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चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के करीब एक महीने बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। इस चुनाव में कांग्रेस को जहां सिर्फ 6 सीटें मिलीं, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की जमानत तक जब्त हो गई थी। ऐसे में यह मुलाकात कई सियासी सवाल खड़े कर रही है। किशोर ने हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ एक बंद कमरे में बैठक की, जिससे राजनीतिक गलियारों में नई अटकलें लगने लगी हैं।
कई सियासी सवाल खड़े कर रही है प्रियंका-प्रशांत की 2 घंटे की मुलाकात
बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर के बीच यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। दोनों पक्ष इसे एक शिष्टाचार भेंट बता रहे हैं, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ इसे आने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यह मुलाकात भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं को टटोलने की कोशिश भी हो सकती है। राजनीति में यह कहावत आम है कि न कोई स्थायी दोस्त होता है और न ही स्थायी दुश्मन, और यही बात इस बैठक पर भी लागू होती दिख रही है।
दरअसल, प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के रिश्ते नए नहीं हैं। 2021 में जेडीयू से अलग होने के बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने पार्टी को पुनर्गठित करने का प्रस्ताव रखा था। अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर शामिल हुए थे। उस दौरान प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने को तैयार बताए जा रहे थे, लेकिन उन्हें ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ का प्रस्ताव दिया गया।
बिहार चुनाव के दौरान भी उन्होंने राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ और SIR जैसे मुद्दों से असहमति जताई थी।
हालांकि दोनों पक्षों ने इस बातचीत को एक नियमित बातचीत बताया है।
किशोर की जन सूरज पार्टी की करारी चुनावी हार के बाद यह मुलाकात हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में नाकाम रही और 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा और उसने 61 सीटों में से सिर्फ छह सीटें जीतीं। किशोर की प्रियंका गांधी से बातचीत ने उनकी राजनीतिक रणनीति में संभावित बदलाव को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब उन्होंने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस से स्पष्ट दूरी बनाए रखी थी।
किशोर का कांग्रेस नेतृत्व से जुड़ाव 2021 से शुरू हुआ, जब उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) छोड़ दिया था। अप्रैल 2022 में, किशोर ने सोनिया गांधी के आवास पर आयोजित एक बैठक में कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष एक विस्तृत पुनरुद्धार योजना प्रस्तुत की, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी उपस्थित थे। उस समय, किशोर को पार्टी के प्रस्तावित “सशक्त कार्य समूह” में भूमिका की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि कांग्रेस को सीमित संगठनात्मक भूमिकाओं के बजाय संरचनात्मक सुधारों और निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता है। इस असहमति के कारण दोनों के रास्ते अलग हो गए, और किशोर बाद में पार्टी के एक मुखर आलोचक के रूप में उभरे।
हालांकि, प्रियंका गांधी के साथ चुनाव के बाद हुई मुलाकात से संकेत मिलता है कि संवाद के रास्ते खुले हैं। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चर्चा बिहार की राजनीति, विपक्ष की रणनीति और भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं पर केंद्रित थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ये बातचीत किसी औपचारिक सहयोग में तब्दील हो पाएगी या नहीं।
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