जाति जनगणना वोट की राजनीति

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गणना को 240 से आगे जो बढ़ाना है…समझिए क्या है जाति जनगणना के पीछे का अंकगणित

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अरुण दीक्षित

मजदूर दिवस-2025

जातिगत जनगणना के ऐलान के बाद जहां बीजेपी के नेता और गोदी मीडिया मुंह की गाद निकालने में लगे हैं वहीं विपक्षी दल इसका श्रेय लेने में जुटे हैं।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाकिस्तान के सामने प्राथमिकता पाने वाले इस फैसले को समझ ही नहीं पा रहे हैं।

सबकी अपनी अपनी व्याख्या है।

लेकिन इस फैसले के पीछे का अंकगणित कोई समझ ही नहीं रहा है।देश पर बाहरी संकट के समय अचानक आए इस फैसले की मूल वजह है – 240 का आंकड़ा!

हां आप सही पढ़ रहे हैं! 240 ने ही सब कुछ कराया है।

अबकी बार 400 पार के नारे को देश की जनता ने पलीता लगा दिया था। 56 इंच के गुब्बारे में पिन चुभो दी ।

चुनाव आयोग, ई वी एम, पालतू अफसरों की भरपूर मदद ,वोट के हिसाब से नोट और हर तरह की लूट खसोट के बाद भी गाड़ी 240 पर जाकर अटक गई। ये सब न होते तो 120 पर ही खेल खत्म हो जाता। किसी तरह सरकार गिरने से तो बच गई ..! बैसाखियों पर टिक गई।शातिर और मौकापरस्त नेताओं ने अविनाशी को अपने सामने दंडवत करा दिया।इस वजह से लगातार अपमान की आग में सुलग रहे हैं।

अगर आप ध्यान से देखेंगे तो समझ आ जाएगा कि सब कुछ पूरी योजना के साथ किया जा रहा है। पहलगाम में निर्दोष लोग गोलियों से भून दिए गए। दूसरों के घर में घुस कर मारने का दावा करने वाले के घर में आतंकी कैसे घुस गए ?इस सवाल के उठने से पहले ही पाकिस्तान को कई “सबक” एक साथ सिखा दिए गए।

आठ दिन से बड़ी बड़ी बैठकें चल रही थीं। गोदी मीडिया ने “वार रुम” खोल लिए। पूरी दुनिया की नजर भारत पर टिकी थी। सब कह रहे थे कि कुछ बड़ा होने वाला है। कुछ बड़ा होने जा रहा है।
खुद अविनाशी ने ऐलान कर दिया कि सेना को खुली छूट दे दी है। जो मन में आए करो!! भक्त उन्माद में कूद रहे थे। मीडिया पाकिस्तान को बिन पानी तड़पा रहा था!

कि अचानक अश्विनी वैष्णव की जेब से निकली एक पर्ची ने खेला कर दिया। साहब ने हरकारा के जरिए कहला दिया – सेना को जो करना है वह करेगी.. और हम जातियों की गणना करेंगे! कल तक जो देश को तोड़ने वाला काम था…उसे भी अब हम खुद ही करेंगे!देश को बताएंगे कि उसमें किस जाति के कितने लोग रहते हैं। धर्म वालों का तो सबको पता है ही।

दरअसल हमको तो उसी समय शंका हुई थी जब आतंकी हमले की वजह से विदेश दौरा कुछ घंटे पहले खत्म करके अविनाशी देश लौट आए । लेकिन वे न तो पहलगाम गए और न ही उन्होंने अपने श्रीमुख से एक शब्द जनता से कहा। हां अगले दिन चुनाव की तैयारी कर रहे बिहार के मधुबनी शहर में नीतीश बाबू के साथ हँसी ठिठोली करने पहुंच गए! वहां ग़म से लटके हुए चेहरे को दुनियां को दिखाया। फिर उसी मुंह से पाकिस्तान को अंग्रेजी में कड़ा चैलेंज भेज दिया।

जनता से बात करने की बात पर आप कह सकते हैं कि मन की बात तो करते ही रहते हैं। और क्या चाहिए?

चलिए छोड़िए इस बात को…अब मतलब की बात समझिए। मारने वालों ने पहलगाम में लोगों को मार दिया। वे अपना काम कर गए। साहब ने बिहार से पाकिस्तान को कड़ी धमकी दे दी। सेना को खुली छूट दे दी। और भी बहुत कुछ कह दिया। कर दिया। अब भक्त पाकिस्तान पाकिस्तान खेलते रहेंगे। फौज सीमा पर लड़ती रहेगी।

और हम..हमें तो राजनीति करनी है। हम वही कर रहे हैं जो हमें कुर्सी पर कायम रहने के लिए करना है। (अब तक कुर्सी के लिए हमने जो जो किया है वह आपको याद है कि नहीं)। इसलिए हमने जाति जनगणना का पांसा फेंक दिया है। विपक्ष का मुद्दा खत्म।अब हम इस पर खेलेंगे।अब तक हमने जो लीद की थी उसे गुलाम मीडिया,अंधभक्त और नीतीश बाबू साफ करेंगे।

पाकिस्तान और जाति जनगणना के दांव पर अगर बिहार हाथ आ गया तो नीतीश को मार्गदर्शक मंडल में डाल हम मठाधीश बनेंगे।साथ ही मध्यावधि चुनाव करा के इस 240 के कलंक को धो डालेंगे।इस बार कोई चूक नहीं होने देगे।
सेना सीमा पर लड़ेगी और जनता गली गली। हम संपूर्ण सुरक्षा में अपना खेल खेलेंगे।कोई मरे या कोई जिए।
हमें इससे क्या..?
हमें 400 पार जाना है।
समझे कुछ!!?

 

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