CJI BR Gavai

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सुप्रीम कोर्ट में हंगामा: सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश, जानें हमला करने वाला वकील क्यों नाराज था?

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CJI BR Gavai: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की।

यह घटना कोर्ट नंबर एक में उस समय हुई, जब चीफ जस्टिस गवई की बेंच एक नियमित मामले की सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट रूम में मौजूद अन्य वकीलों ने बताया कि आरोपी ने अचानक अपनी जूती उतारी और CJI गवई की ओर फेंक दी।

हालांकि जूता बेंच तक नहीं पहुंच सका और तुरंत सुरक्षा कर्मियों ने वकील को पकड़ लिया।

जैसे ही पुलिसकर्मी उसे कोर्ट रूम से बाहर ले जा रहे थे, उसने ज़ोर से नारा लगाया “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”

घटना के बाद कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा गया। लेकिन CJI गवई ने अत्यंत संयम दिखाते हुए कहा- आप अपनी दलीलें जारी रखें।

मैं परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। उनके इस शांत और संयमित रवैये की सोशल मीडिया पर सराहना की जा रही है।

कौन है आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर कुमार है। वह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में 2011 से रजिस्टर्ड हैं।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, वह हाल ही में खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति पर CJI गवई की टिप्पणी से नाराज थे।

दरअसल, 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना को लेकर एक याचिका पर सुनवाई हुई थी।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह मूर्ति मुगल काल में खंडित हुई थी और इसकी बहाली धार्मिक भावना से जुड़ी है।

CJI गवई की टिप्पणी और विवाद की शुरुआत

सुनवाई के दौरान CJI गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था- जाओ, भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो कि भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो उनसे प्रार्थना करो।

उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और कुछ समूहों ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। कई संगठनों ने इस पर विरोध भी जताया।

विवाद बढ़ने के बाद 18 सितंबर को CJI गवई ने सफाई दी थी। उन्होंने कहा था- मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। मैं सभी धर्मों और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करता हूं।

इस दौरान बेंच में शामिल जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने भी कहा था कि सोशल मीडिया अब एंटी-सोशल मीडिया बन चुका है।

उन्होंने स्पष्ट किया था कि न्यायिक टिप्पणियों को बिना संदर्भ के साझा करना गलत परंपरा बन गई है।

वहीं याचिकाकर्ता के वकील संजय नूली ने कहा था कि CJI के खिलाफ फैलाई जा रही बातें झूठी हैं और किसी ने उनकी पूरी टिप्पणी सुनी ही नहीं।

सरकार और सीनियर वकीलों का समर्थन

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी CJI का समर्थन करते हुए कहा था- मैं जस्टिस गवई को दस सालों से जानता हूं।

वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।

उन्होंने कहा कि न्यूटन का नियम कहता है— हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब सोशल मीडिया पर हर बात की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो जाती है।

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सहमति जताते हुए कहा था कि सोशल मीडिया की वजह से वकीलों और न्यायपालिका दोनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, इस घटना पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X (ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने लिखा- न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है।

हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न केवल बना रहे बल्कि और मजबूत हो।

अपनी वाणी में संयम रखना सबकी जिम्मेदारी है — चाहे वह न्यायाधीश हो, वकील हो या कोई भी पक्षकार।

कोर्ट परिसर में प्रवेश से पहले कड़े सुरक्षा इंतजाम होते हैं, फिर भी एक वकील जूता लेकर कोर्टरूम तक पहुंच गया।

इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई वकीलों ने मांग की है कि कोर्ट में सुरक्षा जांच और सख्त की जाए।

 

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