15 साल V/S 15 महीने… प्रदेश में घोषणाराज़ पर भारी पड़ेगा कर्मराज !
प्रदेश में उपचुनाव का प्रचार जोरो पर है, एक तरफ कमलनाथ है, जो कह रहे हैं-मैं घोषणा नहीं करता कर्म करता हूँ। दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान हैं जिनके बारे में कहा जाता है – घोषणा ही मेरी सत्ता है, उसके आगे कुछ नहीं सूझता
दर्शक
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बारे में संवाद बिलकुल सही बैठता है –जो कहते हैं, करते हैं, कोई समझौता नहीं भले इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े। एक तरह से कमलनाथ उस सेनापति की तरह है जो कहता है –मेरा वचन ही मेरा शासन है। मैं कर्म करता हूँ, घोषणा नहीं।
दूसरी तरफ शिवराज सिंह चौहान हैं, जिनके बारे में कहा जाता है –मैं जो कहता हूँ,वो कभी नहीं करता… और बार बार वही कहता हूँ। शिवराज उस सेनापति की तरह है जो कहता है –मेरी घोषणा ही, मेरी सत्ता है, घोषणा के आगे मैं कुछ सोचता ही नहीं।
इस वक्त मध्यप्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। दोनों नेता अपने-अपने दौर पर हैं। दोनों का अंदाज़ वही पुराना। कमलनाथ अपने 15 माह के काम बता रहे हैं, तो शिवराज अपने 15 साल की घोषणाएं। एक खुद को घोषणावीर साबित कर रहा है, तो दूसरा कर्मवीर।
शिवराज घोषणारस … शिवराज सिंह के बार में कहा जाता है कि वे सुबह चाय नहीं घोषणारस पीते हैं। फिर पूरा दिन वे अपने रसीले अंदाज़ में रसभरी घोषणाएं करते रहते हैं। एक दिन में 24 घंटे होते हैं। इस मुख्यमंत्री ने एक दिन में 72 से ज्यादा घोषणाएं भी की है। यानी एक घंटे में तीन का औसत। ये जुमला बड़ा चर्चित रहा है कि-अपनी दूसरी घोषणा के बाद ही वे पहले भूल जाते हैं। कई योजनाएं तो ऐसी है जिनकी वे उसी शहर के उसी चौक पर कई-कई बार दोहरा चुके हैं।
उदाहरण . .. उपचुनाव के प्रचार के दौरान शिवराज सिंह अभी भी प्रतिदिन एक दर्जन घोषणाएं और भूमिपूजन कर रहे हैं। बिजली बिल माफ़ी वाले मुद्दे पर वे लगातार घोषणा करके भूल रहे हैं। जबकि विभाग ने साफ़ कर दिया कि बिल माफ़ी नहीं स्थगित होंगे। पर शिवराज का दिल है कि मानता नहीं-वे फिर कहते घूम रहे हैं, सबके पुराने बिल माफ़ होंगे।
कमलनाथ स्वास्थ्य का काढ़ा …. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे सुबह काढ़ा पीते हैं। फिर पूरा दिन प्रशासन को दुरुस्त रखने को अफसरों और अपने मंत्रियों को लापरवाही पर कड़वी बात कहने से जरा भी नहीं हिचकते। वे एक ही दिन में कई बैठके करते हैं और शाम तक उसकी रिपोर्ट मांगते हैं। माफिया के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट प्रतिदिन वे लेते रहे। उन्होंने अपने अफसरों और मंत्रियों को भी काम में लापरवाही पर नहीं बख्शा।
उदाहरण .. उपचुनाव के बीच वे किसानों की कर्जमाफी को पेन ड्राइव में मीडिया को देकर खुली चुनौती शिवराज को दे रहे हैं। माफिया पर कार्रवाई और उनकी सख्ती सिंधिया समर्थकों और भाजपा दोनों को नहीं जमी। यही, कारण है कि सिंधिया उनके समर्थकों ने बेंगलुरु जाकर सरकार गिराने की धमकी दी। पर नाथ नहीं झुके, उन्होंने अपना माफिया अभियान जारी रखा।
उपचुनाव के प्रचार में भी दोनों नेताओं के इस मिज़ाज़ को देखा जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान कलश यात्रा, घोषणएं और भूमिपूजन में लगे हैं। जबकि कमलनाथ जनता से सीधे पूछे रहे हैं क्या माफिया पर कार्रवाई करना गुनाह है, क्या जनता को शुद्ध दूध, मिठाई, खाद्य सामग्री देना गुनाह है। ऐसे में पहली बार जनता के बीच से भी आवाजें गूँज रहे हैं। लोग कई जगह नारे लगा रहे हैं-शिवराज जी ये घोषणा तो आपने पांच साल पहले भी की हैं।
इलायची … मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में कुल 5115 घोषणाएं की। इनमे से सिर्फ 1838 पूरी हुई (इसमें से भी आधी पर सिर्फ काम शुरू हुआ) अब वे फिर नई घोषणाओं के साथ मैदान में हैं। इन्हे देखते हुए प्रदेश में एक घोषणा मंत्रालय बनाये जाने की जरुरत है, ताकि शिवराज जी अपनी घोषणाएं भूल न जाएँ। सुना है शंखपुष्पी से याददाश्त दुरुस्त रहती है। जनता इसका सेवन करने लगे इसके पहले सरकार ही पिले तो बेहतर है। याद रहेगा न।
You may also like
-
अंबेडकर विवाद पर संसद के गेट पर राहुल और भाजपा सांसदों में झड़प
-
आयकर छापा … ऊर्जा मंत्री के करीबी रामबीर के निवास से मिले जमीनों के दस्तावेज, मंत्री भी घेरे में
-
‘इंडिया में दो फाड़’ 16 दिसंबर को कांग्रेस तो 17 को समाजवादी पार्टी करेगी विधानसभा घेराव
-
संघ के दरबार में शपथ लेंगे फडणवीस सरकार के मंत्री
-
केजरीवाल की पार्टी नहीं लेगी किसी का साथ ,अकेले लड़ेगी चुनाव