Sudan Gurung- जिसकी एक आवाज पर लाखों युवा उतरे नेपाल की सड़कों पर

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Gen-Z protest Sudan Gurung- नेपाल में सोशल मीडिया बैन के विरोध में लाखों युवा सड़कों पर उतरे।

इस आंदोलन का नेतृत्व सुदन गुरुंग ने किया।

युवाओं ने भ्रष्टाचार आर्थिक असमानता और कुप्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई।

हामी नेपाल संगठन ने युवाओं को एकजुट किया।

सुदन गुरुंग ने युवाओं से 8 सितंबर को प्रदर्शन करने का आह्वान किया।

इस आंदोलन की इबारत काफी समय पहले लिख दी गई थी। नेपाल के Gen-Z आंदोलन के पीछे सिर्फ एक चेहरा था- सुदन गुरुंग।

सुदन गुरुंग की एक आवाज पर ही नेपाल के लाखों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया।

नेपाल सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया था।

इसके बाद युवाओं के विरोध प्रदर्शन में कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से ज़्यादा घायल हुए।

इस अशांति के कारण गृह मंत्री रमेश लेखक को भी इस्तीफा देना पड़ा।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ करने वाले अवांछित तत्वों को अशांति के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।

संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने घोषणा की कि सोशल मीडिया पर पहुँच बहाल कर दी जाएगी।

नेपाल में जो विरोध प्रदर्शन हो रहा है उसके पीछे सुदान गुरुंग की लीडरशिप बताई जा रही है।

आईए जानते हैं कौन हैं सुदान गुरुंग ?

विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे 36 वर्षीय सुदान गुरुंग हैं।

Sudan Gurung- जिसकी एक आवाज पर लाखों युवा उतरे नेपाल की सड़कों पर

गुरंग युवाओं के नेतृत्व वाले एक गैर-सरकारी संगठन हामी नेपाल के अध्यक्ष हैं।

एक इंस्टाग्राम पोस्ट में गुरुंग ने कहा कि उनके समूह ने औपचारिक रूप से रैलियाँ आयोजित करने की अनुमति मांगी थी।

छात्रों से स्कूल यूनिफॉर्म पहनने और किताबें साथ रखने की अपील की थी।

जिससे ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन गए।

ब्लैकआउट से पहले, हामी नेपाल ने विरोध प्रदर्शन के मार्गों और सुरक्षा दिशानिर्देशों को साझा किया।

इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सक्रिय रूप से उपयोग किया था।

गुरुंग 2015 के भूकंप में अपने बच्चे को खोने के बाद नागरिक सक्रियता की ओर मुड़ गए।

Sudan Gurung- जिसकी एक आवाज पर लाखों युवा उतरे नेपाल की सड़कों पर

इस अनुभव ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया और उन्हें आपदा राहत और युवा लामबंदी की ओर प्रेरित किया।

समय के साथ, उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग करते हुए कई अभियानों का नेतृत्व किया है।

जिनमें बीपी कोइराला इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज में धरन का प्रसिद्ध “घोपा कैंप” विरोध प्रदर्शन भी शामिल है।

आज, उन्हें एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में देखा जाता है ।

वे जेनरेशन ज़ेड की डिजिटल युग की कुंठाओं को संगठित, अहिंसक कार्रवाई में बदल देते हैं।

हामी नेपाल ने अपने देश के युवाओं की आवाज को अपना मुद्दा बनाया और सीधे उनके दिल तक पहुंच बनाई।

सुदन गुरुंग ने नेपो बेबीज और देश के कुलीन वर्ग को निशाने पर लिया।

सुदन गुरुंग का इंस्टाग्राम पोस्ट

8 सितंबर के आंदोलन के लिए आह्वान करते हुए सुदन गुरुंग ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा-

‘भाइयों और बहनों। 8 सितंबर वो दिन है, जब नेपाल के युवा उठेंगे और कहेंगे कि अब पर्याप्त हो गया।

ये हमारा समय है, हमारी लड़ाई है और ये हम युवाओं से ही शुरू होगी।’

पोस्ट में लिखा था, ‘हम अपनी आवाज उठाएंगे, मुट्ठियां भीचेंगे, हम एकता की ताकत दिखाएंगे।

उनको अपनी शक्ति दिखाएंगे जो नहीं झुकने का दंभ भरते हैं।’

इस पोस्ट ने नेपाल के युवाओं में जोश भर दिया और 8 सितंबर को युवाओं ने प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने वीपीएन का इस्तेमाल करके को-ऑर्डिनेट किया और अपनी आवाज को ओली सरकार के सामने बेबाकी से रखा।

 

 

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