनीय और पूजनीय बन गई है। “मुसलमानों के लिए, यह मुस्लिम संत शाह रमजान माही सावर चिश्ती की दरगाह है, जबकि हिंदू कहते हैं कि यह हिंदू संत कनिफनाथ की समाधि है। इसके बावजूद हिंदू और मुस्लिम दोनों के बीच माधी में शांतिपूर्ण बातचीत का लंबा इतिहास रहा है, जिसमें कभी-कभी हिंसा की छोटी-छोटी घटनाएं भी होती हैं।
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