उमेश शर्मा की मौत रविवार को हुई, पर भाजपा ने उनको कब का किनारे कर दिया था, उनका सरल दिल तो राजनीतिक जोड़-तोड़ के ‘कोलेस्ट्रॉल’ के बोझ तले कब का बिखर चुका था।
पंकज मुकाती #politicswala
भाजपा और उसके ‘कथित’ बड़े नेता इंदौर में ही मंच पर समारोह में तालियां बटोरते रहे, पर किसी ने दो मिनट के मौन तक की अदाकारी नहीं दिखाई। आखिर एक प्रखर वक्ता ‘मौन’ के सम्मान का भी हकदार नहीं रहा ?
आयोजन की चकाचौंध, तेज रोशनी, सैकड़ों की भीड़ के बीच किसी एक मंचासीन ने भी ये हिम्मत नहीं जुटाई कि -मैं उमेश शर्मा के परिजनों के पास जाता हूँ।आयोजन के बाद वज्रपात, अपूरणीय क्षति, पूरी भाजपा स्तब्ध है, जैसे बनावटी शब्द सुनने को मिले।
उमेश शर्मा के हिस्से में ज़िंदा रहते तो इंतज़ार आया ही। मौत के बाद श्रद्धांजलि में भी उनको इंतज़ार मिला । उमेश शर्मा की पूरी ज़िंदगी इंतज़ार में गुजर गई। जब क्षेत्र क्रमांक तीन से विधायक के टिकट की बारी आई, तो राजनीति ने ‘आकाशीय’ वंश परंपरा को प्राथमिकता दी।
इंदौर शहर अध्यक्ष का सपना भी टूट गया क्योंकि वे शीर्ष पर बैठे नेताओं को ‘गौरव’ शाली नहीं लगे। जब इंदौर शहर में महापौर का पद सामान्य हुआ तो शर्मा की तमाम योग्यताओं को किनारे कर भोपाल की अदालत ने कहीं और ही ‘पुष्प’ बरसा दिए।
राजनीति के धोखे मिलते रहे। फिर भी उमेश शर्मा बने रहे। भीतर-भीतर घुटते रहे,खुद को पीड़ा देते रहे, झेलते रहे। पूरा दिन खुद को उम्मीद से जोड़े रखते पर सूरज ढलने पर वे भी अपनी ज़िंदगी को शायद ऐसे ही ढलते देखते हुए खुद को अंधेरे में गुमनाम पाते।
अक्सर वे रात को इसी अवसाद में कोई ट्वीट, कोई पोस्ट अपने दर्द को बयान करती प्रसारित कर देते। सुबह हटा भी लेते। उनके भीतर भाजपा की राजनीतिक अवसरवादिता से ज्यादा गहरा प्रभाव संघ कीअनुशासन घुट्टी का रहा। उन्होंने कभी ये नहीं तोड़ा। पूरी ज़िंदगी स्वयंसेवक बने रहे।
उमेश शर्मा की मौत भले रविवार को हुई, पर भाजपा और उसके नेताओं ने तो उन्हें बरसो पहले ही किनारे कर दिया था। उनकी मौत का वैज्ञानिक कारण हार्ट अटैक रहा, पर उनका सरल दिल तो राजनीतिक जोड़-तोड़ के ‘कोलेस्ट्रॉल’ के बोझ तले कब का बिखर चुका था।
इंदौर से लेकर दिल्ली और बनारस हिन्दू विश्विद्यालय तक डिबेट में सबको मात देने वाला ये युवा नेता अपनों के आगे ‘खामोश’ हो गया। श्रद्धांजलि।
उमेश शर्मा ने कुछ महीने पहले ट्वीट किया था वो उनकी ज़िंदगी की भी पूरी कहानी बताता है-
प्यास की शिद्दत से गिर गई नाचने वाली
तमाशा देखने वालों को ये भी इक अदा सी लगी !
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