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दिल्ली। महाराष्ट्र में औरंगजेब संबंधी विवाद के बाद दिल्ली में तुगलक को लेकर विवाद सामने आया है। और सिर्फ विवाद नहीं मामला इस तरह बढ़ गया है कि राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा तथा केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने अपने दिल्ली स्थित सरकारी आवास के बाहर नेमप्लेट पर तुगलक लेन की जगह विवेकानंद मार्ग लिखवा दिया है। इस मुद्दे को लेकर जिसे बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है।
मामला ये है कि दिनेश शर्मा ने गुरुवार नई दिल्ली स्थित नए आवास 6 तुगलक लेन में गृह प्रवेश किया। बीजेपी सांसद ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट में तुगलक लेन से पहले स्वामी विवेकानंद मार्ग लिखा है। सांसद ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ नए घर की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की। पोस्ट में तुगलक लेन को स्वामी विवेकानंद मार्ग के नीचे ब्रेकेट में लिखा गया था।
इस पूरे मुद्दे को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि उन सब सड़कों और मार्गों के नाम बदले जाने चाहिए जो मुगल आक्रांताओं के नाम पर रखे गये हैं। वहीं इस मामले में विपक्ष का कहना है कि भाजपा के पास नाम बदलने के अलावा कोई काम नहीं है। इससे पहले भी साल 2015 में भाजपा के तत्कालीन सांसद महेश गिरि के आग्रह पर लुटियन्स जोन में आने वाले औरंगजेब रोड़ का नाम बदल कर एनडीएमसी ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड़ कर दिया था। इसके अलावा साल 2023 में राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदल कर अमृत उद्यान कर दिया गया था।
अपने घर के बाहर विवेकानंद मार्ग लिखवाने के मुद्दे पर भाजपा के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा है कि यह सामान्य प्रक्रिया है कि जब कोई किसी घर में जाता है तो नाम पट्टिका लगा दी जाती है। मैं वहां नहीं गया था, मैंने नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि आस-पास के घरों पर विवेकानंद मार्ग लिखा था और नीचे तुगलक लेन। उन्होंने कहा कि नेमप्लेट पर आज भी तुगलक लेन लिखा है और सुविधा के लिए विवेकानंद मार्ग लिख दिया है। गूगल इस स्थान को विवेकानंद रोड दर्शाता है। मैं जानता हूं कि सांसद को सड़क का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। ये राज्य सरकार और नगर निकाय का काम है, इसके लिए एक प्रक्रिया होती है… मुझे इसे बदलने का न अधिकार था, न है, न मैंने किया है। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रक्रिया में पेंटर ने वही नाम लिखा होगा जो आस-पास के घरों पर लिखा था, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने कोई स्थान (का नाम) बदला है।”
यकीनन नाम परिवर्तन का अधिकार किसी सांसद को नहीं होता। मैं इस बारे में जानता हूं। कोई अगर अपने आप नाम बदले तो ये बिल्कुल ठीक नहीं है और ना ही संभव है। इसमें विवाद कहां से आ गया, मैं ये ही नहीं समझ पा रहा हूं.
वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा सांसद दिनेश शर्मा और केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर द्वारा अपने-अपने तुगलक लेन आवास की नेमप्लेट बदलकर स्वामी विवेकानंद मार्ग करने पर कहा, “दिनेश शर्मा हमारे वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने अथवा किसी और नेता ने तुगलक रोड का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद जी का नाम लिखने का काम किया है तो मुझे लगता है कि ऐसे नामों को बदलने का दिल्ली में भी सही समय आ गया है। दिल्ली में डबल इंजन की सरकार है, तुष्टीकरण वाली सरकार नहीं।”
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने इस मुद्दे पर कहा है कि भाजपा सिर्फ साम्प्रदायिकता की राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास नाम बदलने की राजनीति करने के अलावा और कुछ काम नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा को काम की राजनीति पर ध्यान देना चाहिए।
यूं बदला जाता है किसी जगह का नाम
अगर किसी जगह का नाम बदलना है तो इसके लिए एनडीएमसी को एक प्रस्ताव जाता है. फिर इस पर एनडीएमसी की 13 सदस्य कमेटी चर्चा करती है कि जो नाम सुझाया गया है वो क्यों रखा जाए. जगह के इतिहास को देखा जाता है. फिर से इस प्रस्ताव को एनडीएमसी काउंसिल में रखा जाता है, जिसके बाद बदलने गए नाम पर फाइनल मुहर लगती है. इसके बाद ही नाम बदला जा सकता है और फिर उस जगह को नए नाम से जाना जाता है.
तुगलक लेन क्यों रखा गया नाम
दिल्ली में तुगलक वंश (1320-1413) का शासन खिलजी वंश के बाद में आया। तुगलक वंश में जहां कारखानों या फैक्टरी की स्थापना के कारण आर्थिक जीवन में तेज़ी आई वहीं नहरों के निर्माण से कृषि सिंचाई मिली। समुद्री व्यापार में इजाफा हुआ. शहरीकरण की प्रक्रिया तेज़ हो गई। शहरी केंद्रों, स्कूलों, मस्जिदों और सार्वजनिक भवनों जैसी अन्य इमारतों का भी प्रसार हुआ। तुगलक शासन की वजह से दिल्ली में रोड का नाम तुगलक रखा गया।
इन जगहों के नाम बदलने की भी उठी मांग
27 फरवरी को भाजपा विधायक नीलम पहलवान ने दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था. विधायक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने से न केवल क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी। नीलम पहलवान के बाद दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम से भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने भी अपनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाले गांव मोहम्मदपुर का नाम बदलने की मांग की थी और कहा था कि मोहम्मदपुर का नाम माधवपुरम रखा जाए। इससे पहले मुस्तफाबाद से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इस इलाके का नाम बदलने की मांग की थी। उन्होंने इसकी जगह ‘शिवपुरी’ या ‘शिव विहार’ नाम सुझाया था।
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