उज्जैन सिंहस्थ 2028 को लेकर श्रद्धालुओं में अभी से उत्साह का माहौल है। श्रद्धालु इस भव्य आध्यात्मिक समागम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इन सबके बीच उज्जैन सिंहस्थ के तारीखों का ऐलान हो गया है।
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Ujjain Simhasth 2028: यूपी के प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ से ठीक 35 महीने बाद बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुभ का आयोजन होना है। भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महापर्व की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। उज्जैन में लगने वाला सिंहस्थ कुंभ 2 महीने तक चलेगा।
आईए जानते हैं विस्तार से –
सिंहस्थ मेला का भव्य आयोजन 27 मार्च, 2028 से शुरू होकर 27 मई, 2028 तक चलेगा। इस दौरान, शिप्रा नदी के तट पर तीन अमृत स्नान की महत्वपूर्ण तिथियां होंगी, जो 9 अप्रैल से 8 मई के बीच पड़ेंगी। इसके अतिरिक्त, सात अन्य स्नान पर्व भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।
14 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान
गौरतलब है कि पिछली बार उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन केवल एक महीने के लिए ही हुआ था। वहीं, इस बार इसे दो महीने का किए जाने से श्रद्धालुओं को अधिक समय मिलेगा। हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में दुनियाभर से साधु-संत और श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। यह आयोजन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण केंद्र होता है। इस बार प्रदेश सरकार ने इस दिव्य मेले में लगभग 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया है।
35 माह में कई काम
इस विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं- भीड़ का कुशल प्रबंधन और स्वच्छता बनाए रखना। सिंहस्थ में अब लगभग 35 महीने का समय शेष है, लेकिन चिंता की बात यह है कि सड़क, पुल, बिजली जैसी मूलभूत विकास परियोजनाएं अभी भी कागजी कार्रवाई तक ही सीमित हैं। इतने कम समय में इन महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।

तैयारी में लगी मोहन सरकार
उज्जैन सिंहस्थ 2028 के लिए मोहन सरकार ने कमर कस ली है, जिसमें 14 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस भव्य आयोजन के लिए 11 विभागों ने 15751 करोड़ रुपये की 102 परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा है, जिसमें से 5133 करोड़ रुपये के 75 कार्यों को इस वर्ष पूरा करने की सिफारिश की गई है।
सरकार के लिए दो बड़ी चुनौतियां
हालांकि, इस महाकुंभ के सफल आयोजन में दो बड़ी चुनौतियां हैं। भीड़ प्रबंधन और स्वच्छता. शहर की सड़कों को चौड़ा करना, पुलों का विस्तार और शिप्रा नदी के घाटों की लंबाई बढ़ाना भीड़ नियंत्रण के लिए आवश्यक है। ट्रैफिक व्यवस्था के लिए प्रस्तावित रोप-वे और रेलवे ओवरब्रिज जैसी कई योजनाएं अभी भी स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हो पाई हैं। 35 महीने का समय शेष होने के कारण, सरकार को इन मूलभूत सुविधाओं को तेजी से विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि लाखों श्रद्धालुओं को सुगम और स्वच्छ अनुभव मिल सके।
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